दुनियाँ का हर नेता अपने देश में प्रवासी भारतीयों की तारीफ़ ज़रुर करता है
हम भारतीय हमारे बड़े बुजुर्गों व भारत की समृद्ध विरासत का प्रतिबिंब है,जिस देश में रहते हैं वहां के समाज से जुड़कर उस देश का विकास करते हैं- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर शिक्षा, संस्कृति, विरासत, सामाजिक विकास के क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों का योगदान सराहनीय रहा है। क्योंकि जिसके पीछे भारतीय शब्द लगा है चाहे वह मूल हो या प्रवासी उसकी प्रतिष्ठा दुनियाँ में वैसे ही बढ़ जाती है क्योंकि, यह ऐसे मानवीय जीव हैं जिनके बौद्धिक कौशलता से भारत का अभूतपूर्व नाता जुड़ा है जो पैतृक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी रग रग में समाता जाता है यही कारण है कि मूल भारतीय एवं प्रवासी भारतीयों की मांग दुनियाँ में प्राथमिकता से होती है। जिस तरह से 18 वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में 70 देशों सेक़रीब 3500 से अधिक रजिस्ट्रेशन हुए थे , उससे अंदाज लगाया जा सकता है कि कितने देशों में प्रवासी भारतीयों का बसेरा है। अनेक देशों में तो इतनी अधिक मात्रा में प्रवासी भारतीय हैं जो वहां की औसत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। तथा वहां की दशा और दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। प्रवासी भारतीयों की अपनी सांस्कृतिक विरासत की अनुषण बनाए रखने के कारण भी साझा पहचान मिली है, जहां-जहां प्रवासी भारतीय बसे हैं वहां-वहां उन्होंने आर्थिक तंत्र को मज़बूती प्रदान की है। उनकी सफलता का श्रेय उनकी परंपरागत सोच, सांस्कृतिक मूल्यों और शैक्षणिक योग्यता को दिया जाता है। चूंकि 18 वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 8 से 10 ज़नवरी 2025 को उड़ीसा के भुवनेश्वर शहर में हो रहा है। इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्रवासी भारतीय पूरे विश्व में भारतीयता, संस्कृत सामाजिक मूल्यों की सुगंध बिखेरी।
साथियों प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है,जो प्रवासी भारतीयों से जुड़ने और उन्हें एक-दूसरे के साथ वार्तालाप करने में सक्षम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। इस प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का विषय विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान है। 70 से अधिक विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों ने पीबीडी सम्मेलन में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया था। साथियों बात अगर हम प्रवासी भारतीय दिन में सम्मेलन के प्रभावों व महत्व की करें तो, पीबीडी भारत और भारतीय प्रवासियों के बीच संबंधों का जश्न मनाने और भारत के विकास में प्रवासियों के योगदान को मान्यता देने का दिन है। यह भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करता है। कनेक्टिविटी बढ़ाना पीबीडी प्रवासी भारतीय समुदाय को पारस्परिक रूप से लाभकारी गतिविधियों के लिए अपने पूर्वजों की भूमि कीसरकार और लोगों के साथ जुड़ने का एक मंच प्रदान करता है।अनुभव साझा करना-यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले प्रवासी भारतीय समुदाय के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने में भी बहुत उपयोगी हैं और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा करने में सक्षम बनाता है। उपलब्धियों का सम्मानप्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने भारत के विकास में असाधारण योगदान दिया है।पीबीडी भारतीय प्रवासियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।सरकार के साथ जुड़ना-पीबीडी सरकार के लिए प्रवासियों के साथ जुड़ने और भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।क्षेत्रीय कार्यक्रम क्षेत्रीय प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन उन प्रवासियों तक पहुँचने के लिए आयोजित किए जाते हैं जो मुख्य पीबीडी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाते हैं।
