अमेरिका कारोबारी रिश्ते बढ़ा सकता है भारत से
अमेरिका और चीन के बीच रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। दोनों देशों के बीच चल रहे टकराव की वजह से भारत को लाभ हो सकता है। एप्पल के चीन से हटकर भारत को दूसरा सबसे बड़ा आई-फोन निर्माता बनाने के फैसले के बाद, अब लिथियम-आयन सेल्स भी भारत से सोर्स किए जाएंगे। अमेरिका की कंपनी एंकर ने चेन्नई स्थित मुनौथ ग्रुप के साथ एक समझौता किया है। जिसके तहत भारत से लिथियम-आयन सेल्स की सप्लाई होगी। यह कदम बाइडन प्रशासन द्वारा 2026 से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए चीन से आयातित लिथियम सेल्स पर 25 फीसदी ड्यूटी लगाने के फैसले के बाद उठाया गया है।
मुनौथ का 270 एमडब्ल्यूएच का प्लांट, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है, एंकर को हर महीने एक मिलियन लिथियम सेल्स निर्यात करेगा। यह छह महीने के सौदे का हिस्सा है। मुनाउथ अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और अतिरिक्त परीक्षण उपकरण लगाने की प्रक्रिया में है, इसे भारत की प्रारंभिक बैटरी निर्माण इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी जीत बताया जा रहा है। मुनाउथ इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष जसवंत मुनौथ ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि नई बैटरी उत्पादन यूनिट अमेरिका के एक प्रमुख पावर बैंक ब्रांड को एक मिलियन लिथियम सेल्स की सप्लाई करेगी। अब तक इस ग्राहक को चीन के सप्लायर सेवाएं दे रहे थे। यह सीधे तौर पर 2026 से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए चीन से आयातित लिथियम सेल्स पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ का परिणाम है।
मुनौथ ने बताया कि सप्लाई 2025 की दूसरी तिमाही से शुरू होगी। यह ऑर्डर भारत में स्थानीय ब्रांड्स को बैटरी की सप्लाई भारत से कराने का आत्मविश्वास देगा। आंध्र प्रदेश स्थित प्लांट की वर्तमान क्षमता हर महीने 5 लाख सेल्स का उत्पादन करने की है। एमओयू के बाद, मुनौथ अपनी क्षमता को पांच गुना बढ़ाकर 20 लाख सेल्स प्रति माह करने की योजना बना रहा है।मुनौथ ने कहा कि चीन के शीर्ष लिथियम आयन सप्लायर्स के ग्राहक अब भारत का रुख कर रहे हैं ताकि चीन से आयात पर लगाए गए भारी शुल्क से बचा जा सके।
हमारे सहयोगी, जो चीन के शीर्ष तीन लिथियम आयन सप्लायर्स में से एक हैं, के ग्राहक यह जानना चाहते थे कि क्या भारत लिथियम-आयन सेल्स की सप्लाई कर सकता है। 25% का टैरिफ बहुत ज्यादा है, और डोनाल्ड ट्रंप इसे 35% तक बढ़ाने की धमकी दे रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने अब गैर-चीन सप्लायर्स की ओर देखना शुरू किया है। यह बदलाव भारत की बैटरी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वैश्विक बाजार में चीन का मजबूत विकल्प बनने की दिशा में अग्रसर है।
भारत को इससे काफी फायदा होने वाला है। दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद की वजह से काफी फायदा हो रहा है। यही वजह है कि भारत के लिए ये काफी फायदेमंद स्टेप साबित हो सकता है। हालांकि यह भविष्य में ही तय हो सकेगा, दरअसल ट्रंप की नीतियों को लेकर पूरी दुनिया संदेह कर रही है।
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