वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजी से बनेगा यूपी कचरा मुक्त प्रदेश

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जनहितैषी, 10 फरवरी, लखनउ। प्रदेश के नगरीय निकाय निदेशालय में वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजी फोरम के तहत् कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न कम्पनियों द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन), वेट वेस्ट प्रबंधन (गीला अपशिष्ट प्रबंधन), स्रोत पृथक्करण, प्लास्टिक और गीले कचरे से खाद बनाना, लिचेट ट्रीटमेंट, वेस्ट टू एनर्जी आदि पर चर्चा की गई। कंपनियों ने अपशिष्ट निस्तारण, वाटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में बेहतर कार्य के साथ ही दूसरे राज्यों में अपनाई जा रही आधुनिक तकनीक व सर्वाेत्तम प्रथाओं पर भी चर्चा की गयी।

वेस्ट टू वर्थ टेक्नोलॉजी फोरम की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख सचिव श्री अमृत अभिजात ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को तकनीक आधारित विधियों को अपनाते हुए कचरा मुक्त बनाना है। कार्यशाला में लगभग 40 कंपनियों ने अपशिष्ट प्रबंधन एवं निस्तारण की तकनीक आधारित विधियों पर चर्चा की। साथ ही अन्य राज्यों के भी अनुभव साझा किये गए, जिससे प्रदेश में तकनीक आधारित अपशिष्ट प्रबंधन और निस्तारण में सहायता मिलेगी। उन्होंने कार्यशाला में आयी सभी कंपनियों और प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए बताया कि प्रयागराज महाकुम्भ में लगभग 1500 टन रोज कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है।

प्रदेश की कुल 86 लिगेसी साइट्स में से 58 को विलोपित करते हुए पार्क और मियावाकी वन क्षेत्र में परिवर्तित किया गया है। 22 साइट्स पर निस्तारण कार्य किया जा रहा है, वहीं 02 की टेंडर प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि 103.65 मीट्रिक टन लिगेसी वेस्ट का निस्तारण किया जा चुका है। 40,185 ट्विनबिन स्थापित किये गए हैं। 70 हज़ार सीट से अधिक कम्युनिटी/पब्लिक टॉयलेट बनाने के साथ ही, 09 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालय बनाये गए हैं। 750 एमआरएफ प्लांट, 25 एमएसडब्ल्यू प्लांट्स के साथ ही 899 कम्पोस्ट पिट्स स्थापित किये गए हैं। वहीं 05 वेस्ट तो एनर्जी व सी एंडडी वेस्ट प्लांट लगाए गए हैं।

वर्तमान में 03 टेंडर को स्वीकृति मिली है और 18 यूडब्ल्यूएम प्लांट के टेंडर जल्द ही किये जायेंगे। वहीं डब्लूटीइ एण्ड सीबीजी की स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 600 टीपीडी का डब्लूटीइ प्लांट संचालित है और 3150 टीपीडी के प्लांट (गोरखपुर, वाराणसी, आगरा, अलीगढ, मुज़फ्फरनगर, मेरठ) निर्माणाधीन है। वहीं 1700 टीपीडी के 05 सीबीजी प्लांट (लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, गाजियाबाद और कानपुर) निर्माणाधीन हैं। वहीं 1150 टीपीडी के सीबीजी और 2650 टीपीडी के डब्लूटीई प्लांट स्थापित करना प्रस्तावित है।

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