जनहितैषी, 8 जून — आगरा/बाह। चंबल नदी की लहरों में इन दिनों नई ज़िंदगी की हलचल देखी जा रही है। बाह रेंज के नंदगवां घाट पर आजघड़ियालों की हैचिंग प्रक्रिया की शुरुआत हुई और चंबल नदी को 190 नन्हें मेहमान मिले। यह दृश्य न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए अद्भुत रहा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक उम्मीद की किरण भी साबित हुआ।
बाह रेंज के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि मादा घड़ियालों ने मार्च के अंत से अप्रैल के बीच नदी किनारे की रेत में नेस्ट बनाकर 35 से 60 अंडे तक दिए थे। इन अंडों की निगरानी वन विभाग द्वारा की जा रही थी। लगभग 65 से 80 दिन के इनक्यूबेशन पीरियड के बाद जैसे ही हैचिंग का समय आया, विभाग ने नेस्ट के चारों ओर लगाई गई सुरक्षा जालियों को हटा दिया।
अंडों से निकलते ही लगभग 190 घड़ियाल के बच्चे रेत से सरकते हुए चंबल नदी की ओर बढ़े और उसमें समा गए। यह दृश्य न सिर्फ रोमांचकारी था, बल्कि जैव विविधता की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
वन विभाग का अमला इस दौरान पूरी तरह सतर्क रहा। अधिकारियों ने बताया कि अगले एक हफ्ते तक यह हैचिंग प्रक्रिया चलने की संभावना है। इसलिए नेस्ट की निगरानी लगातार की जा रही है ताकि कोई शिकारी पक्षी, जानवर या मानव हस्तक्षेप इन नन्हें प्राणियों को नुकसान न पहुंचा सके।
चंबल सेंचुरी घड़ियालों का एक प्रमुख प्राकृतिक आवास है। एक समय विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके इस प्रजाति के संरक्षण में यह घटनाक्रम एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती दिनों में घड़ियाल के बच्चों का बच पाना कठिन होता है, लेकिन यदि ये सुरक्षित नदी तक पहुंच जाएं तो उनकी जीवित रहने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
वन्यजीव प्रेमियों, पर्यावरणविदों और प्रशासन के लिए यह क्षण उत्सव से कम नहीं। चंबल की रेत में जीवन की यह नई दस्तक एक बार फिर बताती है कि यदि प्रयास ईमानदार हों तो प्रकृति जीवन देना नहीं भूलती