अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद उठाए गए एहतियाती कदम
एयर इंडिया ने कहा है कि वह ‘वाइड बॉडी एयरक्राफ़्ट्स’ के ज़रिए संचालित होने वाली अपनी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में 15 फ़ीसदी की कटौती करने वाला है। वाइड बॉडी एयरक्राफ़्ट्स वे विमान होते हैं, जो आकार में बड़े होते हैं। जो मुख्य रूप से लंबी दूरी की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में इस्तेमाल होते हैं। एयर इंडिया के प्रमुख वाइड बॉडी एयरक्राफ़्ट्स में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर भी शामिल है।
यहां काबिलेजिक्र है कि 12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया का जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, वह बोइंग का 787 ड्रीमलाइनर ही
था। एयर इंडिया अब इन विमानों की उड़ानों को कम करने जा रही है। कंपनी ने इसके पीछे की वजह अपने ऑपरेशन्स को स्थिर बनाए रखना, कामकाज को बेहतर करना और यात्रियों की परेशानी को कम करना बताई है। दरअसल, अहमदाबाद हादसे के बाद कई बार ऐसा हुआ, जब एयर इंडिया की यात्री फ़्लाइट्स को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी, वे आख़िरी समय रद हुईं या उन्हें डायवर्ट करना पड़ा। भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि बीते 12 से 17 जून के बीच एयर इंडिया लिमिटेड की कुल 83 विमानों की उड़ानें रद की गईं, जिनमें 66 ‘बोइंग 787’ विमान थे।
ऐसे में चर्चा है कि एयर इंडिया के विमानों के साथ क्या वाक़ई कोई गंभीर समस्या खड़ी हो गई है ? वहीं इसे एयर इंडिया की संचालन चुनौतियों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। इन आशंकाओं के पीछे की वास्तविकता क्या है, यह जानने को बीबीसी हिंदी ने एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक और एविएशन मामलों के जानकार जितेंद्र भार्गव से बातचीत की।
भार्गव कहते हैं कि बीते एक हफ़्ते में एयर इंडिया की जितनी भी उड़ानें रद हुई हैं, उनमें केवल दो ही विमान ऐसे थे, जिनकी तकनीकी ख़ामियों के कारण आपातकालीन लैंडिंग कराई गई। वहीं, 17 जून को एयर इंडिया के कम से कम 13 और इंटरनेशनल फ़्लाइट्स रद करने की बात सामने आई थी। हालांकि इनमें कोई तकनीकी ख़ामी नहीं थी।
भार्गव के मुताबिक जब अहमदाबाद में प्लेन क्रैश हुआ तो डीजीसीए ने एयर इंडिया को निर्देश दिए कि वो कंपनी के तमाम बोइंग 787 विमानों की जांच करे। इनकी जांच में वक़्त लगता है। ऐसे में एयर इंडिया के सामने अपनी फ़्लाइट्स रद करने या उनका संचालन सीमित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। एयर इंडिया ने भी जारी बयान में इसकी जानकारी दी।
हालांकि कंपनी ने विमानों के रूट डायवर्ज़न और फ्लाइट्स रद करने के पीछे की एक वजह मध्य-पूर्व में जारी तनाव को भी बताया। दरअसल यूरोप और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में रात के समय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा है। वहीं, डीजीसीए ने एयर इंडिया के अब तक जितने भी विमानों की सुरक्षा जांच की है, उन्हें सुरक्षा नियमों के अनुरूप ही पाया। इसी साल मार्च महीने में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन ने माना था कि एयर इंडिया एयरक्राफ़्ट्स की कमी से जूझ रहा है। नए एयरक्राफ़्ट्स आने में पांच साल तक का वक़्त लग सकता है।
भार्गव के मुताबिक़, ऐसे मामले भी रहे हैं, जहां हमने नए विमानों को दुर्घटनाग्रस्त होते देखा है। जैसे साल 2018 में इंडोनेशिया में जिस लॉयन एयर फ़्लाइट 610 का हादसा हुआ, वो महज़ दो महीने पहले ही डिलीवर हुआ था। इथियोपिया में 2019 के दौरान जिस इथियोपियन एयरलाइन्स की फ़्लाइट 302 क्रैश हुई, वो केवल चार महीने पहले ही आई थी।
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