गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ़ 2.3.2025

धंधे से करना दग़ा, बात नहीं है ठीक।
गुप्त लूट की योजना, हुई किस तरह लीक।
हुई किस तरह लीक, पुलिस ने आ धमकाया।
क़ाबू आये चार, पांचवां हाथ न आया।
कह साहिल कविराय, बने क्यों ऐसे अंधे।
मीटिंग खुफिया रहे, तभी चल पाते धंधे।

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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