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बुड्‌ढे नाला प्रदूषण मामले में काला पानी मोर्चा की जीत, एनजीटी के आदेश, पीपीसीबी 12 दिन में काट सकता है डाइंग यूनिटों  के कनेक्शन

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लुधियाना 11 दिसंबर। बुड्‌ढे नाले में गंदगी फैलाने के मामले में काला पानी मोर्चा द्वारा लगातार डाइंग यूनिटों का विरोध किया जा रहा था। जिसके लिए बकायदा पिछले दिनों बड़े सत्र पर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। लेकिन अब इस मामले में एनजीटी की और से लगातार संज्ञान लिया जा रहा था। बुधवार को पंजाब डायर्स एसोसिएशन की और से दायर की गई याचिका पर एनजीटी की कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत की और से लुधियाना के तीनों सीईटीपी प्लांट से जुड़े डाइंग यूनिटों को बंद करने के आदेश दे दिए हैं। इन आदेशों के बाद काला पानी मोर्चा की जीत होती हुई नजर आ रही है। इसी के साथ 23 दिसंबर को केस की अगली सुनवाई की जाएगी। पीपीसीबी (पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) को 23 दिसंबर को कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। यानि कि 12 दिन के अंदर अंदर पीपीसीबी की और से डाइंग यूनिटों पर एक्शन ले लिया जाएगा। यानि के डाइंग यूनिटों के बिजली कनेक्शन काट दिए जाएंगे। चर्चा है कि आने वाले दिनों में तीनों सीईटीपी के साथ जुड़े करीब 200 डाइंग यूनिट पूरी तरह से बंद कर दिए जाएंगे। हालांकि पहले काली पानी मोर्चा द्वारा डाइंग इंडस्ट्री बंद करने के विरोध में प्रदर्शन किया गया था। तब डाइंग कारोबारियों की और से मामला एनजीटी में विचाराधीन होने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब एनजीटी ने ही बुड्‌ढे नाले का प्रदूषण फैलाने का जिम्मेदार ठहराते हुए बंद करने के आदेश दे दिए हैं। इस फैसले के बाद इंडस्ट्री में दहशत का माहौल बना हुआ है। बता दें कि ताजपुर रोड 40 एमएलडी व 50 एमएलडी और एक बहादुरके रोड 50 एमएलडी को मिलाकर तीन सीईटीपी प्लांट है। जिन पर एनजीटी की और से एक्शन लिया गया है।

54 अन्य डाइंग यूनिटों पर भी होगा एक्शन
जानकारी के अनुसार पिछले दिनों एनजीटी की और से शहर की 10 कॉर्पोरेट कंपनियों समेत 44 डाइंग इंडस्ट्री को बंद करने के भी आदेश दिए थे। हालांकि अभी इस केस के ऑर्डर की कॉपी अभी जारी नहीं हुई है। चर्चा है कि इन 54 यूनिटों पर भी एक्शन लिया जाएगा। वहीं इसी के साथ अगर सीईटीपी प्लांट के साथ जुड़ी डाइंग इंडस्ट्री पर एक्शन होता है तो इसके बाद स्कैटेड व लार्ज इंडस्ट्री पर भी जल्द कार्रवाई होने के कयास लगाए जा रहे हैं।

टेक्सटाइल व गारमेंट इंडस्ट्री होगी प्रभावित
जानकारी के अनुसार अगर इन डाइंग यूनिटों पर एक्शन होता है तो इससे टेक्सटाइल व गारमेंट इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित होगी। लुधियाना में 10 से 12 हजार टेक्सटाइल इंडस्ट्री यूनिट है। जिसमें करीब 5 से 10 लाख लेबर काम करती है। डाइंग इंडस्ट्री टेक्सटाइल की रीड की हड्‌डी है। ऐसे में अगर डाइंग यूनिट बंद होंगे को काफी बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

