एआईपी ने नायब तहसीलदार पदों के लिए उर्दू अनिवार्यता का बचाव किया, इसे न्यायोचित और संवैधानिक बताया

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इरफ़ान गनी भट

श्रीनगर 17 जुलाई :
आवामी इतिहाद पार्टी (एआईपी) ने जम्मू-कश्मीर में नायब तहसीलदार पदों के लिए उर्दू को अनिवार्य योग्यता के रूप में कम करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया है। पार्टी ने इस भाषा को ऐतिहासिक और प्रशासनिक रूप से आवश्यक बताया है।

एआईपी के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने कहा कि डोगरा काल से ही उर्दू जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा रही है और राजस्व अभिलेखों, न्यायिक कार्यों और आधिकारिक संचार में इसका इस्तेमाल जारी है। उन्होंने कहा, “पात्रता मानदंड से उर्दू को हटाना हमारे इतिहास और व्यावहारिक शासन आवश्यकताओं, दोनों को कमजोर करता है।”

इनाम ने आगे कहा कि यह केवल भाषा का मुद्दा नहीं है, बल्कि प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण का मुद्दा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “नायब तहसीलदार ज़मीनी स्तर पर लोगों से जुड़ते हैं और अपने कर्तव्यों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने के लिए उर्दू से परिचित होना अनिवार्य है।”
इनाम ने आगे कहा कि उर्दू भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में एक मान्यता प्राप्त भाषा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 1947 से पहले और बाद में भी यह जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषा रही है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में संपूर्ण राजस्व रिकॉर्ड उर्दू में रखे जाते हैं। इसलिए, राजस्व विभाग में भर्ती के लिए योग्यता परीक्षाओं में उर्दू को अनिवार्य बनाना तार्किक और व्यावहारिक रूप से एक बुनियादी, वैध और आवश्यक मानदंड है। इस आवश्यकता को दरकिनार करना न्याय या सुदृढ़ प्रशासन के हित में नहीं है, बल्कि दोनों के लिए प्रतिकूल है। ऐसी भर्ती प्रक्रियाओं में उर्दू को शामिल करना अनिवार्य है। एआईपी का मानना है कि इस मुद्दे पर कैट का हस्तक्षेप अनुचित और अन्यायपूर्ण है।

इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताते हुए, एआईपी ने समावेशिता की आड़ में शासन की भाषाई नींव को कमजोर करने के खिलाफ चेतावनी दी। इनाम ने कहा, “जम्मू-कश्मीर राजभाषा अधिनियम, 2020 में मान्यता प्राप्त होने के बावजूद, उर्दू को अनुचित रूप से दरकिनार किया जा रहा है।”

उन्होंने एलजी प्रशासन और जेकेएसएसबी से उर्दू की संवैधानिक और प्रशासनिक प्रासंगिकता को बनाए रखने का आग्रह किया और कहा, “उर्दू कोई बाधा नहीं है; यह हमारी पहचान, हमारी संस्कृति और हमारे शासन को जोड़ने वाली ताकत है।”

हरजोत सिंह बैंस और दीपक बाली द्वारा बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को श्री गुरु त़ेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस से संबंधित समागमों के लिए निमंत्रण चंडीगढ़, 8 नवंबर पंजाब के शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस और पर्यटन व सांस्कृतिक मामलों के विभाग के सलाहकार श्री दीपक बाली ने आज राधा स्वामी सत्संग डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों को श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित श्री आनंदपुर साहिब में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान श्री बैंस ने बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से 23 नवंबर को श्री आनंदपुर साहिब में होने वाले “सर्व धर्म सम्मेलन” में शामिल होने की अपील भी की। यह सम्मेलन श्री गुरु त़ेग बहादुर जी की धर्म (हक-सच) की रक्षा के लिए दी गई शहादत और आपसी भाईचारे के संदेश के व्यापक प्रसार के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। श्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी की विरासत को पूर्ण श्रद्धा और सच्चे दिल से नमन करने के लिए इस समागम में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक हस्तियों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने श्री गुरु त़ेग बहादुर साहिब जी की अनुपम शहादत और अमर विरासत को नमन करते हुए विनम्रता से पंजाब सरकार के निमंत्रण को स्वीकार किया। —

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