हैंड होल्डिंग की तलाश में पंजाब की इंडस्ट्री !

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लुधियाना 7 जुलाई। लुधियाना की इंडस्ट्री खुद को बेसहारा समझकर चल रही है। जिसके चलते इंडस्ट्री सेक्टर की और से हैंड होल्डिंग की तलाश की जा रही है। इसी चीज को भांपते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को लुधियाना पहुंचे। जहां पर उनकी तरफ से इंडस्ट्री के साथ मीटिंग की गई। जहां पर उनकी तरफ से कारोबारियों से कई लुभावने वादे किए। मीटिंग में ट्राइडेंट ग्रुप के चेयरमैन राजिंद्र गुप्ता, वर्धमान ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन सूचिका ओसवाल, नाहर ग्रुप के मैनेजिंग डॉयरेक्टर दिनेश ओसवाल, राल्सन ग्रुप के चेयरमैन संजीव पाहवा, दीपक फास्टनर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव कालड़ा, लोकेश जैन, कंगारू इंडस्ट्री के अमरीश जैन, ऐवन साइकिल के ओंकार सिंह पाहवा, गुरमीत सिंह कुलार, राहुल आहूजा, एससी रलहन, उपकार सिंह आहूजा समेत कई कारोबारी शामिल हुए। इस दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव की और से मध्य प्रदेश सरकार का वीजन पेश किया गया और इंडस्ट्री पॉलिसी से अवगत कराया। वहीं उन्होंने पंजाब के कारोबारियों को एमपी में इंडस्ट्री लगाने और सरकार द्वारा उन्हें अच्छे बेनिफिट देने का भरोसा दिलाया। इन्वेस्टर मीट के अलावा उनकी तरफ से वर्धमान ग्रुप पद्मश्री एसपी ओसवाल के यहां पहुंचे। जहां उन्होंने एसपी ओसवाल व वाइस चेयरमैन सुचिता ओसवाल की उपस्थिति में कई कारोबारियों से मुलाकात की। दीपक फास्टनर्स अनब्राको के यहां संजीव कालड़ा, दीपक कालड़ा, सिधांत कालड़ा, सुशांत कालड़ा के साथ मुलाकात की। इसी तरह ट्राईडेंट समूह के राजिंद्र गुप्ता की इंडस्ट्री में विजिट करके परिवार के साथ खास मुलाकात की। मीटिंग में 400 से अधिक कारोबारियों ने हिस्सा लिया।

बिजली पर सब्सिडी न देने का उठा मुद्दा
पंजाब की कई कारोबारियों द्वारा मीटिंग में बिजली सब्सिडी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि एमपी में पिछली सरकारों के समय सरकार के लिए ही सोलर प्लांट लगाए थे। उन्होंने सीएम के ध्यान में लाया गया कि उन्हें पहले बिजली पर पांच रुपए यूनिट बेनिफिट देने का वादा किया गया था। लेकिन प्रैक्टिकल तौर पर आज उन्हें ढ़ाई रुपए बेनिफिट मिल रहा है।

बेनिफिट या इंसेंटिव देखकर इंडस्ट्री न करें शिफ्ट
वहीं एक्सपर्ट्स ने कहा कि किसी भी इंडस्ट्री मालिक को सिर्फ बेनिफिट व इंसेंटिव देखकर दूसरी जगह पर इंडस्ट्री नहीं लगानी चाहिए। यह बेनिफिट चार से 10 साल में खत्म हो जाते हैं। जबकि इंडस्ट्री 100 साल तक चलती है। जिसके चलते कही भी इंडस्ट्री लगाने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि या तो दूसरी स्टेट में टेक्नॉलजी का बेनिफिट, कस्टमर नजदीक, रा मटीरियल सस्ता मिलना या कोई ऐसा बेनिफिट जो सिर्फ वहीं पर मिल रहा है, यह देखकर ही इंडस्ट्री लगानी चाहिए।

15 हजार करोड़ निवेश के मिले प्रस्ताव
वहीं इस इंटरैक्टिव सेशन, वन-टू-वन चर्चा और संवाद सत्रों में एमपी के सीएम यादव को उद्योगपतियों से 15 हजार 606 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त होने का दावा किया गया हैं। जिससे 20 हजार से अधिक रोजगार का सृजन होगा। हमने लुधियाना और पंजाब के उद्योपतियोंत को मध्यप्रदेश में उद्योग लगाने के लिये आमंत्रित किया।

पंजाब की इंडस्ट्री के लिए यह एक अच्छा अवसर
कारोबारी गुरमीत सिंह कुलार ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा यह पंजाब की इंडस्ट्री के लिए अच्छे अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश देश का सेंटर है, जहां पर बाकी कई बड़े स्टेट अटैच हैं। जिससे इंडस्ट्री को काफी फायदा मिलेगा। वहां पंजाब में जहां इंडस्ट्री की जमीन की कीमत 25 हजार गज और एमपी में 800 रुपए गज मिलती है, वहां कैपिटल सब्सिडी 40 प्रतिशत मिलती है, इसके अलावा पंजाब के ही छह बड़े ग्रुपों को सरकार की पूरी सहायता मिल रही है। ऐसे ही कई बेनिफिट एमपी सरकार दे रही है, जो इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात है।

एमपी सरकार हर पॉलिसी में बदलाव करने को तैयार
कारोबारी राहुल आहूजा ने कहा कि पंजाब की इंडस्ट्री को बाकी स्टेट की सरकारों द्वारा काफी ज्यादा बेनिफिट देकर बुलाया जा रहा है। अगर पंजाब सरकार द्वारा समय रहते अहम कदम नहीं उठाए गए तो यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। एमपी सरकार इंडस्ट्री के लिए हर तरह की पॉलिसी में बदलाव करने के लिए तैयार है। एमपी के सीएम द्वारा बिना समय लगाए इंडस्ट्री की हर मांग पूरी करने के तैयार है।

वहीं डाइंग इंडस्ट्री के बॉबी जिंदल की और से मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड भोपाल के प्रबंध निदेशक चन्द्रमूल शुक्ला आईएएस को अपना मांगपत्र सौंपा गया। जिसमें उन्होंने बताया कि 225 डाइंग यूनिटों ने अपनी जेब से ढाई सौ करोड़ से लुधियाना में तीन सीईटीपी प्लांट्स लगाए थे। लेकिन पंजाब सरकार ने अपने वायदे पूरे नहीं किए। जिस कारण एनजीटी ने तीनों सीईटीपी प्लांट्स बंद करने के ऑर्डर दिए हैं। अगर प्लांट बंद हुए तो डाइंग इंडस्ट्री बंद हो जाएगी। पीडीए PDA ‌द्वारा बार-बार मिन्नतें करने के बावजूद पिछले 3.5 साल में पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा एक बार भी मुलाकात का समय नहीं दिया। जिसके चलते उनकी और से पंजाब से मध्य प्रदेश इंडस्टरीज शिफ्ट करने या नई इंडस्ट्री लगाने के लिए कोई योजना देने की मांग की है।

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