कोरोना काल में स्टूडेंट्स के फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर एडमिशन कराए, बोर्ड ने रोका था रिजल्ट
सिरसा 23 जनवरी। कोरोना काल में स्टूडेंट्स के फर्जी सार्टिफिकेट तैयार करने के मामले में आरोपी तीन स्कूलों के संचालक और प्रिंसिपल समेत सात लोगों की जल्द गिरफ्तारी होगी। एसपी विक्रांत भूषण ने सीआईए टीम को इसके निर्देश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक पुलिस ने दो दिन पहले ही इस मामले में एक आरोपी क्लर्क को गिरफ्तार किया था। अप्रैल, 2021 में गांव पतली डाबर स्थित प्राइवेट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में क्लर्क ने 11वीं क्लास के 8 बच्चों के फर्जी प्रमाणपत्र व फर्जी स्कूल लिविंग सार्टिफिकेट तैयार किए थे। इसके बाद इन बच्चों के 12वीं कक्षा के फर्जी प्रमापत्र बनवाए थे, लेकिन बोर्ड ने रिजल्ट रोक लिया था। जिसके बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव कृष्ण ने सिरसा में शहर थाना पुलिस को 30 सितंबर 2022 को शिकायत दी थी। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने और भिवानी बोर्ड में फर्जी रिकॉर्ड भेजकर बोर्ड के साथ धोखाधड़ी करने का केस दर्ज किया था। उसके बाद तत्कालीन एसपी ने सीआईए को जांच सौंपी थी। इस मामले में श्रीगुरु तेग बहादुर सीनियर सेकेंडरी स्कूल पतली डाबर, ज्ञान ज्योति पब्लिक स्कूल मानक दिवान, श्रीगुरु नानक देव सीनियर सेकेंडरी स्कूल भंगू के संचालक, प्रिंसिपल व लिपिक, श्रीसाई संस्थान द्वारिका पूरी इंस्टीट्यूट सिरसा के मालिक सीताराम, गुरदीप सिंह, बलजिंद्र सिंह गदराना व अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
इनमें से अभी तक गांव पतली डाबर के स्कूल में क्लर्क गांव भंबूर निवासी सुखविंद्र सिंह उर्फ गगन की ही गिरफ्तारी हुई है। दरअसल, अप्रैल 2021 में कोरोना महामारी के कारण शिक्षा विभाग के आदेशानुसार बोर्ड परीक्षाएं नहीं हुई थी। सभी स्टूडेंट्स को प्रमोट किया गया था और परीक्षाएं रद होने के कारण सीधा रिजल्ट घोषित किया जाना था। सीनियर सेकेंडरी की वार्षिक परीक्षा अप्रैल -2021 में सम्मिलित होने वाले स्टूडेंट्स, जिनके द्वारा सेकेंडरी परीक्षा अन्य राज्य के बोर्डों से पास की गई थी, उनकी परीक्षा की पात्रता से संबंधित दस्तावेज चैक किए गए।
दस्तावेज चैक करने पर पाया गया कि कुछ परीक्षार्थियों के सेकेंडरी प्रमाण-पत्र हरियाणा शिक्षा बोर्ड की सेकेंडरी परीक्षा के समकक्ष नहीं है, यानी वह दस्तावेज फर्जी पाए गए। एडमिशन के समय स्कूल में इन दस्तावेजों की जांच नहीं हुई। बोर्ड सचिव की शिकायत के अनुसार 92 स्कूलों में उस समय 129 छात्रों के फर्जी दाखिले दर्शाए गए थे। शिकायत में बताया गया था कि स्कूलों में फर्जी डीएमसी के आधार पर 129 स्टूडेंट्स ने दाखिला लिया और कोरोना काल में 12वीं कक्षा पास की। जांच में सामने आया कि इन स्टूडेंट्स ने हरियाणा, पंजाब, यूपी, उत्तराखंड और बिहार समेत अन्य राज्यों के फर्जी बोर्ड से 10वीं कक्षा के फर्जी सर्टिफिकेट लेकर फर्जीवाड़ा किया।
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