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एसई और एक्सियन भी रिश्तेदारों पर वार रहे 100 करोड़, आईवॉश के लिए एक और एसआईटी गठित

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लुधियाना नगर निगम के अधिकारियों का एक अनोखा कारनामा

लुधियाना 3 फरवरी। लुधियाना नगर निगम के कारनामे इतने हैं कि अब तो शहर में कोई घोटाला हो तो लोग निगम की तरफ देखने लग जाते हैं। यह हालात किसी और ने नहीं बल्कि निगम अधिकारियों द्वारा ही बनाए गए हैं। एक के बाद एक घोटाले उजागर होने से लगता है कि शायद निगम अफसरों द्वारा इनमें मास्टर डिग्री कर ली गई है। अधिकारियों का अब एक और कारनामा सामने आया है। चर्चा है कि एसई और एक्सियन लेवल के अधिकारियों द्वारा अपने रिश्तेदारों पर 100 करोड़ रुपए वार दिए जा रहे हैं। यह पैसा उनकी और से अपनी जेब से नहीं बल्कि सरकारी खजाने से निकालकर वारा जा रहा है। चर्चा है कि अधिकारियों द्वारा सर्विस रूल्स को तोड़ते हुए अपने रिश्तेदारों को ही नगर निगम में ठेकेदार रख लिया गया है। जिसके बाद उनके जरिए 100 करोड़ से अधिक का काम करवाकर पेमेंट भी अदा कर दी गई है। जिसके चलते अब इस मामले का खुलासा हुआ। जिसके बाद अब एडिशनल कमिश्नर की और से मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है। लेकिन अब देखना होगा कि यह एसआईटी सच सामने ला सकेगी या सिर्फ आईवॉश होगा।

तीन सदस्सीय कमेटी या आईवॉश
जानकारी के अनुसार इस घोटाले की जांच के लिए तीन सदस्सीय कमेटी गठित की गई है। जिसमें बीएंडआर के अधीक्षण इंजीनियर शाम लाल गुप्ता, रणजीत सिंह और कार्यकारिणी इंजीनियर बलविंदर सिंह को मेंबर बनाया गया है। चर्चा है कि पहले आठ करोड़ के घोटाले को छिपाने के लिए एसआईटी गठित की गई थी, लेकिन उसमें भी मामला उजागर नहीं किया। इसी तरह अब आईवॉश के लिए फिर कमेटी बना दी गई है।

तीन कैटेगरी के ठेकेदार, तीनों में अफसरों के रिश्तेदार शामिल
जानकारी के अनुसार नगर निगम में लोकल बॉडी विभाग पंजाब द्वारा 2014 में एक सर्विस रूल बनाया गया था। जिसमें तीन कैटेगरी ए, बी, सी है। जबकि तीनों कैटेगरी में निगम के एक एसई और एक्सियन द्वारा अपने रिश्तेदारों की भर्ती कर ली गई। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि उच्च अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

अधिकारी को नौकरी छोड़ना-ठेकेदार बाहर करने का नियम
जानकारी के अनुसार 2014 में बने इन नियमों का अच्छे तरीके से पालन किया जा रहा था। इस नियम के तहत निगम का कोई भी अधिकारी या मुलाजिम अपने रिश्तेदार को ठेकेदार नहीं बना सकता। अगर कोई बनाएगा तो या तो अधिकारी को अपनी नौकरी छोड़नी होगा और या फिर अपने रिश्तेदार ठेकेदार को बाहर का रास्ता दिखाना होगा। तब किसी अधिकारी ने नियम नहीं तोड़ा। लेकिन करीब चार साल पहले एसई और एक्सियन द्वारा नियम तोड़ते हुए अपने रिश्तेदारों की धड़ल्ले से भर्ती की।

सबसे ज्यादा एसई के रिश्तेदार बने ठेकेदार
जानकारी के अनुसार एसई और एक्सियन द्वारा मिलकर करीब 12-13 रिश्तेदारों को ठेकेदार बनाया है। जिसमें सबसे ज्यादा एसई के 7-8 रिश्तेदार ठेकेदार बने हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इन अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को ठेकेदार बना अपने ही अधीन रखा है। वह उनके ठेके पास करते है और सभी मिलकर बड़े सत्र पर घोटाले कर रहे हैं।

पहल के आधार पर देते हैं टेंडर, पेमेंट भी मिल चुकी
इन अधिकारियों द्वारा ठेकेदार बने रिश्तेदारों को अपने अधीन रखकर उन्हें जमकर टेंडर दिलाए जाते हैं। जिसके बाद उनके काम भी पहल के आधार पर करवाकर पेमेंट भी अदा करवा दी गई है। चर्चा है कि चार साल में 100 करोड़ से अधिक के काम इन ठेकेदारों द्वारा किए गए हैं। अब देखना होगा कि अधिकारियों द्वारा इसकी जांच की जाएगी या नहीं।

उच्च अधिकारी आंखें मूदकर बैठे
वहीं अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की चैकिंग निगम कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर व एडिशनल कमिश्नर द्वारा की जानी होती है। लेकिन चर्चा है कि एसई व एक्सियन द्वारा किए जा रहे अवैध कार्यों का हिस्सा ऊपर तक जाता है। जिसके चलते अधिकारियों द्वारा न तो इस मामले में आवाज उठाई गई और न ही मामले को उजागर किया गया। अब देखना होगा कि निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल क्या इस मामले में अपने अधिकारियों पर कार्रवाई करेगें या नहीं।

इंडस्ट्री की 100 करोड़ टर्नओवर करने में लग जाते है कई साल
लुधियाना एक इंडस्ट्रियल हब है। जहां पर किसी साइकिल व होजरी इंडस्ट्री की 100 करोड़ टर्नओवर करने में कई साल बीत जाते है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि निगम में मात्र चार साल में 100 करोड़ रुपए का चुना लगा दिया गया। अधिकारियों द्वारा इसे आसान कमाई का साधन बना रखा है।

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