पाकिस्तान ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के बयान पर जताई तीखी प्रतिक्रिया
अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन को दिए इंटरव्यू में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान से शांति की हर कोशिश का परिणाम नकारात्मक निकला है। वह तो शांति की कोशिश में ही लाहौर चले गए थे और 2014 में शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को न्योता भी दिया था। पीएम मोदी ने कहा था कि दुनिया में कहीं भी कोई आतंकवादी घटना होती है तो उसका सूत्र पाकिस्तान से निकल आता है.
अब मीडिया में पीएम मोदी की इस टिप्पणी पर सुर्खियां बन रही हैं। जबकि पाकिस्तान ने मोदी के बयान पर आपत्ति जताते पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की टिप्पणी तथ्यों से परे और एकतरफ़ा है। उन्होंने अपनी सुविधा के हिसाब से जम्मू-कश्मीर विवाद को छोड़ दिया, जबकिदशकों से इसका कोई समाधान नहीं मिला। ऐसा तब है, जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र, पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों को आश्वस्त किया था। मोदी की टिप्पणी ख़ारिज करते पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ख़ुद को पीड़ित बताने के लिए भारत काल्पनिक नैरेटिव गढ़ता है, लेकिन पाकिस्तान की ज़मीन पर आतंकवाद को शह देने के आरोप से बच नहीं सकता। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की बजाए भारत को विदेशी ज़मीन पर आतंकवाद की साज़िश और टारगेटेड किलिंग का अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए। पाकिस्तान हमेशा से नतीजे हासिल करने वाले संवाद की वकालत करता रहा है, जिनमें जम्मू-कश्मीर का विवाद भी शामिल है। हालांकि इसी इंटरव्यू में मोदी ने चीन के लिए जो कहा, वो बिल्कुल अलग है, जिसका चीन के विदेश मंत्रालय ने इसका स्वागत किया।
पीएम मोदी ने चीन को लेकर कहा कि हमारी कोशिश है कि चीन के साथ मतभेद कलह में ना बदले। साल 2020 में सीमा पर जो घटना घटी, उससे हमारी दूरियां बढ़ गई थीं। हालांकि राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात के बाद सीमा पर स्थिति सामान्य हो रही हैं। चीन और भारत के बीच स्पर्धा स्वाभाविक है, लेकिन संघर्ष नहीं होना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी की इस टिप्पणी करते कहा कि भारत-चीन संबंधों पर मोदी के सकारात्मक बयान का चीन स्वागत करता है। पिछले साल अक्तूबर में रूस के कज़ान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाक़ात हुई थी। जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक रणनीतिक मार्गदर्शन मिला था। चीन को लेकर पीएम मोदी की भाषा बिल्कुल अलग थी और पाकिस्तान को लेकर बिल्कुल अलग। जाहिर है, इसके आधार पर दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने जवाब भी दिया है।
मोदी ने पाकिस्तान को लेकर जो कुछ भी कहा है, उस पर वहां के पूर्व राजनयिक और पत्रकार भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। मई, 2014 में मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित थे।
अब बासित ने वीडियो पोस्ट कर बताया कि नवाज़ शरीफ़ को जब नई दिल्ली शपथ ग्रहण समारोह में आने का न्योता मिला तो इस पर फ़ैसला लेना बहुत आसान नहीं था। पाकिस्तानी इसके पक्ष में थे कि शरीफ़ को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए। बासित के मुताबिक मोदी ने एकतरफ़ा बातें कही हैं। जहां तक शपथ ग्रहण समारोह में शरीफ़ को आमंत्रित करने की बात है तो इसमें कोई शक नहीं है, भारत ने बुलाया था। हालांकि भारत ने केवल शरीफ़ को ही नहीं बल्कि सार्क देशों के सारे प्रधानमंत्रियों को बुलाया था, लेकिन शरीफ़ को जब भारत से न्योता मिला तो पाकिस्तान में बहुत विरोध था। इसके बावजूद शरीफ़ ने भारत आने का फ़ैसला किया था। शरीफ़ ने भारत का ये अनुरोध मान लिया था, भारत को इसकी भी प्रशंसा करनी चाहिए. पाकिस्तान ने भी अपनी कई पुरानी नीतियों को लेकर उदारता दिखाई है। बासित ने कहा कि अगर भारत वाक़ई चाहता है कि पाकिस्तान के साथ ताल्लुकात अच्छे हों तो बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 हटाने की बात को क्यों शामिल किया। मैं 2014 के चुनाव की बात कर रहा हूं, मोदी अपनी शर्तों पर पाकिस्तान से ताल्लुकात अच्छा करना चाहते हैं।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान में पीएम मोदी के इंटरव्यू के अलावा अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस की निदेशक तुलसी गबर्ड के भारत दौरे की भी काफ़ी चर्चा हो रही है। थिंक टैंक सनोबर इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ. क़मर चीमा ने तुलसी गबर्ड के भारत दौरे पर कहा कि तुलसी गबर्ड मोदी साहब से मिली हैं और उन्होंने रुद्राक्ष की माला उपहार में दी है। बदले में मोदी साहब ने गंगाजल गिफ़्ट किया है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सहयोग का स्तर क्या है। अमेरिका और भारत के बीच का संबंध किस स्तर पर जा रहा है, हमें इसे समझने की ज़रूरत है। इससे पहले पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जाफ़र एक्सप्रेस पर हमले को लेकर भारत पर कई तरह की बातें की जा रही थीं। इसे लेकर पाकिस्तान ने भारत पर उंगली उठाई थीं। हालांकि पाकिस्तान के आरोपों को ख़ारिज करते हुए भारत ने कहा था, पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद की पनाहगाह कहां है। पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार नजम सेठी ने कहा था कि बीएलए ने जिस तरह से जाफ़र एक्सप्रेस पर हमला किया, वो पूरी तरह से सुनियोजित था। हमें इसे समझना चाहिए था कि भारत ने मुंबई और कश्मीर के लिए माफ़ नहीं किया था और बीजेपी सत्ता में आ रही है तो वो बदला लेगी। अजित डोभाल ने स्पष्ट रूप से 2014 में कहा था कि अगर पाकिस्तान कश्मीर में हमला कराएगा तो हम बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करेंगे।
अजित डोभाल ने 2014 में मोदी सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनने से तीन महीने पहले 21 फ़रवरी 2014 को तमिलनाडु के तंजावुर में नानी पालकीवाला मेमोरियल लेक्चर में कहा था कि पाकिस्तान हमसे कई गुना ज़्यादा नाज़ुक स्थिति में है। आप एक बार मुंबई अटैक कर सकते हैं, पर आप बलूचिस्तान खो सकते हैं।
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