मैं इंडियन स्टेट के अगेन हूं ये बोल कर राहुल गांधी ने राजनीतिक हंटर भाजपा के हाथ में थमा दिया जिसका उपयोग अब भाजपा तब तक करेगी जब तक राहुल गांधी माफी न मांग ले । राहुल ने कह तो दिया कि हमारी लड़ाई बीजेपी या आरएसएस के खिलाफ नहीं भारतीय राष्ट्र के खिलाफ है पर मोहब्बत की उस दुकान का क्या जिसे आदर्श बना कर संसद में राहुल ने मोदी को हग किया ! हालांकि यह अवसर था कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन का जिसका नाम इंदिरा भवन रखा गया है , राजीव भवन, अंबेडकर भवन या मनमोहन भवन नहीं तो आखिर कांग्रेस ने खुद आ बैल मुझे मार वाली स्थिति बना ली । सीधी बात , राहुल गांधी ने अवांछित देशद्रोह किया है । वही भाषा बोली है जो वो विदेश यात्रा से पढ़ कर आते हैं । वही भाषा बोलते हैं जो नक्सली बोलते हैं , खालिस्तानी पन्नू बोलते हैं , आतंकवादी बोलते हैं , टुकड़े टुकड़े गैंग बोलता हैं । तब भी बोलते हैं जब उनके पास लीडर ऑफ अपोजिशन का वैधानिक पद मौजूद है । उन्हें स्टेट ऑफ इंडिया , यानि कार्यपालिका और न्यायपालिका के खिलाफ लड़ने में कोई परहेज नहीं । उन्हें संविधान की उस लाल किताब के खिलाफ लड़ने में कोई संकोच नहीं जिसे वे और सारी कांग्रेस आजकल जेब में लिए फिरते हैं । कांग्रेस पार्टी सबसे पुरानी पार्टी है । स्वाधीनता संग्राम एक ऐतिहासिक सत्य है जिसका कांग्रेस से अहम रिश्ता है । प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार पंकज सीबी मिश्रा ने कहा कि दरअसल राहुल गांधी को प्रिस्क्रिप्ट ही गलत मिलती है क्यूंकि उन्हे मालूम है भाजपा को मसाला देंगे तभी लाइम लाइट में रहेंगे । वैसे भी मुख्यालय उदघाटन के इस मौके पर कांग्रेस के अतीत से वर्तमान को जोड़कर बहुत सार्थक और गंभीर बात करनी चाहिए थी लेकिन राहुल के माथे में बीजेपी और संघ का भूत इस कदर घुसा हुआ है कि मौका मिला नहीं और भारत राष्ट्र की खिलाफत पर उतर आए । लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर दिए गए बयानों पर सियासत तेज हो गई है । उनके बयान से बौखलाए और तिलमिलाए जनता का मूड भाप भाजपा नेताओं ने उन्हें आड़े हाथों लिया है । पूर्व राजनयिक और अब भाजपा के राज्य सभा सांसद और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राहुल गांधी पर व्यक्तिगत निशाना साधते हुए अपमानजनक भाषा बोलते हुए टीवी चैनल पर और पत्रकारों से कहा है कि राहुल गांधी को अपनी मानसिक संतुलन खो बैठे हैं । उन्हें अपने मानसिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए । उन्होंने राहुल गांधी के किसी बयान का जिक्र किये बिना कहा कि उनसे कहिये वे जाकर अपनी मानसिक स्थिरता की डॉक्टर से जांच कराएं । वे एक अर्बन नक्सल की भांति कार्य कर रहे और जॉर्ज सरोस के एजेंट हैं । 15 जनवरी को राहुल गांधी अखिल् भारतीय कांग्रेस पार्टी के नवनिर्मित मुख्य कार्यालय जो 47 साल के बाद बना है वह 9A फिरोज शाह कोटला मार्ग दिल्ली में स्थित है उसके उद्घाटन के समय बोलते हुए उन्होंने अपने भाषण में कहा कि संघ प्रमुख का कहना है कि भारत को अंग्रेजी हुकूमत से राजनीतिक आजादी 1947 में मिली लेकिन वैचारिक रूप से आजादी तब मिली जब अयोध्या में राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई और भारत में राममंदिर निर्माण पर प्रत्येक वर्ष प्राणप्रतिष्ठा दिवस 22 जनवरी को मानाया जाना चाहिए जिससे राहुल आक्रोशित हो गए और अब उनके ही पार्टी के कार्यकर्ता राहुल के बयान की तीखी आलोचना कर रहे। बीजेपी के नेतागण उन पर व्यक्तिगत रूप से हमलावर हो गए हैं ! कार्यकर्ता कह रहे नए पार्टी मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण पर बोलने की क्या जरूरत थी ? मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को असली आजादी 1947 में नहीं , राम मंदिर बन जाने के बाद मिली । दरअसल वे कह रहे थे कि आजादी मिलने के बाद भी जो लोग सत्ता चला रहे थे उनकी मानसिकता और अंग्रेजों की मानसिकता में कोई फर्क नहीं है । यह बात ठीक है पर आजादी मोदी के आने या मंदिर बन जाने के बाद मिली , हम या अन्य कोई भी इससे कतई सहमत नहीं । भारत 15 अगस्त 1947 को पूर्णरूपेण स्वतंत्र हो गया था और पंडित नेहरू स्वाधीन देश के पहले प्रधानमंत्री थे । पर उन्हीं का नाती पुत्र यह कहे कि कांग्रेस की लड़ाई भारत देश के ख़िलाफ़ है तो इसे बेशर्मी की हद और उनकी खोखली लड़ाई को राष्ट्रद्रोह ही कहा जाएगा । ऐसे तो वे बड़ी मूर्खता से भारतीय सेना को चुनौती दे रहे हैं ? सोशल मीडिया पर लोग राहुल को सलाह देते हुए कह रहे कि कांग्रेस दरअसल दिल्ली की सत्ता से लगातार दूर हो रही। राहुल की राजनीतिक कुतर्क और बयानबाजी ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा । निरंतर पराजय उनके मस्तिष्क पर हावी हो गई , इसमें कोई शक नहीं । अपनी खिसियाहट में यदि वे राष्ट्रद्रोह पर उतर आए हैं तो कांग्रेस को जल्द ही उनसे मुक्ति पा लेनी चाहिए ।
राहुल गांधी के बयान से कांग्रेस असहज: पंकज सीबी मिश्रा
Janhetaishi
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