मुद्दे की बात : भारत ने क्या जीडीपी-मामले में जापान को पीछे छोड़ दिया ?

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

नीति आयोग के सीईओ और मेंबर के बयान में विरोधाभास से आर्थिक-माहिरों में छिड़ी चर्चा

पिछले दिनों नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने बयान जारी कर भारत को जापान से आगे निकलते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का दावा किया था। हालांकि दो दिन बाद ही सोमवार को नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा कि 2025 के अंत तक भारत दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

अब इसे लेकर मीडिया में सुर्खियां बन रही हैं। भारत के चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के इन दावों के बीच कुछ लोगों का कहना है कि भारत एक विशाल आबादी के साथ आर्थिक रूप से सही दिशा में प्रगति कर रहा है। जबकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी के बारे में दावा करने में जल्दबाज़ी करने की ओर इशारा किया। बीबीसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल महीने में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में भी अनुमान लगाया था कि 2025 तक भारत 4.187 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। वहीं, सुब्रह्मण्यम ने दावा ही कर दिया, इस वक़्त हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। भारत जीडीपी के मामले में जापान से बड़ा है। हालांकि आईएमएफ़ के डेटा से पता चलता है कि यह बयान थोड़ा पहले ही दे दिया गया। हकीकत में भारत 2025 के अंत तक नॉमिनल जीडीपी के मामले में जापान से आगे निकलकर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।

यहां बता दें कि नॉमिनल जीडीपी का आंकलन, दरअसल महंगाई दर को समायोजित करके किया जाता है। जबकि बिना इसके की गणना रियल जीडीपी कहलाती है। जबकि विरमानी ने कहा, भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की प्रक्रिया में है। सुब्रह्मण्यम के बयान पर उन्होंने कहा, यह एक जटिल सवाल है।  आर्थिक मामलों के जानकार भी कहते हैं कि भारत जल्द चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, इसमें कोई दो राय नहीं। पॉलिसी और जियोपॉलिटिक्स स्ट्रैटेजिस्ट सिद्धार्थ के मुताबिक हाल के सालों में भारत की प्रति व्यक्ति आय अधिकांश यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है।

जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे अरुण कुमार के मुताबिक नॉमिनल जीडीपी का जापान से आगे निकलना, आईएमएफ़ का प्रोजेक्शन है और दावा करने में जल्दबाज़ी की गई। किसी देश की अर्थव्यवस्था की सेहत जांचने का एक आम तरीक़ा जीडीपी की गणना है। जो आम तौर पर डॉलर में होती है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार में उतार-चढ़ाव चलता रहता है। आईएमएफ़ ने 2025 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाते महंगाई दर के 4.2 प्रतिशत होने की बात कही है। ऐसे में अगर ये आंकड़े स्थिर नहीं रहे तो फिर स्थिति वही हो जाएगी। जबकि सुब्रह्मण्यम का कहना है कि अगर भारत अपनी प्लानिंग और सोच-समझ के मुताबिक़ काम करता है, तो उसे तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में महज 2-3 साल लगेंगे। आईएमएफ की अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा ग्रोथ के हिसाब से नॉमिनल जीडीपी के मामले में 2028 तक भारत जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। वहीं, अमेरिका और चीन दुनिया की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं बनी रहने वाली हैं.

प्रोफ़ेसर अरुण के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ़ वॉर से दुनिया की अर्थव्यवस्था का कितना नुकसान होने वाला है, उसका बस अंदाज़ा लगाया जा रहा है। इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। जीडीपी और संपन्नता में बढ़ती ग़ैर-बराबरी को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। हाल में पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान अचानक सीज़फ़ायर के बाद सरकार चाहती है कि उसकी छवि एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभरे और उस पर चर्चा हो। यह पूरी तरह राजनीतिक प्रतीत होता है। भारत की प्रति व्यक्ति आय जापान का 15वां हिस्सा ही है। वहीं, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि जापान की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है। वर्ल्डोमीटर्स वेबसाइट के अनुसार, 2025 के अंत तक जापान की प्रति व्यक्ति जीडीपी 33,806 डॉलर होने का अनुमान है. जबकि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग 2,400 डॉलर होगी, जो कि कीनिया, मोरक्को, लीबिया, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से भी कम है।

———

 

Leave a Comment