मुद्दे की बात : रहो होशियार, साइबर ठग लूटने को तैयार

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

दिल्ली की महिला ने हजार रुपये के गिफ्ट के लालच में गंवाए 51 लाख

दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में अमेज़न गिफ़्ट वाउचर के नाम पर साइबर फ़्रॉड हुआ है। इस फ्रॉड में एक महिला ने 51 लाख रुपये गंवा दिए। ग्रेटर नोएडा में रहने वाले मीनू रानी को अज्ञात लोगों ने सबसे पहले व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल किया। इसके बाद व्हाट्सऐप ग्रुप में महिला के साथ यह वाउचर शेयर किया गया। इसी ग्रुप में मुफ़्त में ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेज़न का वाउचर देने की बात कहकर उनका भरोसा जीता गया। इसके बाद उनसे 51 लाख रुपये की ठगी की गई।

ऑनलाइन ठगी का शिकार बनी मीनू रानी ने 8 मार्च को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार फ़्रॉड की शुरुआत उस समय हुई ,जब पीड़ित महिला मीनू रानी को हरि सिंह नाम के एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर संपर्क किया। उसने अपना परिचय 15 साल के अनुभवी इन्वेस्टमेंट गाइड के तौर पर दिया. इसके बाद मीनू रानी से बातचीत कर उन्हें एक व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल होने के लिए तैयार किया। हालांकि अमेज़न समेत दूसरी बड़ी ऑनलाइन कंपनियों ने उपभोक्ताओं को ऑनलाइन फ़्रॉड से सतर्क रहने का संदेश जारी कर रखा है।

अमेज़न ने अपनी वेबसाइट पर गिफ़्ट वाउचर के ज़रिए फ़्रॉड के बारे में पहले ही चेतावनी के संदेश जारी कर रखे हैं। इसमें बताया है कि कई ग तरह की धोखाधड़ी पर आधारित स्कीमें ऑनलाइन मौजूद हैं। इन स्कीमों से ईमेल, फ़ोन या टेक्स्ट के ज़रिए भुगतान या खाते की जानकारी या ओटीपी मांगी जाती ह। इनमें पैसे लगाकर मुनाफ़ा दोगुना करने वाली स्कीमों में हिस्सा लेने को कहा जाता है। फ़्रॉड करने वाले धोखे के लिए बहुत से तरीक़े इस्तेमाल करते हैं, जिसमें नामी ब्रांड के गिफ़्ट कार्ड की चाल भी शामिल है।

मीनू शेयर बाजार से ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लालच में हरि​ सिंह के झांसे में आकर व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल हो गईं। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने बताया कि कुछ समय के बाद व्हाट्सऐप ग्रुप में उनका संपर्क आरती सिंह से हुआ।

आरती ने उन्हें बताया कि हरि सिंह ने हर महिला सदस्य की इन्वेस्टमेंट में मदद करने के लिए एक हज़ार रुपये के अमेज़न गिफ़्ट वाउचर ख़रीदे हैं। यह गिफ़्ट वाउचर हासिल करने के लिए वह अपने अमेज़न अकाउंट को लॉगिन करे। मीनू ने ऐसा ही किया और उसे अपने अमेज़न अकाउंट के बैलेंस में एक हज़ार रुपये जमा मिले।

