कई दशक से राजनीति में सक्रिय लुधियाना के पूर्व मेयर बलकार सिंह संधू ने किया बड़ा सवाल
लुधियाना 25 दिसंबर। नगर निगम चुनाव निपटने के बाद फिलहाल पंजाब में मेयर बनाने के मुद्दे पर सियासी-माहौल गर्म है। चुनावी नतीजों को देखें तो सूबे में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के सामने कांग्रेस एक बार फिर राजनीतिक-चुनौती के तौर पर उभरी है। खासकर पंजाब के सियासी-गढ़ कहलाने वाले लुधियाना में भी निगम चुनाव के बाद माहौल गर्म है। यहां बेशक आप ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं, लेकिन उससे थोड़ा पीछे रही कांग्रेस ‘किंग-मेकर’ वाली भूमिका में है। ऐसे में कई दशकों से कांग्रेस के वफादार ‘योद्धा’ और पूर्व मेयर बलकार सिंह संधू ने ‘यूटर्न टाइम’ से खास बातचीत में बेबाकी से अपनी राय रखी।
हिंदू-सिख तो है हीं एक मां के लाल
फिर कहां से उठा पगड़ी का सवाल
इस सियासी-माहौल में पूर्व मेयर संधू ने अपनी पार्टी कांग्रेस पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिए। वह बेबाकी से बोले कि कांग्रेस आज फिर से खड़ी हो सकती है। पार्टी से मेरा आग्रह है कि अब अपनी नई पार्टी से निराश बीजेपी के पूर्व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ की घर-वापसी कराई जाए। वह सीएम पद के असल दावेदार थे, लेकिन अंबिका सोनी जैसी सीनियर नेता ने हिंदू-सिख का सवाल पैदा कर हैरानी वाला बयान दे दिया था। कांग्रेस का इतिहास खंगाल लो, पंजाब में पार्टी में कभी हिंदू-सिख के नाम पर कोई बंटवारा नहीं रहा था। लुधियाना में सांसद सतपाल मित्तल-जोगिंदर पाल पांडे की जोड़ी इसकी नायाब मिसाल रहे।
मौकापरस्त बांधने लगे पगड़ी
सीनियर कांग्रेसी नेता संधू ने बिना नाम लिए कांग्रेस प्रदेश प्रधान व लुधियाना के सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग पर भी तंज कसे। उन्होंने कहा कि मौकापरस्तों ने तो सीएम बनने का सपना पालते हुए पगड़ियां बांधनी शुरु कर दीं। पार्टी हाईकमान को घेरकर रखने वाली चौकड़ी द्वारा गलत फीडबैक दिया जाता है। उन्होंने इलजाम लगाया कि तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को चापलूसों के गलत फीडबैक के चलते कांग्रेस छोड़ने को मजबूर किया गया। तब कांग्रेस प्रदेश प्रधान रहते सुनील जाखड़ सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन हिंदू-सिख-दलित जैसे तर्क गढ़कर चरणजीत चन्नी को वोटिंग में कमजोर होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनवा दिया गया। इसी गलत कल्चर के चलते सीएम पद की चाह में कभी विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर स्व. हरनाम दास जौहर को भी लोगों ने पगड़ी बंधवा दी थी।
सिख पीएम, राष्ट्रपति बन सकते
हैं तो फिर हिंदू सीएम क्यों नहीं ?
पूर्व मेयर संधू ने दलील दी कि मेरे वार्ड में तो 90 फीसदी हिंदू वोटर हैं, उन्होंने मुझे जिताया। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से आग्रह किया कि हिंदू-सिख की बातें करने वाले नेताओं पर कड़ी कार्रवाई की जाए। नामचीन लेखक गुलजार सिंह संधू ने तो हिंदू-सिख की सबसे बेहतरीन मिसाल दी थी। हैरानी, अफसोस की बात है कि यह राजनीति में धर्म के नाम पर तर्क क्यों दिए जाने लगे हैं। कांग्रेस को अगर फिर से मजबूत करना है तो पंजाब में हिंदू समाज को महत्व देना पड़ेगा।
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