सीबीआई को अदालती आदेश फार्मा कंपनियों की जांच करे, पंजाब और हरियाणा पुलिस करे सहयोग
चंडीगढ़ 28 नवंबर। पंजाब और हरियाणा में नशाखोरी रोकने को अहम अदालती फैसला सामने आया है। दरअसल नशे की खेप में दवाओं तकी बरामदगी के बढ़ते मामलों पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गंभीर कदम उठाया है। अदालत ने सीबीआई को इस मामले में फार्मा कंपनियों की भूमिका की जांचने का आदेश दिया है।
जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट ने इसी मामले में हरियाणा और पंजाब के डीजीपी को आदेश दिया है कि सीबीआई को पूरी सहायता उपलब्ध कराई जाए। बताते हैं कि इस मुद्दे पर याचिका दाखिल करते हुए जींद निवासी साहिब सिंह ने एनडीपीएस के मामले में सुनाई सजा के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए इसका दायरा बढ़ा दिया। अदालत ने एनसीबी यानि नेशनल क्राइम ब्यूरो से पूछा था कि जब नशा दवाओं के रूप में बिक रहा है तो इसका निर्माण करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। एनसीबी ने इस पर जवाब दिया कि फार्मा कंपनियों के लिए रेगुलेशन मौजूद हैं।
बताते हैं कि हाईकोर्ट ने इसे लेकर कहा कि हमारे सामने लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें दवा, इंजेक्शन आदि के रूप में नशे की खेप पकड़ी जा रही है। वह साबित करता है कि नशे के रूप में इसे बेचा जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि इन दवाओं का निर्माण हरियाण, पंजाब व पड़ोसी राज्यों में हो रहा है। ऐसे में जांच को सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। इसे लेकर सीबीआई ने कहा कि यदि कोर्ट आदेश देता है तो वह जांच के लिए तैयार हैं। हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपते हुए उन्हें एक टीम बनाने और काबिल अधिकारियों हरियाणा, पंजाब या चंडीगढ़ से शामिल करने की छूट दी है। साथ ही टीम को छूट होगी कि वे छापा मार सकें या गिरफ्तारी कर सकें।
कोर्ट ने एनसीबी को आदेश दिया है कि वह टीम की मदद करें। साथ ही हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के डीजीपी को टीम को आवश्यक संसाधन व मैन पावर उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। टीम में मौजूद सभी सदस्यों पर सीबीआई का कंट्रोल होगा। हाईकोर्ट ने सीबीआई को दो माह के भीतर फार्मा कंपनियों की भूमिका को लेकर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
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