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हद हो गई : स्वास्थ्य विभाग चंडीगढ़ की लापरवाही से नौ साल से गर्भवती खतरे में !

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सेहत महकमे ने साठ फीसदी गर्भवती महिलाओं को नहीं लगाए टिटनेस के इंजेक्शन

लखविंदर जोगी

चंडीगढ़ 12 जनवरी। टिटनेस के डोज लेने से प्रीमेच्योर बर्थ की समस्या से बचाव के साथ ही गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु दोनों की सुरक्षा होती है। मरीजों की जान बचाने की जिम्मेदारी निभाने वाला स्वास्थ्य विभाग चंडीगढ़ की गर्भवतियों के साथ ही उनके गर्भ में पल रहे शिशु को मौत के मुंह में धकेलने का काम कर रहा है।

जानकारी के मुताबिक स्थिति यह है कि गर्भावस्था के दौरान बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले टेटनस का इंजेक्शन लगाने में विभाग पिछले 9 वर्षों से लगातार लापरवाही बरत रहा है। नतीजन 2015 से 2023 के बीच में हजारों गर्भवतियों को टिटनेस की पहली और दूसरी डोज नहीं लगाई गई है। इस लापरवाही की पुष्टि सेंट्रल ऑडिट रिपोर्ट में हुई है। जिसमें बताया गया है कि चंडीगढ़ के रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ 11 के रिकॉर्ड की जांच के दौरान यह मामला सामने आया, जिसमें 2015 से 2023 के बीच में पंजीकृत 55 से 60% गर्भवतियों को टिटनेस की पहली व दूसरी डोज नहीं लगाई गई।

गंभीर बात यह है कि इस संबंध में ऑडिट ने जब विभाग से इसका कारण पूछा तो उन्हें यह जवाब दिया गया कि उन गर्भवती महिलाओं ने निजी केंद्रों से टिटनेस का इंजेक्शन लगवाया है। जबकि ऑडिट की आपत्ति है कि यह जवाब तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि सार्वजनिक या निजी क्षेत्र से टिटनेस का इंजेक्शन प्राप्त करने वाले पंजीकृत महिलाओं का उचित रिकॉर्ड मिशन द्वारा बनाए रखा जाना चाहिए था। ऐसी स्थिति में मिशन के तहत प्राप्त लक्ष्य की जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसलिए जरूरी है ये डोज टिटनेस इंफेक्शन के कारण, हर साल कई नवजात शिशुओं को अपनी जान गंवानी पड़ती है।

यहां बता दें कि टिटनेस शॉट लेने से, प्रीमेच्योर बर्थ की समस्या से भी बचाव होता है। टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन लगवाने से, प्रेग्नेंट महिला और भ्रूण दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसके अलावा, प्रेग्नेंसी में चोट लगने पर इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए इंजेक्शन लगवाना जरुरी होता है।

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