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इसे लेकर तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के साथ बीबीसी के मुताबिक आईएमएफ़ ने
कहा कि वो ‘पर्यावरणीय जोखिमों और प्राकृतिक आपदा’ से निपटने की पाकिस्तान की कोशिशों का समर्थन जारी रखेगा। उसने संकेत दिया कि भविष्य में 1.4 अरब डॉलर की अगली किश्त भी पाकिस्तान को मिलेगी। इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ भारत ने सवाल खड़े कर दो कारणों का हवाला दिया। उसने सुधारात्मक उपायों को लागू करने में पाकिस्तान के ‘ख़राब रिकॉर्ड’ को देखते हुए इस तरह के बेलआउट के ‘प्रभावी होने’ पर सवाल उठाया। हालांकि इससे भी महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि इस फ़ंड का इस्तेमाल ‘सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद’ में हो सकता है। जबकि इसे पाकिस्तान लगातार खारिज करता रहा है। भारत के अनुसार आईएमएफ़ खुद की और अपने डोनोर्स की ‘प्रतिष्ठा को जोखिम’ में डाल ‘वैश्विक मूल्यों का मज़ाक’ बना रहा है। बीबीसी के मुताबिक आईएमएफ़ ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी।