मुद्दे की बात : म्यांमार में किडनी की अवैध ख़रीद-फरोख़्त, भारत में हो रही सर्जरी !

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

महंगाई, बेरोजगारी से जूझते लोग बेच रहे किडनियां, दलालों की चांदी

कभी बर्मा कहलाने वाले एशियन मुल्क म्यांमार में महंगाई और बेरोजगारी बड़ी चुनौती बनी है। हालात म्यांमार में इतने संगीन हो चुके हैं कि लोग किडनियां बेचने को मजबूर हैं। ऐसे लोगों की भारत में सर्जरी होने की चर्चाएं भी सामने आ रही हैं। इसे लेकर बीबीसी ने खास रिपोर्ट प्रकाशित की।

जिसमें हवाला है कि वहां खेतों में काम करने वाले ज़ेया (बदला नाम) कहते हैं कि मैं बस एक घर चाहता था और अपने कर्ज़ चुकाना चाहता था, इसलिए मैंने अपनी किडनी बेचने का फैसला किया। यहां काबिलेजिक्र है कि म्यांमार में साल 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद गृहयुद्ध छिड़ गया था। जिसके बाद जरुरी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही थीं। ऐसे में ज़ेया ने भारत आकर अपनी एक किडनी बेची। मानव अंगों का अवैध व्यापार पूरे एशिया में एक समस्या है, और ज़ेया की कहानी बताती है कि ये गोरखधंधा कैसे चलता है। मानव अंगों को खरीदना या बेचना म्यांमार और भारत दोनों देशों में अवैध है, लेकिन ज़ेया का कहना है कि वो एक आदमी से मिले थे, जिसे उन्होंने ‘दलाल’ बताया। उसने उनके मेडिकल टेस्ट की व्यवस्था की, कुछ हफ्ते बाद बताया कि उनकी किडनी की संभावित प्राप्तकर्ता एक बर्मी महिला मिल गई है और वे दोनों सर्जरी के लिए भारत जा सकते हैं।

गौरतलब है कि भारत में अगर अंगदान और उसे प्राप्त करने वाले करीबी रिश्तेदार नहीं हैं तो उन्हें यह दिखाना होता है कि अंगदान परोपकार के तौर पर किया जा रहा है। दोनों के बीच के रिश्ते को स्पष्ट करना होता है। ज़ेया का कहना है कि दलाल ने एक दस्तावेज़ में बदलाव किया, जो म्यांमार के हर घर में होता है। इसमें परिवार के सदस्यों का विवरण दिया गया होता है। दलाल ने उनका नाम अंग प्राप्त करने वाली महिला के परिवार वालों के नाम में शामिल कर दिया।

ज़ेया के मुताबिक किडनी बेचने के बदले उन्हें 7.5 मिलियन म्यांमार क्यात मिलने थे। पिछले कुछ वर्षों में इस राशि की कीमत 1,700 डॉलर से 2,700 डॉलर के बीच रही है। ज़ेया के मुताबिक वह ऑपरेशन के लिए उत्तर भारत गए थे और उनकी किडनी निकालने की प्रक्रिया एक बड़े अस्पताल में हुई थी। भारत में विदेशी नागरिकों से जुड़े सभी ट्रांसप्लांट यानी प्रत्यारोपण के लिए एक पैनल से मंजूरी लेनी होती है। इस पैनल को प्राधिकरण समिति कहते हैं, जिसे अस्पताल या स्थानीय सरकार स्थापित करती है। अपनी किडनी बेचने वाले एक दूसरे व्यक्ति, म्यो विन (बदला नाम) ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने भी एक अजनबी को अपना रिश्तेदार बताया था।

दलाल ने मुझे एक कागज़ दिया, और मैंने उस पर लिखी बातें याद कीं। मेरे मामले का आकलन करने वाले व्यक्ति ने मेरी मां को भी फ़ोन किया था, लेकिन दलाल ने कॉल के लिए एक नकली मां की व्यवस्था की थी। उन्हें किडनी के बदले जो पैसे मिले, उसका 10 फीसदी हिस्सा उन्हें दलाल को देना पड़ा था। किडनी बेचने वाले दोनों आदमियों ने कहा कि उन्हें पैसे का एक तिहाई हिस्सा पहले ही दे दिया गया था. म्यो विन ने कहा कि वो कर्ज़ और अपनी पत्नी के इलाज के खर्च से जूझ रहे थे।

दरअसल तख्तापलट के बाद से म्यांमार में बेरोजगारी दर बढ़ी है। युद्ध ने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है और विदेशी निवेशकों को भागना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र की विकास एजेंसी यूएनडीपी के अनुसार, 2017 में, एक चौथाई आबादी गरीबी में जी रही थी, लेकिन 2023 तक म्यांमार की आधी आबादी गरीब हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2010 के बाद से दुनिया भर में अंग प्रत्यारोपण में 50% से ज़्यादा की वृद्धि हुई है। लगभग सभी देशों में मानव शरीर के अंगों का व्यापार अवैध है। 2007 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुमान लगाया था कि प्रत्यारोपित अंगों का 5-10% काला बाज़ार से आता है, लेकिन यह आंकड़ा इससे ज़्यादा भी हो सकता है.

हाल के वर्षों में नेपाल, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, अफ़गानिस्तान, भारत और बांग्लादेश सहित पूरे एशिया में ग़रीबी के कारण अवैध किडनी की बिक्री दर्ज़ की गई है।

भारत लंबे समय से चिकित्सा पर्यटन का केंद्र रहा है। मीडिया रिपोर्टों और हाल ही में पुलिस की जांच के बाद किडनी की बिक्री को लेकर चिंता बढ़ रही है। पिछले साल जुलाई में, भारतीय पुलिस ने कहा था कि उन्होंने कथित किडनी रैकेट के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक भारतीय डॉक्टर और उनका सहायक भी था। पुलिस का आरोप है कि इस ग्रुप ने गरीब बांग्लादेशियों को किडनी बेचने के लिए जाली दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करके प्रत्यारोपण के लिए मंजूरी हासिल की। दिल्ली के प्रतिष्ठित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में काम करने वाली डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने कुछ किलोमीटर दूर एक अलग अस्पताल यथार्थ में विजिटिंग कंसल्टेंट के तौर पर ऑपरेशन किए। उनके वकील ने दावा किया था कि डॉक्टर ने केवल वही सर्जरी की, जिन्हें प्राधिकरण समिति ने मंजूरी दी थी।

भारतीय कानून के तहत, विदेशी नागरिक जो अंग दान करना चाहते हैं या अंग प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें अपना दस्तावेज़, जिनमें दाता और प्राप्तकर्ता के बीच संबंध दिखाने वाले दस्तावेज़ भी शामिल हैं। भारत में अपने देश के दूतावास द्वारा सत्यापित करवाना होता है। म्यांमार में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानकर्ता, डॉ. थ्यूरिन ह्लाइंग विन ने कहा, “कानून को प्रभावी तरीके से अमल में नहीं लाया गया।

————-

Leave a Comment