इससे मीनू रानी का भरोसा हरि सिंह और उनके व्हाट्सऐप ग्रुप पर और बढ़ गया। इसके बाद इन ठगों ने स्टॉक मार्केट में पैसा लगाकर एक महीने में तीन से पांच गुना मुनाफ़ा कमाने का लालच दिया। डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस साइबर क्राइम प्रीति यादव ने पीटीआई को बताया कि जालसाज हरि सिंह ने मीनू रानी से शुरू में पचास हज़ार रुपये शेयर मार्केट में लगाने को कहा। जब उन्होंने दिए गए अकाउंट में पैसे ट्रांसफ़र कर दिए तो उन्हें एक ऐप में उनका ‘मुनाफ़ा’ दिखाया गया। इसके बाद उस ठग ने उन्हें उसे डाउनलोड करने को कहा। ऐप पर मुनाफ़ा दिखाए जाने के बाद मीनू को और पैसा लगाने और अपने घर के दूसरों लोगों के फ़ंड्स इसमें लगाने का ख़्याल आया। मीनू ने इस निवेश योजना पर भरोसा करते हुए अपने पति, सास और दूसरे रिश्तेदारों से स्कीम में पैसा लगाने के लिए उधार लिए। ठगों ने बहुत चालाकी से मीनू रानी का भरोसा जीत मुनाफ़ा कमाने की उनकी इच्छा का ग़लत इस्तेमाल किया। इसीलिए वह पैसे लगाने के संभावित ख़तरों की अनदेखी करती गईं। मीनू के मामले में यह ऑनलाइन फ़्रॉड उस समय सामने आया, जब उन्होंने पूंजी निवेश के लिए अपने रिश्तेदारों से और क़र्ज़ मांगा. तो उन्होंने ऐसे धोखा देने वाली स्कीम की बारे में उनको पूरी जानकारी दी। इसके बाद जब मीनू ने अपना पैसे वापस लेने को ठगों से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्हें कामयाबी नहीं मिली। धोखाधड़ी का एहसास होने तक ज़्यादा वह 51 लाख रुपये गंवा चुकी थीं।

हालांकि साइबर क्राइम पुलिस ने कार्रवाई कर पीड़ित महिला द्वारा गंवाई रक़म में से 4.80 लाख रुपये फ़्रीज़ करा दिए। बाक़ी पैसों की रिकवरी की कोशिश जारी है। भारत में ऑनलाइन आर्थिक ठगी का यह पहला मामला नहीं है, लेकिन समय बीतने के साथ ऐसा लगता है कि ठग लोगों का भरोसा जीतने के लिए नए नए जाल फेंक रहे है। इस मामले में ठगों ने पीड़ित महिला का भरोसा जीतने के लिए अमेज़न का एक मुफ़्त वाउचर दिया। उसे अपने फ़र्ज़ी ऐप में पैसा लगाने के लिए फंसाया, यह एक फिशिंग ऐप था। साइबर ठग अक्सर सोशल मीडिया या मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए लोगों को निशाना बनाते हैं। इस तरह के फ़्रॉड का शिकार दिल्ली समेत देश के दूसरे इलाक़ों के लोग भी हुए हैं। भारत सरकार ने साइबर अपराध से जुड़े मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए एक पोर्टल भी बनाया है। यहां https://cybercrime.gov.in/Hindi/Accepthn.aspx इस तरह के मामलों को दर्ज करा सकते हैं। साइबर अपराध से निपटने के लिए हेल्पलाइन 1930 है। इसके अलावा राष्ट्रीय पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 और राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर भी सहायता ले सकते हैं। दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने अपनी वेबसाइट पर फ़ेक शॉपिंग वेबसाइट का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि यह एक नया तरीक़ा है। साइबर फ़्रॉड करने वाले ऑनलाइन धोखा देने के लिए इसे अपना रहे हैं। ऑनलाइन फ़्रॉड की एक चाल यह भी है कि धोखेबाज़ किसी बड़े ब्रांड या यहां तक कि किसी मोबाइल फ़ोन कंपनी की असली लगने वाली वेबसाइट बनाते हैं और सस्ता सामान बेचते हैं। वह उपभोक्ताओं को ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए कहते हैं और एक बार भुगतान हो जाने के बाद उपभोक्ता को कभी ऑर्डर दिया हुआ सामान नहीं मिलता है। दूसरी चाल यह है कि इसमें धोखेबाज़ किसी दूसरी कंपनी या वेबसाइट की नक़ल नहीं करते, बल्कि एक नई वेबसाइट बनाते हैं। जिस पर सामान बहुत सस्ते दामों में बेचा जाता है, लेकिन इसमें भी उपभोक्ताओं को ऑर्डर किया हुआ सामान कभी नहीं मिलता।

————-

 

Leave a Comment