वेरका : मोहाली V/S लुधियाना, दोनों में मुनाफे का बड़ा फर्क क्यों
चंडीगढ़ 7 अप्रैल। वेरका मिल्क प्लांट की लुधियाना ब्रांच के अकाउंट्स डिपार्टमेंट के अफसरों की तरफ से बड़े अधिकारियों की छत्रछाया में सलाना 100 करोड़ रुपए का घोटाला करने के संकेत मिले हैं। यह खुलासा अकाउंट्स ब्रांच के पिछले सालों के कार्यकाल का ऑडिट करने पर हुआ। जिसमें करोड़ों रुपए का हेरफेर करने की चर्चाएं सामने आई है। चर्चा है कि मोहाली की वेरका मिल्क प्लांट ब्रांच की जहां टर्नओवर 1500 करोड़ है और वहां हर साल 100 करोड़ रुपए मुनाफा हो रहा है। लेकिन वहीं लुधियाना वेरका ब्रांच की टर्नओवर 1000 करोड़ है और यहां पर हर साल कभी 1-2 करोड़ मुनाफा दिखाया जाता है तो कभी 50 लाख नुकसान दिखा दिया जाता है। इस हेरफेर की आशंका के चलते जब उच्च अधिकारियों द्वारा इसकी जांच कराई तो कई बड़े खुलासे हुए। चर्चा है कि दूध खरीदने, जीएसटी क्लेम, गलत एंट्रियों, मशीनों की खरीददारी में करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया है। वहीं चर्चा यह भी सामने आई है कि वेरका के कुछ समय पहले ही रिटायर्ड हुए अकाउंट ऑफिसर अपर अपार सिंह के कार्यकाल के दौरान यह घोटाला हुआ है। जबकि अब वे रिटायर्ड हो चुके हैं। उनकी रिटायर्मेंट के बाद यह खुलासा हुआ है। अब देखना होगा कि क्या सरकार इस मामले में एक्शन लेगी या नहीं। हालांकि वेरका के अकाउंट्स ब्रांच की और से हेरफेर कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।
अकाउंटेंट के पांच साल की ड्यूटी का हुआ एनालिसिस
जानकारी के अनुसार टर्नओवर व आमदन में पूरी जिम्मेदारी अकाउंट ऑफिसर की होती है। लेकिन लगातार मोहाली और लुधियाना की वेरका मिल्क ब्रांच की आमदन में बड़ा फर्क नजर आ रहा था। जिसके चलते विभाग के चंडीगढ़ के उच्च अधिकारियों द्वारा 2024 में तब लुधियाना ब्रांच के अकाउंटेंट रहे अपर अपार सिंह की पांच साल की ड्यूटी का एनालिसिस किया गया। जिसके लिए बकायदा चार मेंबरी टीम गठित की गई। जिसमें तीन सदस्य प्लांट के और एक बाहरी सीए को मेंबर बनाया गया।
जीएसटी, इनकम टैक्स के जरिए कराया बड़ा नुकसान
जीएसटी, इनकम टैक्स समेत सभी टैक्स भरना अकाउंटेंट की जिम्मेदारी होती है। लेकिन कमेटी की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि अकाउंटेंट रहते हुए अपर अपार सिंह की और से जीएसटी, ईएसआई, इनकम टैक्स समेत अन्य जरुरी चीजों की पेमेंट देरी से अदा की। जिस कारण भारी जुर्माना लगा। हालांकि इसी तरह कई जगह अकाउंटेंट की लापरवाही सामने सामने आई।
चर्चा अकाउंटेंट द्वारा पहले नहीं दिया गया असेस
चर्चा है कि अकाउंट से जुड़ी सभी चीजों का असेस अपर अपार सिंह के पास था। लेकिन उसकी और से जांच कमेटी को असेस नहीं दिया गया। चर्चा है कि अकाउंटेंट को अपने भेद खुलने का शक था। लेकिन जब अकाउंटेंट रिटायर्ड हुआ तो कमेटी द्वारा इसका असेस लिया गया और दस्तावेज खंगाले गए। जिसके बाद पूरे स्कैम से पर्दा उठा।
जांच में पाए गए बड़े हेरफेर
चर्चा है कि जांच कमेटी को जांच के दौरान कई बड़े हेरफेर मिले। जिसमें एक गलती मिली कि एक जनरल एंट्री में 42 लाख रुपए की गलत पोस्टिंग पाई हुई थी। इसके अलावा दूध खरीदने में अदा की 44 करोड़ 30 लाख रुपए की गलत एंट्री डाली हुई थी। वहीं वेरका में इस्तेमाल होने वाली मशीनों की खरीददारी पर ढ़ाई करोड़ की रकम पर करीब 38.12 लाख रुपए का आईजीएसटी मिला। उक्त आईजीएसटी क्लेम में भी बड़ा हेरफेर करने के संकेत मिले हैं।
बिना स्पोर्टिंग दस्तावेज के डाल रही एंट्रियां
वहीं जांच में पिछले सालों के कई दस्तावेज ऐसे मिले हैं, जिन्हें बिना हस्ताक्षर किए ही पास किया हुआ है, ताकि उन्हें बैलेंस शीट में दिखाया जा सके। इसके अलावा 31 मार्च 2024 की एक एंट्री ऐसी मिली है, जिसमें 35-40 लाख रुपए की एंट्री तो कर रखी है, लेकिन उसमें एंट्री के कोई स्पोर्टिंग दस्तावेज ही नहीं लगाए गए। इसी के साथ केंद्र सरकार की और से भेजी गई वेंडरों की ग्रांट में पंजाब सरकार की तरफ से भी 40-50 लाख रुपए डालकर देने की एंट्री कर रखी है।
सीए से लेकर उच्च सत्र के अधिकारियों की मिलीभगत की चर्चा
जानकारी के अनुसार वेरका का खुद का सीए भी होता है। लेकिन इतनी सैलरी लेने के बावजूद उसने मामले को नोटिस में नहीं लिया। चर्चा है कि सीए की मिलीभगत के चलते ही बाहरी सीए के जरिए से ऑडिट कराया गया है। जिसके बाद इस स्कैम का खुलासा हुआ। हालांकि अकाउंट ब्रांच के अकाउंट्स को चैक करने के लिए 3-4 चार उच्च अधिकारी भी अलग अलग स्तर पर मौजूद रहते हैं। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि किसी भी अधिकारी ने इस स्कैम हो नहीं पकड़ा। चर्चा है कि अकाउंट ऑफिस से लेकर उच्च अधिकारी तक इस घोटाले में शामिल है। जिसके चलते किसी ने इसका शोर नहीं मचाया।
ऑडिट विभाग भी बैठा शांत
वहीं पंजाब सरकार का ऑडिट विभाग भी अकाउंट्स को चैक करता है। लेकिन ऑडिट विभाग द्वारा भी इसका खुलासा नहीं किया गया। चर्चा है कि शायद ऑडिट विभाग को इस स्कैम के उजागर होने का खतरा है, जिस कारण वे शांत बैठे हैं। वहीं चर्चा है कि कई बड़े आकाओं की मिलीभगत के साथ यह स्कैम किया जा रहा है।
आप सरकार की छवि खराब करने का प्रयास
वहीं चर्चा है कि वेरका मिल्क प्लांट लुधियाना के ही कई वर्करों द्वारा आम आदमी पार्टी की छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि वे वर्कर कांग्रेस सरकार के समय उनके नेताओं के करीबी माने जाते हैं। जिसके चलते उनकी और से इस तरह की लापरवाही करके आप पार्टी को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। अब देखना होगा कि क्या आप सरकार द्वारा इस घोटाले में शामिल लोगों पर एक्शन लिया जाएगा या नहीं।
यह सिर्फ अफवाहें हैं
वहीं रिटायर्ड अकाउंटेंट अपर अपार सिंह का कहना है कि ऐसा कोई मामला नहीं है। उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ। यह सिर्फ अफवाहें हैं।
आशंका के चलते जांच हुई थी
वेरका जीएम सुबोध कुमार का कहना है कि आशंका के चलते कमेटी बनाई गई थी, इसकी जांच जरुरी हुई थी, लेकिन घोटाले की कोई बात सामने नहीं आई है। उन्होंने कुछ समय पहले ही चार्ज लिया है, यह मामला उनके आने से पहले का है।