चंडीगढ/यूटर्न/13 दिसंंबर: सात साल पहले होली पर पंचकूला के गांव सकेतड़ी में हुई युवक वरिंद्र की निर्मम हत्या मामले में जिला अदालत ने एक पूर्व पार्षद के बेटे सहित सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही सभी दोषियों पर हत्या की धारा के तहत 25-25 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
100 सुनवाई के बाद मिली सजा
सकेतड़ी हत्या कांड में 28 लोगों की गवाही के बाद सात साल बाद बुजुर्ग मां को न्याय मिल गया। 100 सुनवाइयों के बाद सात आखिर सात आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। मामले में मोबाइल फोन, गंडासे, लोहे की रॉड, हॉकी, चाकू सहित करीब 36 सबूत एकत्रित किए गए। शिकायतकर्ता के वकील ने बताया कि इस मामले में सौ से ज्यादा सुनवाइयां हुई। वरिंद्र की मां दविंदर कौर का कहना है कि उम्रकैद नहीं फांसी की सजा जरूरी थी, ताकि फिर कोई मां इस तरह अपना बेटा न खोए…। उन्होंने सात साल तक अपने इकलौते बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने तय कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए कदम पीछे नहीं हटाएंगी। अपने बेटे वरिंद्र के कातिलों को सजा दिलवाएंगी।
तीसरे वकील के आने से बदला केस का रुख
दविंदर कौर का कहना है कि उनके भाई जय सिंह समेत परिचित उनके साथ ढाल बनकर खड़े रहे। इस केस में दो वकील बदले। डेढ़ साल बाद 2019 में तीसरे वकील जसवंत सिंह ने एक बुजुर्ग मां की पुकार सुनी और पूरे केस का रुख ही बदल दिया। इसके बाद बुजुर्ग दविंदर कौर की जिद के आगे कातिलों के हर प्रयास नाकाम होते गए।
कोर्ट ने एक मिनट में सुनाई सजा
वीरवार को जिला अदालत ने सात दोषियों को उम्रकैद की सजा महज एक मिनट में सुना दी। दरअसल फरवरी 2024 में लगातार तीन से चार दिन तक 30 आदमियों की गवाही के बाद बहस हुई। इंसाफ की राह देख रही दविंदर कौर के कलेजे को ठंडक मिली है। वह अपने भाई जय सिंह को पकड़ कर रोने लगीं, लेकिन यह आंसू गम के नहीं खुशी के थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह मेरे बेटे की बिना गलती बेरहमी से हत्या की गई। उस तरह ऐसा किसी दूसरी मां के बेटे के साथ न हो, किसी मां का संसार न उजड़े।
आज भी कानों में गूंजती है..कुल्हाड़ी और तलवारों की आवाज
आज भी 13 मार्च 2017 की रात दविंदर कौर भूल नहीं पाई हैं। कोई ऐसा दिन नहीं है, जब बेटे वरिंद्र की याद में उसकी मां के आंखों से आंसू न गिरे हों। वह आज भी अपने आप को कोसती है, कि होली की रात 8.15 बजे कुल्हाड़ी और तलवारों से उनका दरवाजा पीटते युवकों का शोर सुनकर अपने बेटे को घर से बाहर जाने से रोक लेती तो उनके बुढ़ापे की बैसाखी आज भी उनके साथ होती। उनके सपने पूरे होते। दविंदर कौर एक आशा वर्कर हैं। उनका सपना था कि नया घर बनवाने के बाद अपने बेटे की शादी करेंगी। उनके पति उनके साथ नहीं थे। एक सिंगल मदर के रूप में उन्होंने अपने बेटे की परवरिश की थी। उनका बेटा वरिंद्र ने स्नातक की पढ़ाई पूरी कर नौकरी भी करने लगा था, लेकिन उनकी सारी खवाहिश अधूरी रह गई। जब उनके बेटे को मौत के घाट उतार दिया गया।
पहले चचेरे भाई को फोन कर दी जान से मारने की धमकी, हत्थे चढ़ा वरिंद्र
पहले वरिंद्र के चचेरे भाई अवतार को पार्षद के बेटे ने फोन कर जान से मारने की धमकी दी। वह डर के मारे घर से कहीं चला गया। शाम करीब 8.15 बजे वह नौ अन्य बदमाशों के साथ उसके घर पहुंचा और उसका नाम लेकर फायर करने लगा। तलवारों और कुल्हाड़ी से उसका दरवाजा पीटने लगा। आवाज सुनकर उसका चचेरा छोटा भाई वरिंद्र सिंह (26) घर से जैसे ही बाहर निकला तो आरोपियों ने तेजधार तलवारों, गंडासियों व कृपाणों से हमला कर दिया और उसे गाड़ी से घसीटते हुए लेकर गए।
ऐसे दिया था हत्याकांड को अंजाम
पार्षद कुलजीत वड़ैच के बेटे मनमीत उर्फ मॉन्टी वड़ैच ने अवतार सिंह को फोन कर धमकी दी। 21 सेकेंड की बात में मॉन्टी ने अवतार से कहा कि आज तेरी जान ले लेंगे, बच सकता है तो बच ले। वह घर आ रहा है और जो मिला उसे मार देंगे, चाहे तेरे मां-बाप ही क्यों न हो। अवतार डर गया और शिकायत देने पुलिस स्टेशन गया। वह पहुंचा भी नहीं था कि रात करीब 8 बजे पर मॉन्टी ने दो गाडिय़ों में आए 8-10 युवकों के साथ अवतार के घर पर हमला कर दिया। युवकों ने तीन हवाई फायर किए। वरिंद्र संधू (बुआ का लडक़ा) बाहर निकला। आरोपियों ने उस पर तलवारों से हमला किया, फिर उसे गाड़ी के बोनट पर लिटा दिया। दो लडक़ों ने उसके हाथ पकड़ लिए और गाड़ी चला दी। इसके बाद 26 साल के वरिंद्र को कार में बैठे युवक ने गले से पकड़ा और डंडे मारे। युवकों ने वरिंद्र को गाड़ी के अंदर डाल लिया और खिडक़ी खोलकर उसे सिर के बल गिरा दिया। वीरेंद्र का सिर सडक़ पर था और टांगें हमलावरों ने पकड़ रखी थी। युवकों ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी। सडक़ पर वरिंद्र को 800 मीटर दूरी तक घसीटा गया। उसके दांत टूटते गए, आंख-कान छिलते गए। रोड पर खून के निशान की लाइन बनती गई। रगड़ से हाथ, छाती और कमर का मांस सडक़ पर चिपक गया। हमलावरों की हैवानियत नहीं रुकी और उन्होंने वरिंद्र पर चाकुओं और तलवारों से वार किए। इसके बाद हमलावर उसकी लाश को फेंककर फरार हो गए थे।
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Kulwant Singh
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