लुधियाना 16 जनवरी। बिजली आपूर्ति और बिजली टैरिफ से संबंधित मुद्दों को लेकर पंजाब राज्य विद्युत नियामक समिति द्वारा एक बैठक आयोजित की गई थी। एटीआईयू के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने उद्योग को नियमित बिजली आपूर्ति के संबंध में बहुमूल्य सुझाव दिए। उन्होंने सुझाव दिया कि चूंकि नई भर्ती नहीं की जा सकती, इसलिए पीएसईआरसी को एडहॉक या संविदा के आधार पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरों की भर्ती के लिए एक नीति पेश करनी चाहिए। पीएसपीसीएल को उद्योग को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अन्य विभागों की तरह रखरखाव को किसी तीसरे पक्ष को आउटसोर्स करना चाहिए।उन्होंने टैरिफ में वृद्धि का कड़ा विरोध किया और पीएसईआरसी द्वारा टैरिफ में बदलाव की पांच साल की योजना बनाने का भी अनुरोध किया ताकि इसे सक्षम बनाया जा सके। वह इंडस्ट्री को अगले 5 साल के लिए प्लानिंग करेंगे। एमएसएमई के लिए 100 केवीए विद्युत भार वाले स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य बनाना पूरी तरह से अनुचित है। स्मार्ट मीटर केवल पावर इंटेंसिव यूनिट यानी 1000 केवीए से अधिक कनेक्शन वाली इकाइयों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। अनियमित बिजली आपूर्ति के संबंध में, मुख्य अभियंता श्री जगदेव सिंह हास ने सभी प्रमुख फीडरों का निवारक रखरखाव करके उद्योग को निर्बाध आपूर्ति प्रदान करना सुनिश्चित किया। शर्मा ने चेयरमैन से पीएसपीसीएल द्वारा नए बिजली कनेक्शन जारी करने में तेजी लाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कर्मचारियों से यह भी कहा कि, “बिजली टैरिफ बढ़ाने के बजाय पीएसईआरसी को ट्रांसमिशन घाटे को कम करने की कोशिश करनी चाहिए जो असामान्य रूप से अधिक है। इसे अपने कर्मचारियों के लिए कुछ स्तर की दक्षता हासिल करने के लिए कुछ मानक भी निर्धारित करने चाहिए और इसकी नियमित निगरानी की जानी चाहिए। अगर ऐसा किया गया तो भविष्य में टैरिफ बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।शर्मा ने इस बात पर भी जोर दिया कि पीएसपीसीएल को उन सरकारी विभागों के साथ भी उतनी ही गंभीरता दिखानी चाहिए जिन पर पीएसपीसीएल का भारी पैसा बकाया है। यदि उद्योग कुछ दिनों के लिए मामूली राशि का भुगतान करने में असमर्थ है तो उसका कनेक्शन काट दिया जाता है।
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