बेजा हरकतों के मालिक तुम कौन हो भाई ! फिर आवाज सुनाई दी, ठहर मैं तेरेकु बताता हूं। चमचमाती बड़ी कार से नीचे उतरते ही, जानता नहीं, मैं कौन हूं। हां साब बिल्कुल नहीं जानता आप कौन हैं। ना तो आपके जेब पर नेमप्लेट लगी है और ना ही माथे पर कहीं लिखा हुआ है फिर आपने भी नहीं बताया कि आप कौन हैं। पास वाले को इंगित करते हुए। देखा मुझे बना रहा है कि जानता नहीं हूं। साब मैं नया-नया आया हूं, मुझसे पहले वाला जानता होगा लेकिन मैं नहीं जानता हूं। ठीक है अपना आइडेंटिटी दिजिए, मेरे पास कोई आइडेंटिटी नहीं आईडेंटिटी गरीब लोग रखते हैं। मूझसे आइडेंटिटी मांगता है, मोबाईल घुमाया ले बात कर। वह बोला मैं क्यों बात करुं। रसूखदार बोला तेरी नौकरी खा जाऊंगा। लगता है बड़े दिनों का भूखा हैं, नौकरी खाकर पेट भरना चाहता है। ऐसे नजारे कई दफा देखने को मिलते है।
ऐसे ही ट्रेफिक पुलिस चेकिंग के दौरान और टोलनाकों पर नजारा देखने को मिलता हैं। सरकारी कार्यों में लंबी लाईनों से बचने के लिए, नियमों की धज्जियाँ उड़ाने और रूतबा दिखाने, लोगों को चमकाने का काम होता आया है। यहां शालीनता की कीमत नहीं, बस नियम से हटकर और पहले काम हो। रुपया ना लगे। सब फ्री में होना चाहिए।
चमचमाती बड़ी गाड़ी लाखों की और टोल नहीं भरना। गलती हुई पर चालान नहीं भरना। हुज्जत करना, इससे इज्जत नहीं बढ़ती है। वाहनों पर व उसकी नंबर प्लेट पर मनमाने निशान, पार्टी के व अन्य स्टिकर लगाकर या पेंट कराकर चलना अपने को विशेष हटकर बताना है कि हम ये-ये है, इनसे संबध्द है। (देश का कानून सबके लिए समान है) कानून एक छोटे व्यक्ति से लेकर बड़े रसूखदार, नेता, आरोपी सबके लिए बराबर है।
हमने अपने आस-पास डॉक्टरों, पुलिस या अधिवक्ताओं के पेशे से जुड़े सैकड़ो लोगों को अपने वाहनों पर स्टिकर का उपयोग करते देखा है। किन्तु वहीं दूसरी ओर अपराधियों द्वारा आपराधिक गतिविधियों को ढालने या पुलिस के चंगुल से बचने के लिए भी इन स्टिकर का दुरुपयोग किया जाता है। यदि स्टिकर का इस्तेमाल गलत काम करने के लिए किया जा रहा है, तो उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। हालांकि यह समझ में आता है कि राज्य का एक आधिकारिक वाहन इन स्टिकर को लगा सकता है। निजी वाहनों पर इसका इस्तेमाल अच्छे से ज्यादा नुकसान कर रहा है।
– मदन वर्मा ” माणिक , इंदौर, मध्यप्रदेश