पिहोवा की पूजा कॉलोनी निवासी एक युवक की विदेश में हुई थी मौत
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गमगीन माहौल में किया संस्कार, परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
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सांसद नवीन जिंदल व जालंधर निवासी इकबाल सिंह भट्टी के प्रयासों से डेड बॉडी पहुंची भारत
मेवा सिंह राणा
पिहोवा । आखिर 3 महीने बाद फ्रांस से युवक की डेड बॉडी उसके घर पर पिहोवा पहुंची। परिजनों ने गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया। पूजा कॉलोनी निवासी युवक सुशील कुमार की 3 महीने पहले विदेश में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। लगभग 3 महीने बाद सांसद नवीन जिंदल की सहायता से युवक की डेड बॉडी घर पहुंची। वही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है। सुशील के शव का आज गमगीन माहौल में संस्कार किया गया। मृतक के बडे भाई बलराम ने जानकारी देते हुए बताया कि उसका छोटा भाई सुशील कुमार जनवरी 2024 में विदेश में गया था। और 16 फरवरी 2025 को उनके पास फोन आया कि आपके भाई सुशील कुमार की मौत हो गई है।उन्होंने कहा कि उनके भाई की मौत के कारणों का अभी तक उनको पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि उनके पास डेड बॉडी मंगवाने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई और सांसद नवीन जिंदल के प्रयासों से आज लगभग 3 महीने बाद सुशील की डेड बॉडी घर पहुंची है और उसके भाई सुशील के शव का आज अंतिम संस्कार किया गया है।
युवक 8 जनवरी 2024 को गया था पेरिस
पिहोवा की पूजा कॉलोनी निवासी 28 वर्षीय युवक सुशील कुमार 8 जनवरी 2024 को पेरिस (फ्रांस) गया था। 2 सप्ताह पहले ही 8 फरवरी को सुशील की उसके भाई सौरव से बातचीत हुई थी। 11 फरवरी को अपने बड़े भाई संदीप के जन्मदिन की स्टोरी अपनी फेसबुक पर शेयर की थी। उसके बाद सुशील का फोन बंद हो गया। परिजन उसे कॉल करने का प्रयास करते रहे लेकिन उनकी युवक से कोई बात नहीं हुई।
फ्रांस से मकान मालिक से प्राप्त हुई थी मौत की खबर
युवक की मौत की खबर फ्रांस से मकान मालिक द्वारा दी गई थी।मृतक के भाई सौरव ने बताया कि जब उनकी सुशील से बात नहीं हुई तो उसके साथ कमरे में रहने वाले साथी से बातचीत करने की कोशिश की गई लेकिन उससे भी संपर्क नहीं हुआ। तब 15 फरवरी को मकान मालिक ने उसके भाई के फंदा लगाकर सुसाइड करने की सूचना दी। उनको मकान मालिक की बात पर विश्वास नहीं है, क्योंकि 8 फरवरी को सुशील उनके साथ सामान्य बातचीत कर रहा था। 11 फरवरी को उसने फेसबुक पर भाई के जन्मदिन की स्टोरी शेयर की थी।
मृतक युवक सुशील पेरिस में कपड़ों के शोरूम में करता था काम
सुशील पेरिस में कपड़े के शोरूम पर काम करता था। यह शोरूम किसी पाकिस्तानी मालिक का है। उसने पाकिस्तानी व्यक्ति से बातचीत की थी। उसने भी सुशील के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया है। वे बार-बार उस पाकिस्तानी को भी कॉल कर रहे हैं, मगर पाकिस्तानी भी उनका फोन नहीं उठा रहा है।
पिता की रिटायरमेंट के पैसे से भेजा था फ्रांस
सुशील के पिता जगदीश चंद रोडवेज विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी रहे हैं। विभाग से रिटायर होने के बाद मिले पैसे और कर्ज लेकर उन्होंने सुशील को फ्रांस भेजा था। सुशील के सहारे पर उनका घर-परिवार का गुजारा हो रहा था। सुशील की मौत से परिवार पर आर्थिक संकट छा गया है।
सांसद जिंदल व पंजाब निवासी
इकबाल भट्टी के प्रयासों से डेड बॉडी आई भारत
जगदीश चंद के मुताबिक, सुशील की बॉडी मंगवाने के लिए 20-22 लाख रुपए का खर्च आना था। उनके पास इतने पैसे की गुंजाइश ही नहीं है। वे खुद हार्ट पेशेंट है। करीब 5 महीने पहले ही उनका हार्ट का ऑपरेशन हुआ है। परिजनों ने सांसद नवीन जिंदल से इस बारे में गुहार लगाई और विदेश मंत्रालय से संपर्क किया। इसके बाद सांसद नवीन जिंदल और पंजाब के जालंधर के इकबाल सिंह भट्टी ने बॉडी के प्रयासों से डेड बॉडी को भारत लाया गया।
परियों ने नवीन जिंदल इकबाल सिंह भट्टी का आभार प्रकट किया। 3 महीने बाद सुशील का आज अंतिम संस्कार किया गया।
फोटो कैप्शन : युवक का फाइल फोटो व अंतिम संस्कार करते परिजन।