सरकारी गाड़ी की टकरार में नेता तो नेता और अधिकारी भी कम नहीं, ऐसे हो रही जनता के पैसों की बर्बादी

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लुधियाना नगर निगम में सरकारी कार को लेकर नया तकरार

लुधियाना 20 फरवरी। लुधियाना का नगर निगम विभाग अक्सर ही घोटाले को लेकर चर्चा में रहता है। फिर चाहे वह आठ करोड़ का स्कैम हो, चाहे अफसरों द्वारा अपने रिश्तेदारों को ठेकेदार बनाना हो और चाहे सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे का मामला होगा, आए दिन निगम अपने अवैध कार्यों को लेकर सुर्खियों में रहता है। अब नया मामला सीनियर डिप्टी मेयर राकेश पराशर को दी गई सरकारी गाड़ी को लेकर सामने आया है। यह मामला सीनियर डिप्टी मेयर राकेश पराशर व डिप्टी मेयर प्रिंस जोहर की मुंछ सवाल का बन गया है। चर्चा है कि शायद बाहुबली लीडर न होने के चलते डिप्टी मेयर को कार नहीं मिली है। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल की पीए नीतू को भी सरकारी इनोवा कार मिली हुई है। हैरानी की बात तो यह है कि निगम के कई बड़े पद पर मौजूद अधिकारियों को छोटी गाड़ियां मिली हुई है तो कोई किराए पर ली कारों पर काम करते है। लेकिन दूसरी तरफ पीए को सरकारी गाड़ी देना कही न कही बड़े सवाल खड़े कर रहा है।

जोनल कमिश्नरों को मिली है बोलेरो व किराए की गाड़ियां
चर्चा है कि एक तरफ निगम कमिश्नर की पीए नीतू को सरकारी इनोवा कार मिली हुई है। लेकिन दूसरी तरफ सरकार द्वारा बड़े पदों पर तैनात किए जोनल कमिश्नर नीरज जैन छोटी गाड़ी यानि कि बोलेरो में आते है, वहीं दूसरी तरफ जोनल कमिश्नर जसदेव सिंह सेखों को विभाग द्वारा किराए पर ले रखी इनोवा कार दी हुई है। हैरानी की बात तो यह है कि एक तरफ अधिकारी खुद छोटी गाड़ियों व किराए की कारों में आते हैं, दूसरी तरफ एक पीए को बड़ी कार दे रखी है।

पीए के कहने पर निगम का के कार्य चलने की चर्चा
चर्चा है कि निगम कमिश्नर की पीए के कहने पर ही निगम के सभी कार्य होते हैं, फिर चाहें व किसी अधिकारी की बदली करानी हो या किसी फाइल को पास कराना हो। चर्चा है कि कमिश्नर की इस पीए के आदेशों पर ही कौन से फाइल कहा से निकलनी है, किस फाइल को कौन से अधिकारी को देना है और किस अधिकारी का तबादला कहा करना है, यह सभी फैसले पीए द्वारा ही किए जाते हैं। लोगों में चर्चा है कि आखिर पीए के पास ऐसी कौन सी पावर है, जिसके चलते उसका आने जाना खर्च सरकार उठा रही है।

सरकारी खर्च पर घूमती है पीए
चर्चा है कि पीए नीतू को सरकारी गाड़ी दे रखी है। पीए के घर आने जाने व घूमने के लिए वहीं कार इस्तेमाल की जाती है। जबकि सरकार द्वारा उसका पूरा खर्च किया जा रहा है। लोगों में चर्चा है कि आखिर पीए पर इतनी मेहरबानी क्यों की जा रही है, यह शहर में चर्चा छिड़ी हुई है।

प्रोटोकॉल के तहत नहीं मिल सकती कार
वहीं अगर बात करें सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर की तो यह पॉलीटिक्ल पोस्ट है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि जिसके बावजूद सीनियर डिप्टी मेयर को किस आधार पर कार दे दी गई है। वहीं अब चर्चा है कि डिप्टी मेयर प्रिंस जोहर के गुट द्वारा भी सरकारी गाड़ी लेने का प्रयास किया जा रहा है। चर्चा यह भी छिड़ी है कि डिप्टी मेयर को भी सरकारी गाड़ी दी जाए नहीं तो सीनियर डिप्टी मेयर की कार भी वापिस ली जाए। हालांकि यह राजनेता जनता के रोल मॉडल होते है, क्या जनता के रोल मॉडल इस तरह के काम कर रहे है। वहीं सीनियर डिप्टी मेयर राकेश पराशर अपनी अच्छी छवि के लिए पहचान रखते हैं, उन पर एक कार को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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