-सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम का मसौदा भी तैयार
सोनीपत, 08 मई। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) के सचिव प्रचेता सिंह ने जानकारी दी कि डीएलएसए और जिला बाल संरक्षण अधिकारी डॉ. रितु गिल के प्रयासों से एक मानसिक दिव्यांग बच्चा चार वर्षों बाद अपने परिजनों से मिल सका।
प्रचेता सिंह ने बताया कि डॉ. रितु गिल जब दिव्यांग सेवा समिति, गोहाना के बच्चों को आधार कार्ड और फैमिली आईडी बनवाने के लिए आधार केंद्र पर लेकर गईं, तो उनमें अंकित नाम का एक बच्चा भी शामिल था। फिंगरप्रिंट स्कैन करने पर पता चला कि उसका आधार कार्ड पहले से ही 2021 में बन चुका है।
जब आधार कार्ड में दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो पता चला कि यह बच्चा कोरोना काल (2021) के दौरान लापता हो गया था। मूल रूप से उत्तर प्रदेश निवासी यह परिवार वर्तमान में गन्नौर में रह रहा है। डीएलएसए सचिव द्वारा विधिवत प्रक्रिया के तहत परिजनों को बुलाकर उन्हें बच्चे को सुपुर्द कर दिया गया। परिजनों ने इस मानवीय पहल के लिए डीएलएसए का आभार प्रकट किया।
सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम का मसौदा तैयार
डीएलएसए सचिव प्रचेता सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी विवादों का स्थानीय स्तर पर समाधान निकालने के उद्देश्य से सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया गया है। इसके तहत महलाना गांव के कम्युनिटी सेंटर को मध्यस्थता केंद्र के रूप में चुना गया है।
इस कार्यक्रम में जिला एडीआर (वैकल्पिक विवाद समाधान) केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। एडीआर केंद्र द्वारा ग्रामीण स्तर पर एक नौ सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसके सदस्य कुलदीप सिंह, सुनीता देवी, जगदीश बालियान, ओमप्रकाश रंगा, महावीर सिंह बुधवार, सतपाल, राजवीर, राजवीर सिंह आर्य, और राम सिंह त्यागी हैं।
यह पहल ग्रामीण स्तर पर विवादों के सुलझाव को सहज बनाएगी, न्यायालयों के अनावश्यक बोझ को कम करेगी और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देगी।