लुधियाना 1 मई। रोज गार्डन रेनोवेशन के लिए अलॉट हुआ टेंडर जल्द कैंसिल हो सकता है। क्योंकि इसी 8.80 करोड़ कीमत के टेंडर में बिल्डिंग ब्रांच के एसई संजय कंवर और उसके बड़े साहब ने ठेकेदार हितेश अग्रवाल से 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की थी और विजिलेंस ने संजय कंवर को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद टेंडर की गलत अलॉटमेंट को लेकर विवाद हो गया। अब चर्चा है कि अब इस टेंडर को कैंसिल कर नए सिरे से अलॉटमेंट की पूरी प्रक्रिया की जा सकती है। वहीं सांसद संजीव अरोड़ा भी विकास कार्यों को बिना किसी देरी के कराना चाहते है, जिसके चलते वे दोबारा टेंडर जल्द करवाने के मूड में है। लेकिन अब नए टेंडर को लेकर भी शहर में चर्चा छिड़ी हुई है कि आखिर अब नया टेंडर कितने का आएगा और वे सही होगा या नहीं। क्योंकि चर्चा है कि असलियत में यह टेंडर 6 करोड़ का था। जिसे अधिकारियों ने अपनी हिस्सेदारी डालकर 8.80 करोड़ का बना दिया था।
6 करोड़ी टेंडर अफसरों की हिस्सेदार से 8.80 करोड़ बना
चर्चा है कि असलियत में रोज गार्डन रेनोवेशन कार्य का टेंडर 6 करोड़ का था। इस कीमत में भी ठेकेदार को काफी मुनाफा हो जाना था। लेकिन टेंडर में जेई से लेकर कमिश्नर तक की हिस्सेदारी थी। जिसके चलते इसे बढ़ाकर 8.80 करोड़ रुपए कर दिया। सीधे पौने तीन करोड़ बढ़ाने के चलते ही अधिकारी कमीशन के लिए इस टेंडर के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए थे।
हर टेंडर में जेई से लेकर कमिश्नर तक का होता है हिस्सा
चर्चा है कि सिर्फ रोज गार्डन ही नहीं बल्कि हर टेंडर में जेई से लेकर कमिश्नर तक का हिस्सा होता है। चर्चा है कि किसी भी टेंडर में करीब 12 प्रतिशत हिस्सेदारी अफसरों की होती है। जिसमें 2 प्रतिशत जेई, 2 प्रतिशत एसडीओ, 2 प्रतिशत एक्सियन, एक प्रतिशत एसई, एक प्रतिशत कमिश्नर, आधा प्रतिशत एडिशनल कमिश्नर, 2 प्रतिशत राजनेता और 2 प्रतिशत ऑडिट डिपार्टमेंट की होती है। ऐसे में जब जब टेंडर जिस अधिकारी के पास अप्रूवल के लिए पहुंचता है, उसे उसका हिस्सा मिलता रहता है। जबकि यह चूना सरकारी खजाने को लगता है और अफसरों की जेब भर्ती है।
रोज गार्डन टेंडर में अधिकारियों की थी 22 प्रतिशत हिस्सेदारी
चर्चा है कि रोज गार्डन की कीमत 6 करोड़ थी, लेकिन उसे बढ़ाकर 8.80 करोड़ किया, ताकि अधिकारियों के हिस्से में ज्यादा पैसा आ सके। इसमें एसई और उसके बड़े साहब ने तो सीधे सीधे अलग से 10 प्रतिशत कमीशन मांगी थी। इसके अलावा 12 प्रतिशत बाकी अफसरों को जाना था। यानि कि रोज गार्डन में 22 प्रतिशत को अफसरों का हिस्सा था। जिससे यह साबित होता है कि टेंडर की असली कीमत कम होती है, लेकिन इसे जानबूझकर बढ़ाया जाता है। रोज गार्डन टेंडर में भी बड़े साहब और एसई की बेनामी हिस्सेदारी थी। जिसके चलते दोनों इसके मगर पड़े थे।
कमिश्नर की एक्सियन पर खानापूर्ति की कार्रवाई
एसई संजय कंवर के पकड़े जाने के बाद निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल की और से एक्सियन बलविंदर सिंह पर कार्रवाई की गई है। लेकिन चर्चा है कि यह सिर्फ खानापूर्ति की कार्रवाई है। क्योंकि दिखावे के लिए उसके कामों में थोड़ा फर्क डाला गया है। लेकिन एक्सियन बलविंदर सिंह द्वारा आज भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के टेंडर अलॉट किए जा रहे हैं। जिसमें जमकर मिलीभगत चल रही है। चर्चा है कि एसई संजय कंवर के बड़े साहब को पोल खुलने का डर है, इसी लिए दिखावटी कार्रवाई की गई है।
शहरवासियों की नजर निगम कमिश्नर पर टिकी
वहीं रोज गार्डन टेंडर घोटाला होने और अब उसे नए सिरे से अलॉट करने को लेकर शहरवासियों की नजरें निगम कमिश्नर आदिच्य डेचलवाल पर टिकी हुई है। अब देखना होगा कि निगम कमिश्नर कैसे बिना भ्रष्टाचार हुए और 6 करोड़ में इस टेंडर को अलॉट कर सकेगें या नहीं।