लुधियाना 30 दिसंबर। साउथ सिटी रोड पर ग्लाडा की और से करीब 70 बिल्डिंगों को इललीगल करार करते हुए उनके सीएलयू कैंसिल कर दिए हैं। यह मामला लगातार तुल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में जिन बिल्डिंगों के सीएलयू कैंसिल हुए, उनके मालिकों द्वारा सामने आकर बड़े आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने इमारतों के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने वाले लुधियाना सिटीजन काउंसिल के कुछ पदाधिकारियों पर ब्लैकमेलर का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि काउंसिल के पदाधिकारी आज्ञा पाल सिंह द्वारा अपनी जमीन को सीधा रास्ता लेने के लिए उन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा है। जब उनकी बात न मानी गई तो उन्होंने हाईकोर्ट में उनके खिलाफ पीआईएल दायर कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी मांग है कि ग्लाडा द्वारा अपने सभी नोटिस को कैंसिल किया जाए। यदि उनकी जमीनें एक्वायर करनी है तो भी वह तैयार हैं। सरकार उन्हें उनका बनता कंपनसेशन दे दें। वह ग्लाडा के नोटिस को हाईकोर्ट में चैलेंज करेगें, क्योंकि यह सरासर धक्केशाही है।
आज्ञापाल ने अपनी जमीन आगे लाने को दायर की याचिका
बिल्डिंग मालिक तेजपाल चड्ढा ने कहा कि दरअसल, आज्ञापाल की जमीन नहर से पीछे हैं। उनकी जमीन के आगे बिल्डिंग मालिकों की जगह है। आज्ञापाल अपनी जमीन के लिए रास्ता मांग रहे थे, ताकि बिल्डिंग मालिक अपनी जमीनें सस्ते में उन्हें दे दें। जिससे आज्ञापाल की जमीन आगे नहर पर आ जाएगी। लेकिन रास्ता न देने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। चड्ढा ने कहा कि आज्ञापाल मेरा अच्छा दोस्त है। उसने कई बार मेरे जरिए जमीन दिलाने की मांग भी की थी। लेकिन जब जमीन न मिली तो वह हमारे खिलाफ चलने लगा।
काउंसिल सदस्य खुद चला रहे अवैध क्लब
वहीं हरप्रीत सिंह छाबड़ा ने कहा कि काउंसिल के कई सदस्यों द्वारा खुद को साउथ सिटी रोड पर अवैध तरीके से क्लब चलाए जा रहे हैं। उनके पास क्लब की पार्किंग की जगह नहीं है, जिस कारण सारे वाहन सड़कों पर खड़े होते हैं। जिससे ट्रैफिक जाम लगता है। लेकिन काउंसिल सदस्यों द्वारा इसकी आवाज नहीं उठाई जा रही। उन्होंने मांग की कि काउंसिल अपने गलत स्टैप को वापिस ले।
ग्लाडा को खुद नहीं पता उक्त रोड हाइवे है या नहीं
बिल्डिंग मालिकों ने आरोप लगाया कि ग्लाडा की और से नोटिस तो जारी कर दिया गया। लेकिन उन्हें खुद भी नहीं पता कि साउथ सिटी रोड नेशनल हाइवे है या नहीं। ग्लाडा द्वारा खुद बिल्डिंग मालिकों को जारी किए नोटिस में नेशनल हाइवे, शैड्यूल रोड, ए95 और ए95ए नेशनल हाइवे लिखकर भेजा जा रहा है। बिल्डिंग मालिक अनुसार जब रोड को नेशनल हाइवे बनाने की बात चली तो उनके पास हाइवे अथॉरिटी के अधिकारी आए थे। उन्होंने कहा कि कुछ पार्ट एक्वायर करके कंपनसेशन देंगे, लेकिन फिर उन्होंने एक्वायर नहीं की।
ग्लाडा अधिकारी बोले हाईकोर्ट का दबाव
तेजपाल चड्ढा ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में ग्लाडा अधिकारियों से मुलाकात की थी। लेकिन वह कह रहे हैं कि हाईकोर्ट के आदेशों के चलते उन पर दबाव है, जिस कारण उन्होंने नोटिस जारी किए हैं। चड्ढा का आरोप है कि उन्होंने सरकार की 2013 पॉलिसी के तहत जमीनें रेगुलाइज करवाई। ग्लाडा को पूरी फीस दी और टैक्स भी दे रहे हैं। फिर ग्लाडा से एनओसी ली। जिसके बावजूद आज उनके साथ सरेआम धक्केशाही हो रही है।
ग्लाडा अभी तक लेता रहा फीसें
बिल्डिंग मालिकों ने कहा कि 1996 से पहले यह कॉलोनी काटी गई। जिसमें बाद में 50-100 गज के प्लॉट बंट गए। फिर 2003 के बाद लोगों ने इमारतें बनाई। 2013 में पंजाब सरकार की पॉलिसी के तहत 40 हजार एकड़ जमीन रेगुलाइज हुई। 2019 के बाद नेशनल हाइवे बनने की बात सामने आई। फिर हमारी बिल्डिंगों पर ही गाज क्यों गिराई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि तीन साल पहले भी ग्लाडा द्वारा उन्हें कहा कि जिन बिल्डिंगों की फीसें जमा नहीं हुई, वह जमा करवा दें। अभी तक लोग अपनी फीसें जमा करवाते आए हैं। अगर उनकी जमीनें इललीगल थी या किसी प्लान के अधीन आ रही थी, तो उन्हें पहले क्यों नहीं बताया गया। फिर फीसें किस आधार पर ली गई। आरोप लगाया कि यदि नेशनल हाइवे बाद में बनने का प्रस्ताव आया तो इसमें उनकी क्या गलती है। हालांकि अभी तक नोटीफिकेशन जारी नहीं हुआ कि यह नेशनल हाइवे है या नहीं।