साथियों बात अगर हम दिनांक 9 जनवरी 2025 को माननीय पीएम द्वारा व 10 जनवरी 2025 को माननीय राष्ट्रपति द्वारा संबोधन की करें तो, पीएम ने संबोधित करते हुए कहा कि दुनियाँ में जब तलवार के जोर पर साम्राज्य बढ़ाने का दौर था, तब हमारे सम्राट अशोक ने यहां शांति का रास्ता चुना था, हमारी विरासत का ये वही बल है, जिसकी प्रेरणा से आज भारत, दुनियाँ को ये कह पाता है कि भविष्य युद्ध में नहीं है, बुद्ध में है।इस कार्यक्रम में 70 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं, यह सम्मेलन 10 जनवरी तक चला है, जिसका समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू नें किया। पीएम ने गुरुवार को भारतीय प्रवासियों के लिए स्पेशल टूरिस्ट ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से चली ट्रेन तीन सप्ताह तक कई टूरिस्ट प्लेस तक जाएग, उन्होंने हमेशा प्रवासी भारतीयों को भारत का राजदूत माना है।उन्होंने दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों से मिलकर और उनसे वार्तालाप करके अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।व कहा कहा कि उनसे मिलने वाला प्यार और आशीर्वाद अविस्मरणीय है और हमेशा उनके साथ रहेगा। भारतीय प्रवासियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए तथा वैश्विक मंच पर उन्हें गर्व से सिर ऊंचा करने का अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए, कहा कि पिछले दशक में उन्होंने अनेक वैश्विक प्रमुखों से भेंट की, जिनमें से सभी ने भारतीय प्रवासियों की उनकेसामाजिक मूल्यों तथा अपने-अपने समाजों में योगदान के लिए प्रशंसा की। भारत न केवल लोकतंत्र की जननी है, बल्कि लोकतंत्र भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वाभाविक रूप से विविधता को अपनाते हैं और स्थानीय नियमों और परंपराओं का सम्मान करते हुए जिस समाज में शामिल होते हैं,उसमें सहज रूप से एकीकृत होते हैं।भारतीय अपने मेजबान देशों की सत्यनिष्ठा से सेवा करते हैं, उनके विकास और समृद्धि में योगदान देते हैं, जबकि वे हमेशा भारत को अपने हृदय के करीब रखते हैं, भारत की हर प्रसन्नता और उपलब्धि का महोत्सव बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं। भारत अब विश्व बंधु के रूप में पहचाना जाता है और प्रवासी भारतीयों से अपने प्रयासों को बढ़ाकर इस वैश्विक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने का आग्रह किया।उन्होंने अपने-अपने देशों में, विशेष रूप से स्थानीय निवासियों के लिए पुरस्कार समारोह आयोजित करने का सुझाव दिया,ये पुरस्कार साहित्य, कला और शिल्प, फिल्म तथा रंगमंच जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख व्यक्तियों को दिए जा सकते हैं।उन्होंने प्रवासीभारतीयों को भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के सहयोग से उपलब्धि हासिल करने वालों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय लोगों के साथ व्यक्तिगत संबंध और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ेगा।स्थानीय भारतीय उत्पादों को वैश्विक बनाने में प्रवासी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए उनसे स्थानीय या ऑनलाइन मेड इन इंडिया खाद्य पैकेट, कपड़े और अन्य सामान खरीदने का आग्रह किया और इन उत्पादों को अपने रसोईघरों, ड्राइंग रूम और उपहारों में शामिल करने का आग्रह किया, यह एक विकसित भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 18 वाँ प्रवासी भारतीय सम्मेलन 8-10 जनवरी 2025 का आगाज़-पूरे विश्व में भारतीयता, संस्कृत सामाजिक मूल्यों की सुगंध बिखेरी।दुनियाँ का हर नेता अपने देश में प्रवासी भारतीयों की तारीफ़ जरुर करता है।हम भारतीय हमारे बड़े बुजुर्गों व भारत की समृद्धि विरासत का प्रतिबिंब है,जिस देश में रहते हैं वहां के समाज से जुड़कर उस देश का विकास करते हैं
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*