पूर्व मंत्री आशु लड़कर जीते तो महज डेढ़ साल वक्त मिलेगा, हारे तो उनकी टीम के सामने होगा बड़ा संकट
लुधियाना 17 जनवरी। विधानसभा क्षेत्र लुधियाना वैस्ट से आप विधायक गुरप्रीत गोगी का गत दिनों निधन हो गया था। लिहाजा इस सीट पर नियमानुसार चुनाव आयोग छह महीने के दौरान इलैक्शन कराएगा। ऐसे में इस विधानसभा का कार्यकाल करीब डेढ़ साल ही बचेगा। जाहिर तौर पर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी इस उप चुनाव को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकेगी।
सियासी-जानकारों का मानना है कि आप हाईकमान सिंपेथी-लहर को देखते हुए भूतपूर्व विधायक गुरप्रीत गोगी की पत्नी व पूर्व कौंसलर डॉ.सुखचैन कौर बस्सी को इस सीट से टिकट दे सकती है। साथ ही सीएम भगवंत मान और उनकी पूरी टीम इस सीट पर चुनाव के दौरान डेरा डालकर जीत हासिल करने के लिए पूरा दाम लगाएंगे। ऐसे में यहां सबसे बड़ी राजनीतिक-चुनौती विपक्ष, खासकर कांग्रेस के सामने होगी। दरअसल इसी सीट से दो बार विधायक बने भारत भूषण आशु सूबे की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। जिनको पिछले विस चुनाव में आप उम्मीदवार गोगी ने करीब 7.5 हजार वोट के अंतर से शिकस्त दी थी। ऐसे में अगर वह इस बार उप चुनाव लड़कर जीते भी तो महज डेढ़ साल का कार्यकाल ही मिलेगा। ऐसे में जानकारों का मानना है कि आशु शायद उप चुनाव लड़ने का रिस्क ना भी लें। उनके चुनाव लड़ने की सूरत में अगर वह चुनाव हारते हैं तो टीम आशु के लिए सामने सबसे बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो जाएगा। कुल मिलाकर यह विस उप चुनाव वैस्ट हल्का ही नहीं, लुधियाना की सियासत का रुख भी तय करेगा।
क्या बीजेपी यहां खेलेगी सियासी-दांव !
गौरतलब है कि पिछले विस चुनाव में लुधियाना वैस्ट सीट से भारतीय जनता पार्टी ने एडवोकेट विक्रम सिंह सिद्धू को उम्मीदवार बनाया था। जो तीसरे नंबर पर पिछड़ गए थे। ऐसे में सियासी-जानकार मान रहे हैं कि भाजपा शायद इस उप चुनाव में किनारा ना कर जाए। जहां तक शिरोमणि अकाली दल-बादल का सवाल है तो इस सीट पर उसके उम्मीदवार महेश इंदर सिंह
एडवोकेट बुरी तरह पिछड़कर चौथे स्थान पर रह गए थे। जबकि मौजूदा हालात में शिअद की सियासी-हालत और कमजोर हो चुकी है। जिसके चलते इस उप चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ी चुनौती मिलने के आसा नहीं हैं।
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