लुधियाना 2 फरवरी : शनिवार को मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए बजट ने हर वर्ग को छूने का प्रयास किया गया ! हलांकि कारपोरेट सैक्टर और टैक्सटाइल सैक्टर इसे विकास का बजट बता रहे है वही वर्ल्ड मसमे फोरम के प्रेजिडेंट बदीश जिंदल मोदीसरकार के बजट 2025 को अमेरिका के प्रेशर का बजट की संज्ञा दे रहे है जिंदल का कहना है की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर 100 प्रतिशत कर लगाने की धमकी का असर इस बजट में कुछ हद तक देखने को मिला है। बजट में एक कस्टम नोटिफिकेशन संख्या 4/2025 जारी किया गया, जिसके अनुसार कई वस्तुओं पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को कम किया गया। इनमें कारों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 125 प्रतिशत से घटाकर 70 प्रतिशत, बसों पर 40 से 20 प्रतिशत, ट्रकों पर 40 से 20 प्रतिशत, मोटरसाइकिलों पर 100 से 70 प्रतिशत किया गया है। यहां तक कि साइकिल (परिवहन का एक सस्ता साधन) पर इम्पोर्ट ड्यूटी भी 35 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह, संगमरमर और टाइल्स पर 40 से 20 प्रतिशत, शराब बनाने की सामग्री पर 100 से 20 प्रतिशत, जूतों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 35 से 20 प्रतिशत की गई है। मोमबत्तियों, आभूषणों और सेमीकंडक्टर तथा फ्लेक्स शीट पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इन शुल्कों के लागू होने की तिथि 1 मई 2025 है। इसके अलावा इन अधिसूचनाओं में स्पष्टीकरण नोट जोड़े गए हैं, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि ड्यूटियों के साथ-साथ कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और डिवेलपमेंट सैस तथा सोशल वैलफेयर सरचार्ज भी 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया जाएगा। इसलिए, यह नरेन्द्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की आगामी यात्रा की तैयारी प्रतीत होती है। वहां वे दावा कर सकते हैं कि भारत अब कारों पर 125 प्रतिशत तथा मोटर साइकिलों पर 100 प्रतिशत कर नहीं लगा रहा है। इस तरह मोदी सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, एक तो मोदी सरकार राज्यों को कस्टम ड्यूटी में पूरा हिस्सा नहीं देगी क्योंकि एडिशनल ड्यूटी केंद्र सरकार अपने पास रखती है जबकि राज्यों को कस्टम ड्यूटी में हिस्सा मिलता है और दूसरा इससे ट्रंप को यह पता चल जाएगा कि भारत ने कस्टम ड्यूटी घटाने के उनके आदेश का पालन किया है। कस्टम ड्यूटी में कटौती से निश्चित रूप से भारत में फुटवियर, साइकिल और ऑटो सेक्टर पर असर पड़ेगा क्योंकि ऑटो सेक्टर मुश्किल दौर से गुजर रहा है। साइकिल और फुटवियर उद्योग को चीनी आयात का बड़ा खतरा है और इससे भारत में इसके विनिर्माण पर बुरा असर पड़ेगा।