केंद्र ने ‘चुनावी-चूल्हे’ पर ‘सियासी-तड़का’ लगा तैयार की बजट वाली बिहारी-डिश !
‘यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का बजट है। यह हर भारतीय के सपनों को पूरा करने वाला बजट है। हमने कई सैक्टर युवाओं के लिए खोल दिए। यह विकसित भारत के मिशन को ड्राइव करने वाला यह बजट आम आदमी के लिए है। यह हमारे लोगों के सपनों को पूरा करने वाला बजट बचत, निवेश, खपत और विकास को बढ़ाएगा।‘ हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बजट पर प्रतिक्रिया देते यह बताया कि उनकी सरकार ने बजट में किन क्षेत्रों को अहमियत दी है।
बजट को लेकर बीबीसी समेत अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अपना आठवां बजट पेश कर रहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स को लेकर अहम घोषणा की। बजट में कहा गया कि 12 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स फ्री रहेगी और अगर आप वेतनभोगी या सैलरीड क्लास हैं तो यह लिमिट 12 लाख 75 हज़ार रुपए है। दरअसल 75 हज़ार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह घोषणा इसलिए अहम है, क्योंकि टैक्स फ्री इनकम की सीमा को सीधे 5 लाख रुपए बढ़ाया गया है। तीसरे कार्यकाल में सत्ता के बाद आने के बाद मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में नई टैक्स रिजीम में टैक्स फ्री इनकम की सालाना लिमिट सात लाख रुपए रखी थी। सीतारमण ने यह भी कहा कि इस राहत से सरकारी खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
अब यहां काबिलेजिक्र है कि ऐसे में जबकि अर्थव्यवस्था की सेहत बहुत अच्छी नहीं है, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले भारत में आर्थिक ग्रोथ को लेकर चिंता जताई जा रही है। अगले साल इसका आंकड़ा पिछले चार सालों में सबसे कम होने का अनुमान है। जीडीपी गिर रही है, खपत घट रही है, खाद्य महंगाई ने लोगों को परेशान किया है। कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीदों से कम आए हैं, यहां तक कि तकरीबन 45 फ़ीसदी कंपनियों ने अपना गाइडेंस घटाया भी है और विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार डॉलर अपने घर ले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि घरेलू मांग को बढ़ाने व शहरी क्षेत्रों में मध्यम वर्ग की लगातार घटती खपत को बढ़ाने को यह कदम फ़ायदेमंद हो सकता है। नामी अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार के मुताबिक इनकम टैक्स में छूट एक नैरेटिव बिल्डिंग है, दिल्ली का चुनाव है। इससे महज 142 करोड़ लोगों में केवल उन दो ढाई करोड़ लोगों को ही फायदा होगा, जो मीडिया में हैं, सरकारी दफ़्तरों में काम करते हैं, बुद्धिजीवी हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में हैं। इसका अर्थव्यवस्था में ऐसा असर नहीं पड़ने वाला कि अचानक मांग बढ़ेगी, आर्थिक विकास को गति मिलेगी। यह भी रेवड़ी-कल्चर ही है, क्योंकि बढ़ते खर्चों के बीच आने वाले समय में इस छूट का क्या असर पड़ेगा, वो देखना होगा।
प्रोफेसर कुमार के मुताबिक आम बजट क़रीब 50 लाख करोड़ का होता है, इसलिए हर क्षेत्र में कुछ ना कुछ आवंटित किया जा सकता है। अगर असल में देखें तो रोज़गार पैदा करने वाले क्षेत्र जैसे ग्रामीण रोज़गार गारंटी स्कीम, शिक्षा व स्वास्थ्य है, वहां वास्तविक अर्थ में कटौती हो रही है। जैसे मनरेगा को पिछली बार की तरह ही 86 हज़ार करोड़ रुपये दिए गए, 5 प्रतिशत महंगाई दर को जो़ड़ें तो आवंटन में कमी हुई। एचडीएफ़सी बैंक की अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता के मुताबिक टैक्स कटौती से उपभोक्ताओं की मांग में इज़ाफ़ा होने की उम्मीद है। इसके अलावा खाद्य महंगाई से जूझ रहे मध्यम और निम्न आय वर्ग को राहत मिलेगी और उनकी बचत होगी। हालांकि रेटिंग एजेंसी मूडीज़ बहुत उत्साहित नहीं है। उसके अनुसार मध्यम वर्ग को राहत देने से भारत की आर्थिक ग्रोथ पर बहुत ज़्यादा असर नहीं होगा। थोड़े समय तो इसका असर दिख सकता है, लेकिन लंबी अवधि को लेकर अनिश्चितता है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ के कार्यकारी निदेशक अबनीश रॉय के मुताबिक सैलरीड क्लास की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ने से सभी तरह की कंज्यूमर कंपनियों को फ़ायदा होगा। डाबर इंडस्ट्रीज़ के मोहित मल्होत्रा ने इनकम टैक्स में राहत देने का सरकारी फ़ैसला सही माना।
सरकारी आंकड़ों, भारतीय रिज़र्व बैंक और कई निजी एजेंसियों ने माना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अभी सुस्ती है। वित्त मंत्री ने भी कहा है कि अगर भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाना है और 2047 तक विकसित देश की कैटेगरी में लाना है तो जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार हरगिज़ 8 फ़ीसदी से कम नहीं होनी चाहिए। नई इनकम टैक्स रिजीम में ज़ोर बचाने पर नहीं बल्कि खर्च करने पर है। बजट पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज जो हमने किया, उसकी तुलना 2014 में कांग्रेस सरकार के तहत किए गए कार्यों से करें तो दरों में बदलाव से 24 लाख रुपये कमाने वाले लोगों को भी फायदा हुआ है।
अक्सर चुनावों से पहले अपने घोषणा पत्रों में ‘फ्री-फ्री’ का राग अलापने वाले दल समय आने पर इन्हीं मुद्दों पर एक-दूसरे की बुराई करते नहीं थकते। यहां तक कि पीएम मोदी रेवड़ी-कल्चर को लेकर चिंता भी जता चुके हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव आते हैं उनकी पार्टी भी अपनी घोषणा पत्र में फ्री-फ्री का नारा देने लगती है। ऐसे में इनकम टैक्स में छूट का दायरा बढ़ाने से सरकार ने राजनीतिक दलों से ‘आलोचना’ का एक हथियार छीन लिया।
दिल्ली में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग वो है, जो उस श्रेणी में आता है, जिसे इनकम टैक्स में उठाए कदम से फ़ायदा होने वाला है। बीजेपी दिल्ली में 27 साल से सत्ता से बाहर है, ऐसे में इस कदम से वह सियासी लाभ की उम्मीद ज़रूर कर रही होगी। हरियाणा के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर नरेंद्र विश्नोई कहते हैं, दिल्ली में एक बड़ा वर्ग सर्विस क्लास में ही आता है। इस वर्ग को एक बड़ा तोहफा मिला है। इसका प्रभाव वोटिंग पैटर्न पर कितना पड़ेगा यह तो चुनाव बाद ही पता चलेगा, लेकिन भाजपा सरकार की छवि को लाभ जरूर मिलेगा।
इसके अलावा सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बहुत कम राज्यों के नाम लिया और जिसका सबसे अधिक नाम लिया, वो बिहार है। मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी पहने बजट भाषण पढ़ रहीं निर्मला ने कहा कि बिहार में मखाना बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसके अलावा वहां कुछ नए एयरपोर्ट बनाने का भी ऐलान भी किया। यहां याद दिला दें कि बिहार में बीजेपी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ गठबंधन सरकार में है और वहां इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं।
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