लुधियाना 19 जनवरी। पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना सोमवार को हिस्ट्री लिखने जा रहा है। लुधियाना को पहली महिला मेयर मिल जाएगी। लेकिन नव चयनित महिला मेयर के लिए मेयरशिप इतनी आसान नहीं होगी। उनके सामने कई तरह की चुनौतियां भी रहेगी। क्योंकि लुधियाना नगर निगम में घोटालों का भरमार है। कई ऐसे मामले हैं, जो पेडिंग चल रहे है और उनका उच्च अफसरों व राजनेताओं की दखल के कारण हल नहीं हो पा रहा। ऐसे में मेयर बनने वाली महिला नेता के लिए यह सबसे बड़ी चुनौतियां रहेगीं। वहीं बात करें लुधियाना के पूर्व मेयरों की तो अपिंदर सिंह ग्रेवाल व चौधरी सत प्रकाश के अलावा कोई मेयर अपने कार्यों के चलते पहचान नहीं बना सका था। ऐसे में अब देखना होगा कि पहली बार मेयर बनने जा रही महिला पार्षद क्या अपने कार्यों को लेकर अलग से पहचान बना सकेगी या नहीं। हालांकि मेयरशिप पर कौन सी महिला पार्षद की ताजपोशी होगी, इसे लेकर चर्चा छिड़ी हुई है।
क्या मेयरशिप के लिए चलेगी ब्रीफकेस की राजनीति
वहीं महिला मेयरशिप को लेकर शहर में अलग अलग चर्चाएं छिड़ी हुई है। चर्चा है कि अगर मेयर के नामांकण में ब्रीफकेस राजनीति चलेगी, तो आगे भी ब्रीफकेस ही चलेगें। यह हम नहीं बल्कि राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है। वह कहते हैं कि अगर महिला मेयर ब्रीफकेस के सिर पर बनेगी, तो आगे काम भी उसी तरीके से करवाए जाएगें, यानि कि जमकर भ्रष्टाचार होगा। लेकिन दूसरी तरफ अगर सीनियरिटी के तौर पर मेयरशिप होगी तो उसमें कही न कही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकेगी।
नियम बदलने के कल्चर होगा खत्म ?
नई चयनित होने वाली मेयर के लिए एक बड़ी चुनौती नियम बदलने का कल्चर भी रहेगा। दरअसल, लुधियाना एक कारोबारी शहर है। जहां पर लोगों द्वारा पैसों के दम पर अपने मुताबिक नियम भी बदलवा दिए जाते हैं। लुधियाना में यह एक कल्चर ही बन चुका है। ऐसे में नई चयनित होने वाली मेयर के लिए यह एक चैलेंज होगा और देखना होगा कि क्या वह इसे रोक पाएंगी या नहीं।
34 साल में पहली बार बदलेगा इतिहास
लुधियाना को साल 1991 में निगम का दर्जा मिला था। इसके बाद निगम चुनाव करवाए गए थे। जिसमें पहली बार चौधरी सत प्रकाश 12 जून 1991 में लुधियाना के पहले मेयर बने थे। इसके बाद साल 1997 में अपिंदर सिंह ग्रेवाल, साल 2002 में नाहर सिंह गिल, साल 2007 में हाकम सिंह ग्यासपुरा, साल 2012 में हरचरण सिंह गोहलवड़िया और साल 2018 में बलकार सिंह संधू मेयर बने थे। इन 34 सालों में किसी महिला को मेयर पद नहीं दिया गया था। लेकिन अब शहर की सातवीं मेयर महिला बनेगी।
विधायकों का पार्षद रिश्तेदार बन सकता हैं डिप्टी मेयर
निगम चुनाव के दौरान सत्ताधारी आप की तरफ से 95 प्रत्याशियों को मैंदान में उतारा था। इस बार 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के रिजर्व थी। इसमें 20 महिला प्रत्याशी जीत चुकी है। अभी तक पार्टी में पुरुष और महिला चेहरों के लेकर चर्चा की जा रही थी। लेकिन मंगलवार को पार्टी द्वारा नोटीफिकेशन जारी करके मेयर सीट महिला पार्षद के लिए रिजर्व कर दी। वहीं शहर में लगातार चर्चा छिड़ी हुई है कि इस दौड़ में विधायकों के रिश्तेदार भी शामिल थे। लेकिन अब पुरुष मेयर नहीं बन सकते, लेकिन अब विधायकों द्वारा अपने विजेता पार्षद रिश्तेदारों को डिप्टी मेयर बनाने के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है। अब देखना होगा कि किस विधायक का रिश्तेदार डिप्टी मेयर बनेगा।
जाली सफाई कर्मी, फर्जी बिल व अकाउंट विभाग घोटाले बड़ा चैलेंज
महिला मेयर द्वारा लुधियाना में तैनाती तो जरुर कर ली जाएगी, लेकिन उनके सामने निगम के कई ऐसे बड़े मुद्दे हैं, जिन्हें हल कर पाना जरुरी है, लेकिन अधिकारियों व राजनेताओं की आपसी मिलीभगत के चलते इन्हें हल करना उतना ही मुश्किल भी है। निगम में जाली सफाई कर्मी भर्ती करना, फर्जी बिल बनाकर फंड का दुरुपयोग, अकाउंट विभाग और ओएंडएम सेल के घोटाले ऐसे हैं, जिनके जरिए करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया है। अब इन मामलों को हल करके आरोपियों पर कार्रवाई करना बड़ा चैलेंज रहेगा।