हरियाणा : 62 नगर निकायों में 1400 करोड़ का हिसाब-किताब ‘गायब’ होने से मची खलबली

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गुरुग्राम समेत 10 नगर निगम भी शामिल, विधानसभा कमेटी ने पकड़ी गड़बड़ी, सीरियस-नेचर के ‘गबन’ की आशंका !

चंडीगढ़ 24 मार्च। हरियाणा में वित्तीय गड़बड़ी का बड़ा मामला सामने आया है। नए मेयरों के पद संभालने से पहले 10 नगर निगमों समेत 62 निकायों में करीब 1400 करोड़ की टेंपरेरी-एडवांस में गड़बड़ी से खलबली मची है। दरअसल विधानसभा की कमेटी ने यह गड़बड़ी पकड़ी।

जानकारी के मुताबिक जांच में पता चला कि अधिकारियों ने कामकाज के लिए एडवांस लिया, लेकिन उसे कहां खर्च किया गया, इसका कोई हिसाब या सबूत नहीं दिए गए। सबसे ज्यादा गड़बड़ी गुरुग्राम में पकड़ी गई। बताते हैं कि विधानसभा कमेटी ने इस मामले में आशंका जताते इसे सीरियस-नेचर का गबन बताया। जिसके बाद इस मामले की जांच की सिफारिश की। कमेटी ने कहा कि संबंधित जिला नगर आयुक्तों, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को इन टेंपरेरी-एडवांस के एडजस्टमेंट के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाने चाहिए। ऐसा ना करने पर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जा सकती है।

बता दें कि गड़बड़ी वाले 9 निगमों में पिछले महीने ही चुनाव हुए, जहां मेयरों का शपथग्रहण इसी महीने है। दरअसल, विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित मामलों की कमेटी ने इन 10 निगमों के वित्तीय लेनदेन की जांच की। यह जांच 2019-20 के दौरान की है। जिसमें 1,395.98 करोड़ रुपए का ऑडिट किया जा रहा है। इसमें टेंपरेरी-एडवांस को लेकर गड़बड़ी मिली।

विधानसभा कमेटी ने ऑडिट रिपोर्ट में चार मुख्य बिंदु रखे। डिप्टी स्पीकर कृष्ण लाल मिड्ढा की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि इस पूरे मामले में रिकॉर्ड भी नहीं है। इस कारण से इसमें कोई भी गंभीर वित्तीय अनियमितता हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सभी नगर पालिकाओं में एक विशेष अभियान चलाकर इन ऑडिट पैरा, ऑडिट अनुरोध, ऑडिट आपत्तियों का एक निश्चित समय अवधि के भीतर निपटारा किया जाना चाहिए।

स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग, हरियाणा ने 2019-20 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग, हरियाणा के साथ-साथ स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग द्वारा कई वर्षों से लंबित अनएडजेस्टेड एडवांस के शीघ्र एडजेस्टमेंट के लिए स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद, नगर निगम प्रशासन द्वारा इसे ठीक करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विधानसभा की समिति फिलहाल ऑडिट रिपोर्ट पर चर्चा कर रही है।

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