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याचिका लगाएं सोचकर : विधवाओं के लिए करवाचौथ की कर दी अदालत से मांग

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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सिखाया सबक, ठोक दिया याचिकाकर्ता पर जुर्माना

चंडीगढ़ 24 जनवरी। भारतीय मान्यता और धार्मिक परंपरा के तहत करवाचौथ सुहागिनों का पर्व है। सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। दिनभर बिना कुछ खाए और पिए निर्जला उपवास रखती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला और प्यार-विश्वास, सुख बढ़ाने वाला पर्व है।

जानकारी के मुताबिक वहीं पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक ऐसी याचिका लगा दी गई, जिसमें विधवाओं के लिए भी करवाचौथ की मांग कर दी गई। याची ने करवाचौथ को उत्सव घोषित करने और इसे विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं के लिए भी अनिवार्य बनाने की अजीब सी मांग कर दी। इस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज करने के साथ ही याची को सबक सिखाते हुए उस पर जुर्माना भी ठोक दिया।

बताते हैं कि अदालत ने याची पर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला निवासी नरेंद्र कुमार मल्होत्रा ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि करवाचौथ को उत्सव घोषित किया जाए। साथ ही अपील की थी कि केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि विधवा, तलाकशुदा या सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं को इसमें शामिल किया जाए। समाज का कोई भी वर्ग यदि इसका विरोध करता है तो इसे अपराध मानते हुए दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।

याची ने कहा था कि इसके लिए कानून बनाने का केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक सामाजिक मुद्दा है, जिसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कानून बनाना विधायिका का काम है, न्यायपालिका का नहीं है। हमारा काम केवल कानून में भेद-भाव, त्रुटि, अन्याय आदि की स्थिति में नागरिकों के सांविधानिक अधिकारों की रक्षा करना है। याची ने हमारा बहुत कीमती समय बर्बाद किया है, इसके लिए उसे जुर्माना अदा करना होगा। जुर्माने की राशि याची को पीजीआई पुअर पेशेंट रिलीफ फंड में जमा करानी होगी।

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