रियल एस्टेट सेक्टर को कंपनियों ने बनाया ठगी का नया धंधा
लुधियाना 8 मार्च। रियल एस्टेट सेक्टर में रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा कच्चे का खेल जोरो पर खेला जा रहा है। भोले भाले लोगों को कच्चे का लालच देकर अपने जाल में फंसाकर उनसे लूट की जा रही है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि सरकारी अफसर और राजनेताओं द्वारा मामले को दूर बैठकर देखा जा रहा है। जबकि उनके सामने सरेआम आम जनता से लूट हो रही है। यह खेल सिर्फ लुधियाना व पंजाब नहीं बल्कि पूरे देश में ही खेला जा रहा है। दरअसल, रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा अपने किसी भी शहर में अपने आलीशान प्रोजेक्ट लाने का दावा करके लोगों से पैसा इकट्ठा कर लिया जाता है। जबकि उन्हें फिक्स रिटर्न का लालच भी दिया जाता है। जिसके बाद कंपनियों द्वारा अपना पहला प्रोजेक्ट पूरा करने की जगह दूसरे प्रोजेक्ट की शुरुआत कर दी जाती है। इसी तरह कई प्रोजेक्ट चला दिए जाते है और पूरा एक भी नहीं किया जाता। ऐसे ही कच्चे काले कारोबार में लोगों को फंसाकर रियल एस्टेट कंपनियां मोटी कमाई करने में लगी हुई हैं। ऐसे ही ताजा मामले दिल्ली में भूटानी ग्रुप, चंडीगढ़ में मनोहर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के सामने आए हैं। इसी के साथ साथ लुधियाना में भी ऐसे ही कंपनियां द्वारा फर्जी रियल एस्टेट का कारोबार कर लोगों को ठगा जा रहा है।
ईडी का भूटानी ग्रुप पर एक्शन, 3500 करोड़ घोटाले के आरोप
ईडी की और से दिल्ली में रियल एस्टेट की नामी कंपनियों में से एक भूटानी ग्रुप और उसी के वेंचर मोहाली में डब्ल्यूटीसी (वर्ल्ड ट्रेड सेंटर) के मालिक आशीश भल्ला पर पीएएमएलए एक्ट के तहत कार्रवाई की है। ईडी के मुताबिक भूटानी ग्रुप के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग, पोंजी स्कीम और शेल कंपनियों की मदद से विदेश में धोखाधड़ी से कमाए पैसे से प्रॉपर्टी खरीदने का आरोप है। इन सभी आरोपों और ईडी की कार्रवाई के बीच भूटानी ग्रुप के सभी बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया है। ईडी के अनुसार भूटानी ग्रुप द्वारा करीब 1000 करोड़ का घोटाला किया है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ग्रुप की और से करीब 3500 करोड़ का घोटाला किया गया है।
गुड़गांव समेत कई जिलो में चल रहे प्रोजेक्ट
बात करें भूटानी ग्रुप की तो इस रियल एस्टेट ग्रुप के दिल्ली, पंजाब समेत कई जिलों में प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जिसमें गुड़गांव, फरीदाबाद, मोहाली, चंडीगढ़ प्रमुख रुप से शामिल है। अब चर्चा का विषय यह है कि क्या सभी जिलों में मौजूद निवेशकों के साथ इस ग्रुप द्वारा ठगी की गई है। दरअसल, इस ग्रुप के प्रोजेक्ट्स में निवेशकों द्वारा प्लॉट. दुकानें, कमर्शियल जमीन खरीदी गई। लेकिन कंपनी निर्धारित समय पर उन्हें डिलिवरी नहीं दे सकी।
चंडीगढ़ में मनोहर इन्फ्रास्ट्रक्चर ग्रुप ने की 400 करोड़ की ठगी
वहीं चंडीगढ़ में मनोहर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों द्वारा लोगों से करीब 400 करोड़ की ठगी करने के आरोप लगे है। जिसके चलते चंडीगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने कंपनी के के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। यह मामला मोहाली निवासी सुरिंदर सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया है। उनका आरोप है कि बिल्डर कंपनी ने पाम स्प्रिंग, पाम गार्डन, पाम इको जैसे प्रोजेक्ट शुरू कर बिना मंजूरी के प्लॉट बेचे और लोगों से 400 करोड़ रुपए से ज्यादा ले लिए। जबकि उन्हें रिटर्न में कुछ भी नहीं दिया।
लुधियाना में भी कंपनियां दे रही लुभावने ऑफर
इसी तरह लुधियाना में भी बाहर से आई रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा लोगों को लुभावने ऑफर देकर अपने जाल में फंसाया जा रहा है। कैनाल रोड पर प्रॉपर्टी का बड़ा खेल खेला जा रहा है। लेकिन ग्लाडा के अधिकारी अनजान बने बैठे हुए हैं।
कंज्यूमर हवा में, कंपनियों को नहीं प्रवाह
रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा इस तरह सरेआम ठगी मारने से साफ साबित होता कै कि कंज्यूमर सिर्फ हवा में है। कंपनियों को न तो रेरा विभाग की प्रवाह है और न ही सरकार का किसी तरीके का डर है। जिसके चलते वह सरेआम लोगों के साथ ठगी करने में लगे हुए हैं। जबकि इन कंपनियों पर दर्ज हुए रही एफआईआर से क्लियर है कि इस सेक्टर में सरेआम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है और सिर्फ लोगों से ठगी का तरीका बना लिया गया है।
रेरा विभाग भी दिखा रहा तमाशा
वहीं रेरा विभाग की बात करें तो यह विभाग सरकार ने इसी लिए बनाया था कि लोगों से होने वाली ठगी को बचाया जा सके। वहीं ऐसी पोंजी स्कीम लाने वाले रियल एस्टेट कंपनियों पर नुकेल डाली जा सके। लेकिन विभाग द्वारा किसी भी तरह का आज तक कोई एक्शन न लेने से साफ पता चलता है कि विभाग के अधिकारी तमाशा देखने में लगे हुए हैं। जबकि आम जनता सरेआम लूट रही है।
चंडीगढ़ में फिक्स रिटर्न का शिकार हो चुका ग्रुप
इस सेक्टर में हालात यह है कि इन्वेस्टमेंट करते ही पहले दिन फिक्स रिटर्न देनी शुरु कर दी जाती है। चंडीगढ़ में एक नामी ग्रुप द्वारा भी पहले फिक्स रिटर्न का लालच देकर लोगों से पैसा इकट्ठा किया गया। लेकिन जब रिटर्न न दे सका तो इस स्कीम को बंद कर दिया गया। शुरुआत में फिक्स रिटर्न देना तो अच्छा लगता है, लेकिन समय बीतने पर जब इसकी रकम ज्यादा बढ़ जाए तो कंपनियों को कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है।