मौरंग मंडी में खड़ी गाड़ियों का चालान करना खनन अधिकारी को पड़ा भारी

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ईश्वर चंद्र की गाड़ी के आगे लेटा चालक, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

जनहितैषी, 14 जून,लखनउ/रायबरेली। जिले के राजघाट स्थित मौरंग मंडी में शुक्रवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब खनन अधिकारी ईश्वर चंद्र खड़ी गाड़ियों का चालान करने पहुंचे। चालान की कार्रवाई से नाराज चालकों ने न सिर्फ उनका विरोध किया, बल्कि एक चालक तो उनकी गाड़ी के आगे लेट गया और कहा, “अगर चालान काटना है तो पहले गाड़ी सीने पर चढ़ा दीजिए।”

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हाल ही में रायबरेली में खनन अधिकारी के पद का कार्यभार संभालने वाले ईश्वर चंद्र शुक्रवार को मौरंग मंडी में खनन नियमों के अनुपालन की जांच करने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने वहां खड़ी कुछ गाड़ियों का चालान करना शुरू किया। चालान की कार्रवाई होते देख वहां मौजूद ट्रक चालकों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने अधिकारी का विरोध करना शुरू कर दिया।

एक चालक तो इस हद तक पहुंच गया कि उसने खनन अधिकारी की गाड़ी के सामने खुद को लेटा दिया और प्रदर्शन करने लगा। चालक का कहना था कि जब कोई गाड़ी लोडिंग या अनलोडिंग में नहीं लगी है, तब सिर्फ खड़ी रहने के आधार पर चालान करना अन्याय है। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो किसी राहगीर ने बना लिया, जो कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।

इस घटना के बाद खनन विभाग और जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। खासतौर पर तब जब यह सामने आया कि ईश्वर चंद्र ने अभी हाल ही में रायबरेली में पदभार संभाला है और चार्ज लेते ही वह ऐसे विवादों में घिर गए हैं। स्थानीय ट्रक यूनियन और चालकों का आरोप है कि खनन अधिकारियों द्वारा दबाव और जुर्माने की कार्रवाई बिना स्पष्ट दिशा-निर्देशों के की जा रही है।

चालकों का कहना है कि मंडी परिसर में कई बार ट्रक खड़े करना उनकी मजबूरी होती है क्योंकि लोडिंग-अनलोडिंग में समय लगता है। ऐसे में बिना नोटिस दिए सीधे चालान की कार्रवाई करना तानाशाही जैसा है।

इस पूरे प्रकरण पर शहर कोतवाली पुलिस की ओर से स्थिति को नियंत्रित करने की बात कही गई है। हालांकि, खनन अधिकारी की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान अब तक नहीं आया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि खनन क्षेत्र में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अधिकारियों को सख्ती के साथ-साथ संवाद भी बनाए रखना चाहिए। वहीं, चालकों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखें, ना कि कानून हाथ में लें।

फिलहाल इस घटना ने प्रशासनिक कार्यशैली और जनसहयोग के संतुलन पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस विवाद पर क्या रुख अपनाता है और वायरल वीडियो के बाद आगे क्या कार्रवाई होती है।

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