सियासी-चर्चाएं : पंजाब के अगले विस चुनाव में भाजपा बना सकती है सरकार !

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माहिरों की मानें तो कांग्रेसी में फूट और आप के आधार खोने का फायदा उठा सकती है बीजेपी

लुधियाना, 14 जुलाई। पंजाब में भले ही विधानसभा चुनाव में अभी वक्त बाकी है, लेकिन सभी प्रमुख दल तैयारियों में जुट गए हैं। संगठनात्मक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय जनता पार्टी ने लिया है। कभी कांग्रेस से आए सीनियर नेता सुनील जाखड़ भाजपा के प्रदेश प्रधान हैं। ऐसे में पार्टी ने दो बार अध्यक्ष रहे अश्वनी शर्मा को अब बीजेपी पंजाब का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा साल 2027 में होने वाले विस चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए अभी से सियासी-कसरत कर रही है।

आप सत्ता में और विपक्ष के निशाने पर :

क्या वाकई अगले विधानसभा चुनाव में पंजाब की सत्ता पर काबिज हो सकती है, इसे लेकर सियासी-जानकारों की अलग राय हैं। हालांकि सभी यह मानकर तो चल रहे हैं कि पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी तो जाहिर तौर पर अगले चुनाव में लागू होगी। ऐसे में वो अपना जनाधार खो रही है। कई मंत्री और विधायक विवादों में रहे और बेहतर प्रदर्शन भी नहीं कर सके। लिहाजा कांग्रेस और बीजेपी के साथ शिरोमणि अकाली दल ने भी सूबे की आप सरकार को निशाने पर लिया।

कांग्रेस में गुटबाजी बीजेपी के लिए बड़ा मौका :

सियासी-जानकारों का मानना है कि राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस आपसी फूट का शिकार है। ऐसे में उसके नेता कई धड़ों में बंटे हैं और राज्य की सत्ताधारी पार्टी आप को मजबूती से नहीं घेर पा रहे हैं। इन हालात में सूबे में राजनीतिक प्रदर्शन के मामले में तीसरी बड़ी पार्टी बीजेपी है। लिहाजा वह कांग्रेसी की फूट का फायदा उठाते हुए खुद को आप के मुकाबले खड़ी करने की गंभीर कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में जाखड़ के प्रदेश प्रधान रहते कमल शर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के गहरे राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं।

अकालियों के पिछड़ने से भी बीजेपी उत्साहित :

गुटबाजी से जूझ रहे शिरोमणि अकाली दल-बादल के सुप्रीमो सुखबीर बादल पार्टी को फिर से ‘तगड़ा’ करने की कवायद में लगे हैं। हालांकि अकाली दल में कांग्रेस की तरह ही गुटबाजी का सियासी-रोग खत्म नहीं हो पा रहा है। ऐसे में आरएसएस की पृष्ठभूमि से आए बीजेपी के पुराने नेता-कार्यकर्ता अकालियों की हालत देखकर उत्साहित हैं। साथ ही कांग्रेस से पार्टी में आए पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, बीजेपी प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ और कांग्रेसी नेताओं की आमद से उनमें निराशा बताई जा रही थी। अब पार्टी के पुराने काडर रहे अश्वनी शर्मा को पंजाब बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने से कुल मिलाकर उनके समर्थक ही नहीं, विरोधी गुट वाले भी उत्साहित हैं। उनको भी उम्मीद है कि कैप्टन-जाखड़ या दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आए नेताओं की तुलना में कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा उनको अहमियत तो देंगे या नाराज पुराने नेताओं-वर्करों को मनाने की कोशिश करेंगे। कुल मिलाकर सियासी-जानकर यह मान रहे हैं कि भाजपा अब एक बार फिर राज्य में सक्रिय होकर अगले चुनाव में सत्ताधारी पार्टी आप का मजबूत विकल्प बन सकती है।

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