मुद्दे की बात : कोलंबिया जैसा हौंसला क्यों नहीं दिखा सका भारत ?  

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अमेरिका से अपने लोग लाने को कोलंबिया की तरह भारत ने क्यों नहीं भेजा विमान ?

अमेरिका में अवैध तरीके से रहने वाले दूसरे देशों के नागरिकों को डिपोर्ट करने के मुद्दे पर सियासत भी गर्माई हुई है। भारत डिपोर्ट किए लोगों को अमेरिकी सेना के हवाई जहाज में हथकड़ियां-बेड़ियां पहनाकर भेजा गया। जबकि कोलंबिया ने अपने नागरिक लाने के लिए सामान्य हवाई जहाज भेजा था। ऐसे में अहम सवाल यही है कि आखिर भारत ने कोलंबिया की तरह अपने लोग सम्मानजनक तरीके से अमेरिका से वापस लाने को सामान्य जहाज क्यों नहीं भेजा।

अब जरा, मीडिया रिपोर्टस और बीबीसी की रपट गौर करें। इस बाबत 18 साल के ख़ुशप्रीत सिंह ने अमेरिका से भारत पहुंचने के बाद बताया कि उन्होंने हमें हथकड़ी पहनाई। हमें बताया गया कि वो हमें वेलकम सेंटर ले जा रहे हैं, लेकिन कुछ देर बाद हमारे सामने सेना का विमान खड़ा था। हरियाणा के कुरुक्षेत्र ज़िले से ख़ुशप्रीत सिंह छह महीने पहले 45 लाख रुपये खर्च कर अमेरिका चले गए थे। अब अमेरिकी सरकार ने उन्हें अवैध प्रवासी बताते हुए वापस भारत भेज दिया है। वह अकेले नहीं हैं, जिनके साथ ऐसा बर्ताव किया गया हो। बीते बुधवार को 104 भारतीय अमेरिकी सैन्य विमान से भारत पहुंचे, इनमें से ज़्यादातर लोगों की आपबीती ख़ुशप्रीत से मिलती-जुलती है।

संसद में भारतीयों के साथ इस तरह के बर्ताव की बात उठी। कांग्रेस ने कहा कि जब कोलंबिया जैसा छोटा सा देश और उनके राष्ट्रपति अमेरिका को लाल आंख दिखा सकते हैं तो भारत सरकार क्यों नहीं ? कोलंबिया ने अपने नागरिकों को वापस भेजने के तरीके पर खुलकर विरोध किया। वहीं, भारत ने इसे सालों से चली आ रही प्रक्रिया बताया। कोलंबिया दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में फ़ैला एक देश, जिसका कुछ हिस्सा उत्तरी अमेरिका में भी आता है। कोलंबिया की सीमा पर पनामा-कोलंबिया के बीच ख़तरनाक जंगली इलाक़ा डेरियन गैप है। अमेरिका में बढ़ते अवैध आप्रवासन के कारण डैरियन गैप और कोलंबिया चर्चा में बने रहते हैं।

बीते दिनों जब अमेरिका ने कोलंबिया के लोगों को वापस भेजा तो राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने कड़ा रुख़ अपनाया। जनवरी में अमेरिका ने कोलंबिया के नागरिकों को सैन्य विमान से वापस भेजा तो गुस्तावो पेत्रो ने इसे अपने देश में लैंड नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि वह अपने साथी नागरिकों को सामान्य नागरिक विमानों में लेकर आएंगे और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं होने देंगे। डोनाल्ड ट्रंप कोलंबिया के इस क़दम से इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने कोलंबिया पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की घोषणा कर दी।

ट्रंप ने कहा कि एक हफ़्ते में 25 प्रतिशत टैरिफ़ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाएगा। पैत्रो ने पलटवार किया कि वह भी इस तरह की जवाबी कार्रवाई करेंगे। बाद में व्हाइट हाउस ने कहा कि कोलंबिया अब अमेरिकी सैन्य विमानों से आने वाले प्रवासियों को स्वीकार करने के लिए सहमत हो गया है। इसलिए अमेरिका टैरिफ़ के साथ आगे नहीं बढ़ेगा। दोनों देशों के राजनयिकों के बीच एक समझौता हुआ। जिसके तहत कोलंबिया ने प्रवासियों को लाने के लिए अपने वायु सेना के विमान भेजे। पेत्रो ने एक्स पर लिखा कि वे कोलंबियाई हैं, स्वतंत्र और सम्मानित हैं। इधर, भारत में लोगों ने अपना ग़ुस्सा तब ज़ाहिर किया, जब अमेरिका ने भारतीयों को वापस भेजने का वीडियो जारी किया। वीडियो में भारतीयों के मुंह पर मास्क, हाथ में हथकड़ी और पैर में बेड़ियां दिख रही हैं।

यूनाइटेड स्टेट्स बॉर्डर पेट्रोल के चीफ़ माइकल डब्ल्यू बैंक्स ने वीडियो के साथ अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि भारत के अवैध एलियंस को सफलतापूर्वक वापस भेज दिया गया। कांग्रेसी सांसद रणदीप सुरजेवाला ने सरकार से सवाल पूछा कि क्या यह व्यवहार मानवीय है या आतंकवादियों जैसा है ?

जब कोलंबिया जैसा छोटा सा देश अमेरिका को लाल आंख दिखा सकता है तो आप क्यों नहीं ? आप सांसद संजय सिंह ने पूछा कि क्या आगे अपना विमान भेजकर भारतीय नागरिकों को वापस लाने की कोई योजना है ? सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने भी एक्स पर लिखा कि भारत को अमेरिकी व्यवहार को स्वीकार नहीं करना चाहिए था।

इस पूरे मामले पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में सरकार का पक्ष रखते कहा कि वापस भेजने की प्रक्रिया कोई नई नहीं है, बल्कि सालों से ऐसा हो रहा है। हम अमेरिकी सरकार के साथ बात कर रहे हैं कि जिन्हें वापस भेजा जा रहा है, उनके साथ फ्लाइट में अमानवीय व्यवहार नहीं होना चाहिए। डॉ. मनन द्विवेदी भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं। उनके मुताबिके भारत और कोलंबिया की तुलना से पहले हमें अमेरिका के साथ दोनों देशों के रिश्ते समझने होंगे। भारत हमेशा अमेरिका के साथ अपने संबंधों को आगे ले जाने पर ज़ोर देता है। अगर आपको अमेरिका के साथ संबंध अच्छे रखने हैं तो आपको उनकी बात माननी पड़ेगी.”

कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सूरत सिंह के मुताबिक हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां डालना’ अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के ख़िलाफ़ है। भारत की तुलना में कोलंबिया का रुख़ बेहतर था। ट्रंप जब धमका रहे थे, तब भारत सरकार को बैठकर बातचीत करनी चाहिए थी और समय मांगना चाहिए था।

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