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एकदम सही पकडे हैं जी
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चुनाव के चलते थर्रा रही है देश की राजधानी
नेता एक-दूसरे को कोस रहे पी-पीकर पानी
जनता को रिझाने की खातिर जबान से उगल रहे आग
भरपेट गालियां देते नेताजी के मुंह से निकल रहे झाग
—-बड़का वाले कविराय