पंजाब की आप सरकार को लग सकता है अपने ‘ड्रीम-प्रोजेक्ट’ लैंड पूलिंग मामले में बड़ा झटका !

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इस पॉलिसी के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका मंजूर, विरोध कर रहा विपक्ष को मिलेगा बड़ा सियासी-मुद्दा

चंडीगढ़, 29 जुलाई। पंजाब सरकार की हाल ही में अधिसूचित लैंड पूलिंग पॉलिसी पर कानूनी-तलवार लटक गई है। सूबे की प्रमुख विपक्षी पार्टियां कांग्रेस, बीजेपी और शिअद द्वारा लगातार इसका राजनीतिक-स्तर पर विरोधी किया जा रहा था। ऐसे में अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इस पॉलिसी के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर कर इसे रद करने की मांग की गई।

जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट ने यह जनहित याचिका मंजूर भी कर ली है। इस मामले में आगे की सुनवाई जल्द तय किए जाने की संभावना है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह नीति ना तो पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों का मूल्यांकन करती है, ना ही न्यायसंगत मुआवजा सुनिश्चित करती है। साथ ही यह प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और कानूनी संरक्षण के प्रावधानों का पालन भी नहीं करती है। यहां गौरतलब है कि यह याचिका ऐसे समय में दाखिल की गई है,  जब किसान संगठनों और विपक्षी पार्टियों की ओर से इस नीति का पहले ही जबरदस्त विरोध जारी है।

इन्होंने फंसाया कानूनी-पेंच :

याचिकाकर्ता नविंदर पीके सिंह और समित कौर ने यह याचिका अपने वकीलों साहिर सिंह विर्क और वीबी गोदारा के जरिए दायर की। जिसमें कहा गया है कि पंजाब सरकार की 4 जुलाई, 2024 की अधिसूचना का मकसद मुख्य रूप से लुधियाना और मोहाली की उपजाऊ और बहु फसली कृषि भूमि का अधिग्रहण करना है। इसमें आरोप लगाया गया कि लुधियाना जिले के 50 से अधिक गांवों की 24 हजार एकड़ से अधिक भूमि को ‘शहरीकरण और विकास’ के नाम पर एक्वायर किया जा रहा है। जबकि 21 हजार एकड़ अतिरिक्त भूमि को औद्योगिक विस्तार के लिए अलग रखा गया है।

किसानी पर भी खतरा !

याचिका में यह भी दलील दी गई कि इस नीति के जरिए पंजाब की उपजाऊ कृषि भूमि को निशाना बनाया जा रहा है। यह वही जमीन है, जो हजारों किसानों की जीविका का स्रोत है। ऐसे में इस जमीन का शहरी और औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण करना किसानों के हितों के खिलाफ होने के साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है।

 

अब गर्मा सकती है सूबे की सियासत :

राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी किसानों की हिमायती होने का दावा करती रही है। एमएसपी और किसान आंदोलन के मुद्दे पर खासकर बीजेपी ने आप को पहले घेरने का भरपूर प्रयास किया था। अब लैंड-पूलिंग पॉलिसी पर भी भाजपा के तेवर आक्रमक हैं। बीजेपी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ के अलावा पार्टी के कार्यकारी प्रधान अश्वनी शर्मा इस मुद्दे पर ज्यादा आक्रमक हैं। वहीं, पंजाब की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के तेवर भी इस मुद्दे पर तीखे हैं। जबकि शहरियों के मुकाबले कभी देहात इलाकों में गहरी पकड़ रखने वाले शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल भी लगातार इस सियासी-मुद्दे को धार दे रहे थे।

अंजाम-ए-सियासत क्या होगा ?

सियासी जानकारों की मानें तो सूबे की आप सरकार फिलहाल तक इस मुद्दे पर सिर्फ सियासी-विरोध झेल रही है। अगर कहीं जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार के खिलाफ फैसला सुना दिया तो यह बड़ा राजनीतिक-मुद्दा बन सकता है। जो पंजाब के आने वाले विधानसभा चुनाव में सूबे की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के लिए बडी चुनौती साबित हो सकता है।

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