बच्चों को नहीं बेचे जा सकेंगे एनर्जी ड्रिंक्स 1 वर्ष के लिए लगी रोक

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लुधियाना, 27 अप्रैल : इन दोनों बच्चों में बड़ों में एनर्जी ड्रिंक्स के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है और इसे प्रचलित फैशन का एक हिस्सा मान लिया गया है यानी कि इस ड्रिंक को पीने से न जाने कैसी एनर्जी आ जाएगी छोटे बच्चे इन उत्पादों की एडवरटाइजिंग से काफी प्रभावित नजर आते हैं जिसे लेकर बाजार में उपलब्ध विभिन्न एनर्जी ड्रिंक की बिक्री दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है परंतु विशेषज्ञ इस चिंता के विषय मानते हैं  राज्य के फूड कमिश्नर ने बच्चों को एनर्जी ड्रिंक की बिक्री पर 1 वर्ष के लिए रोक लगा दी है सभी जिलों के सिविल सर्जन को लिखे पत्र में फूड कमिश्नर दिलराज सिं का कहना है कि कई फूड बिजनेस ऑपरेटर बच्चों को एनर्जी ड्रिंक बेचते हैं जिसके लेवल पर ही लिखा होता है कि यह बच्चों के लिए नहीं है उन्होंने बताया कि इसके रुझान को देखते हुए एनर्जी ड्रिंक की बच्चों को बिक्री के लिए  1 वर्ष के लिए रोक लगा दी है

नशो के प्रति रुझान बढ़ाते हैं एनर्जी ड्रिंक्स

कई विशेषज्ञ एनर्जी ड्रिंक्स के प्रभावों की तुलना कोकीन जैसी दवाओं के उपयोग से करते हैं।  ये आम तौर पर गैर-अल्कोहल पेय पदार्थ होते हैं जिनमें कैफीन, ग्वाराना, ग्लूकुरोनोलैक्टोन, टॉरिन, जिनसेंग, इनोसिटोल, कार्निटाइन, बी-विटामिन आदि मुख्य तत्व होते हैं जो उत्तेजक के रूप में कार्य करते हैं। हाल के वर्षों में, ऊर्जा बढ़ाने या आहार पूरक के रूप में भारतीय बाजार में कई अलग-अलग ऊर्जा पेय पेश किए गए हैं। इन पेय पदार्थों में कैफीन का उच्च स्तर होता है (प्रति सर्व में 80 मिलीग्राम तक के स्तर पर जोड़ा जाता है) जो तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है। मानसिक प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए ऊर्जा पेय में कैफीन मिलाया जाता है वैज्ञानिक समुदाय बच्चों द्वारा कैफीनयुक्त पेय पदार्थों तक संभावित पहुँच और कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों से अन्य उत्पादों में फोर्टिफिकेशन के कैरीओवर को लेकर चिंतित है। इससे नशो के प्रति रुझान की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है इसलिए, जिन उत्पादों में कैफीन घटक के रूप में होता है, उन्हें आमतौर पर बच्चों द्वारा आमतौर पर सेवन किए जाने वाले अन्य पेय पदार्थों में घटक के रूप में उपयोग करने से प्रतिबंधित किया जाता है।

सेहत को कर सकते हैं गंभीर नुकसान

कैफीन के हानिकारक प्रभावों की पहचान कई अध्ययनों द्वारा की गई है। ऊर्जा पेय के संभावित प्रतिकूल प्रभावों में उनके अवयवों के संबंध में कार्डियोवैस्कुलर, न्यूरोलॉजिकल,मनोवैज्ञानिक, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, मेटाबोलिक और किडनी पर होने वाले दुष्प्रभाव शामिल हैं

एनर्जी ड्रिंक्स निर्माता को करना होगा निर्धारित मापदंडों का पालन

आवश्यक संरचना: इसमें प्रति लीटर 145 मिलीग्राम से कम नहीं और प्रति लीटर 300 मिलीग्राम से अधिक कुल कैफीन नहीं होना चाहिए, चाहे वह उत्पाद के निर्माण में किसी भी स्रोत से प्राप्त हो। लेबल पर प्रतिदिन 500 मिली से अधिक का सेवन न करने की घोषणा करना अनिवार्य होगा, उत्पाद पूर्व-पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 की सामान्य लेबलिंग आवश्यकताओं के सभी प्रावधानों का अनुपालन करेगा, जिसमे एनर्जी ड्रिंक के पैक पर कैफीन की मात्रा प्रति मिलीग्राम दर्शानि होगा फूड कमिश्नर के अनुसार  “बच्चों, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं, कैफीन के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों के लिए एनर्जी ड्रिंक अनुशंसित नहीं है।  और आवश्यक

स्कूलों की कंटीन और आसपास नहीं हो सकेगी बिक्री

ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल परिसर के 100 मीटर के क्षेत्र में तथा शहरी क्षेत्रों में स्कूल परिसर के 50 मीटर के क्षेत्र में स्कूल कैंटीन ,टक शॉप,दुकानों या प्रतिष्ठानों में ऊर्जा पेय पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा

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