जनहितैषी,श्रावस्ती, 28 नवम्बर। इस दौर में सबकुछ नकली है, अगर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जी हां शिक्षा जैसे पवित्र पेशे को भी पेशेवर अपराधियों ने नहीं छोड़ा है। खबर श्रावस्ती से जहां शिक्षा विभाग ने पांच नकली शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया है। पांचों फर्जी शिक्षक लंबे समय से जनपद में कार्यरत थे यह लोग प्राथमिक विद्यालयों में फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी कर रहे थे। अभिलेख खंगालने पर जालसाजों का कारनामा सामने आया। बीएसए अजय कुमार गुप्ता ने पांचों फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है । इससे पहले भी पांच शिक्षकों पर जून माह में शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई की गई थी ।
उत्तर प्रदेश, जो भारत का सबसे बड़ा राज्य है, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में प्रयासरत है। लेकिन हाल के वर्षों में राज्य में फर्जी शिक्षकों की समस्या ने शिक्षा व्यवस्था को चुनौती दी है। यह समस्या न केवल सरकारी शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि इससे राज्य के लाखों छात्रों का भविष्य भी प्रभावित होता है।
फर्जी शिक्षकों की समस्या का स्वरूप
फर्जी शिक्षक वे होते हैं जिन्होंने झूठे प्रमाणपत्रों या जाली दस्तावेजों के आधार पर सरकारी स्कूलों में नौकरी हासिल की होती है। उत्तर प्रदेश में यह मुद्दा तब प्रकाश में आया जब विभिन्न जांच एजेंसियों ने पाया कि कई शिक्षक फर्जी डिग्री के सहारे सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।
2018 में मामला उछला: जब एक शिक्षक ने खुद को 25 स्कूलों में नियुक्त दिखाया था और कई करोड़ रुपये का वेतन प्राप्त किया।