अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे, क्या बाहुबली-तहसीलदार ने अनजाने में कर डाला 140 करोड़ रुपये का खेला !

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लुधियाना वेस्ट तहसील में एनआरआई की करा दी जाली रजिस्ट्री, मामला नूरपूर गांव की करोड़ों की जमीन का

लुधियाना 19 फरवरी। महानगर में बेशकीमती जमीनों को साम-दाम, दंड और भेद की नीति अपनाने का ‘खेला’ जारी है। ताजा बड़ा-घपला लुधियाना वेस्ट तहसील आफिस से सामने आया है। यहां नूरपूर गांव में लगती करीब 14 कनाल की बेशकीमती जमीन की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा किया गया।

ऐसे किया सारा फर्जीवाड़ा :

बताया जाता है कि इस जमीन की मलकीयत दीप सिंह के नाम पर है, जो कनाडा में रहते हैं। लुधियाना में करोड़ों की जमीन की खरीद-फरोख्त करने वाले पंचूकला के दीपक गोयल नाम के व्यक्ति ने इस जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करा ली। बताते हैं कि यह रजिस्ट्री लुधियाना वेस्ट के तहसीलदार जगसीर सिंह से कराई गई। इस पूरी धांधलेबाजी में जाली दीप सिंह नाम के व्यक्ति को खड़ा करके इस पूरे स्कैम को अंजाम दिया गया। इस बेशकीमती जमीन की कीमत करीब 140 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। जाली रजिस्ट्री का यह पूरा मामला इसी 11 फरवरी को अंजाम दिया गया।

ऐसे पकड़ में आया :

सूत्रों की मानें तो जब फर्जीवाड़ा करने वाले पटवारी से इंतकाल-फर्द लेने गए तो मामला पकड़ में आ गया। दरअसल पटवारी जमीन के असली मालिक यानि एनआरआई को जानता था। जिसके बाद पटवारी ने तहसीलदार जगसीर सिंह से बात की गई। तब इस रजिस्ट्री को जमीन मालिक के नाम से लगाए गए आधार व पैन कार्ड की कापी को खंगाला गया। इस जांच में ये दस्तावेज भी बोगस पाए गए। जिसके बाद दीपक गोयल को बुला ओरीजनल रजिस्ट्री भी तहसीलदार ने  अपने पास रोक ली गई। बताया जाता है कि इस पूरे सौदे की रजिस्ट्री में जिन बैंकर्स चैक को ब्यौरा दिया गया था, वो भी रोक लिए गए और पक्के में किसी भी तरह की पैमेंट का भी लेनदेन नहीं किया गया।

अब लीपापोती की कवायद !

बताते हैं, जब घोटाला पिटारे से बाहर आ गया तो अब खरीददार दीपक गोयल को बचाने की भी कवायद शुरु हो गई। सुनने में आ रहा है कि तहसीलदार की ओर से इस जाली रजिस्ट्री मामले में एफआईआर को पीएयू थाने में शिकायत भेज दी गई है। चर्चा है कि इस पूरे सौदे में साउथ सिटी के कुछ प्रॉपर्टी डीलर्स की भूमिका संदिग्ध बनी है। जिनकी ओर से इस डील को अंजाम करने के लिए दीप सिंह नाम के जाली व्यक्ति को खड़ा कर उसके नाम से जाली आईडी बनवाए। इस रजिस्ट्री में एक गवाही चर्चित प्रोपर्टी डीलर की भी है। जबकि एक गवाही किसी एडवोकेट की है।

चर्चाओं में रहा बाहुबली तहसीलदार :

इस जाली रजिस्ट्री कांड के बाद तहसीलदार जगसीर सिंह फिर चर्चा में है। बताते हैं कि पिछली कांग्रेस सरकार में यह तहसीलदार इतना पावरफुल था कि मंत्री से नजदीकी के चलते बाकी तहसीलदारों ही नहीं, एसडीएम और कई बड़े अफसरों के तबादले चुटकियों में करा देता था। लोगों तो यहां तक दावा करते हैं कि अगर इस चर्चित तहसीलदार की प्रोपर्टी की सीबीआई से जांच कराई जाए तो करोड़ों की बेनामी संपत्तियों का सुराग मिल सकता है।

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