काला पानी मोर्चा की मुहिम लाई रंग
जानकारी के अनुसार काला पानी मोर्चा की और से लगातार डाइंग यूनिटों के खिलाफ मुहिम चलाई जा रही थी। जिसके चलते समय समय पर मोर्चा के सदस्यों द्वारा धरने लगाए गए और पिछले दिनों ही बड़े सत्र पर प्रदर्शन भी किया गया था। लेकिन अब एनजीटी के आदेशों के बाद कही न कही काला पानी मोर्चा की मुहिम रंग लाती हुई नजर आई है।

पंजाब सरकार के गले की फांस न बन जाए मामला
अगर लुधियाना के डाइंग यूनिट बंद होने के बावजूद बुड्‌ढा नाला साफ न हुआ तो यह पंजाब सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगा। क्योंकि एक तरफ सरकार के हाथों से इंडस्ट्री भी निकल जाएगी और नाला साफ न हुआ तो उसके बाद इसके जिम्मेदार किसे ठहराया जाएगा, यह बड़ा सवाल बन जाएगा। चर्चा है कि कही नाला सफाई अभियान सरकार के गले की फांस न बन जाए। क्योंकि डाइंग यूनिट 150 एमएलडी पानी नाले में गिराते है। सरकार के मुताबिक नाले में 700 एमएलडी पानी गिरता है। ऐसे में बाकी 550 एमएलडी पानी कहा से आ रहा है, यह जांच का विषय बन जाएगा।

अब क्या डेयरियां और एसटीपी के खिलाफ भी खुलेगा मोर्चा
अगर डाइंग यूनिट बंद हो जाते है तो नाले का पानी काफी हद तक साफ होने का अनुमान है। लेकिन डेयरी मालिकों और नगर निगम के एसटीपी प्लांट पर भी पानी गंदा करने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में क्या काला पानी मोर्चा द्वारा डेयरी मालिकों और सरकार के नगर निगम विभाग खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा कि नहीं, यह बड़ा चैलेंज है।

बावा ने तीन साल पहले उठाया था मुद्दा
डाइंग कारोबारी तरुण जैन बावा की और से 2021 में बुड्‌ढे नाले की गंदगी का मुद्दा उठाया था। बावा की और से मुद्दा उठाते हुए सरकार व प्रशासन की गलतियों को भी सामने लाया गया था। हालांकि बाद में काला पानी मोर्चा द्वारा इसे संभाल लिया गया। जिसके बाद लगातार मोर्चे के सदस्यों द्वारा इसके खिलाफ आवाज उठाई जा रही थी।

सरकार की गलती, गाज इंडस्ट्री पर गिराई जा रही
डाइंग कारोबारी रजनीश गुप्ता ने कहा कि 2012 में पंजाब सरकार द्वारा डाइंग का पानी लोयर बुड्‌ढा नाला में गिराने का प्रस्ताव लाकर सीईटीपी लगाने के आदेश दिए थे। लोयर बुड्‌ढे नाले का पानी खेतीबाड़ी के लिए इस्तेमाल होना था। इस प्रस्ताव के बाद प्रयावरण क्लियरेंस लेकर प्लांट लगाए गए। लेकिन 1988 में बाढ़ आने पर लोयर बुडढा नाला को सतलुज से जोड़ा गया था। लेकिन 2012 में आदेश देने के बावजूद इसे चालू नहीं किया। सरकार की गलती का नतीजा डाइंग इंडस्ट्री को भुगतना पड़ रहा है।

तीनों प्लांट की हो चैकिंग, गलती निकले तो लें एक्शन
कारोबारी अरूण जैन ने कहा कि लुधियाना में तीन सीईटीपी प्लांट में पानी ट्रीट होकर जाता है। सरकार ने खुद प्लांट लगवाए और अब खुद ही डाइंग इंडस्ट्री के गलत बता रह है। दोषी वे लोग हैं जो सीधा गंदा पानी नाले में फेंकते हैं। प्रदूषण बोर्ड आकर समय समय पर प्लांट की चैकिंग करता है, पानी एकदम सही पाया जाता है। अगर कोई शक है तो आकर तीनों प्लांटों की चैकिंग की जा सकती है, अगर गलती निकले तो एक्शन लें। लेकिन जबरन इंडस्ट्री दोषी बनाना गलत है।

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