चंडीगढ़/नई दिल्ली, 30 जुलाई
संगरूर से सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बुधवार को संसद में शून्यकाल के दौरान दवाओं की अत्यधिक ऊंची कीमतों का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार से इन दवाओं के लिए मूल्य सीमा तय करने की मांग की।
मीत हेयर ने शून्यकाल के दौरान स्वास्थ्य से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए कहा कि औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 कानून के तहत कुछ आवश्यक दवाओं की कीमतों पर नियंत्रण किया जा रहा है, लेकिन अधिक उपयोग में आने वाली दवाओं जैसे रक्तचाप, मधुमेह आदि के लिए उपयोग में आने वाली दवाओं पर कोई मूल्य नियंत्रण नहीं है। इन बीमारियों के उपचार के लिए एक ही घोल वाली दवाओं का निर्माण विभिन्न कंपनियों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन दवाओं की कीमतें भी अलग-अलग हैं।
मीत हेयर ने कहा कि यह पूरे देश में एक आम समस्या है जहाँ दवाओं की ऊँची कीमतों के कारण इन दवाओं की बिक्री से 300 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का मुनाफ़ा कमाया जा रहा है। उदाहरण के लिए, 3 रुपये की लागत वाली दवा कोई दूसरी कंपनी 10 रुपये में और कोई दूसरी कंपनी 50 रुपये में बेच रही है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि कम से कम समान घोल वाली दवाओं की कीमत सीमा तय की जाए।