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मुद्दे की बात : बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू असुरक्षित

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पड़ोसी मुल्क होने के नाते भारत की चिंता बढ़ी

बांग्लादेश में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद वहां माहौल तनावपूर्ण है। खासकर वहां अल्पसंख्यक हिंदू खौफजदा हैं। संत की गिरफ्तारी की विशेषकर भारत में तीखी आलोचना हो रही है। यह गिरफ्तारी बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के बीच हुई है। ऐसे में बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्तों में और कड़ुवाहट पैदा हो गई। बांग्लादेश पड़ोसी मुल्क होने के कारण वहां कट्टरपंथियों का लगातार प्रभाव बढ़ना भारत के लिए सबसे चिंताजनक पहलू माना जा रहा है।

यहां गौरतलब है कि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पाकिस्तान समर्थित कट्‌टरपंथी संगठनों की दखल बढ़ी। साथ ही भारत की तुलना में बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ ही चीन से नजदीकियां बढ़ाई हैं। इससे भारत के साथ उसके पुराने रिश्तों में दरार बढ़ी। अब संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने माहौल और संगीन बनाने का काम किया। दरअसल संत बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे। उन पर अक्टूबर में चट्टोग्राम में एक रैली में बांग्लादेशी झंडे का अपमान करने का आरोप लगाया गया। भारत सरकार ने इस गिरफ्तारी पर नाराजगी जताते बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही है। शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें उठाने वाले एक धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों और दुकानों में आगजनी और लूटपाट के साथ मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले हुए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं। जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से जायज मांगें उठाने वाले एक धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। विदेश मंत्रालय ने संत की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता जताई। वहीं दूसरी ओर भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान पर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में कहा कि यह निराधार है और दोनों देशों के बीच मित्रता की भावना के विपरीत है। कुल मिलाकर बांग्लादेश में इस्कॉन संत की गिरफ्तारी ने भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है। विश्व हिंदू परिषद ने इस कदम को कायरतापूर्ण और अलोकतांत्रिक बताया है। इस्कॉन ने भारत से संत की रिहाई के लिए बांग्लादेश से बात करने की अपील की है। साथ ही संत पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। सद्गुरु और श्री श्री रविशंकर ने भी गिरफ्तारी की आलोचना की है। रविशंकर ने कहा, हम प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से और अधिक उम्मीद करते हैं, जिन्हें लोगों के लिए शांति और सुरक्षा लाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है और इसीलिए उन्हें कार्यवाहक सरकार का मुखिया बनाया गया है। हम उनसे ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं करेंगे, जिससे समुदायों के बीच और अधिक तनाव और भय पैदा हो। यहां यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी और लोकतंत्र के कमजोर होने के बीच हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक मुस्लिम युवक ने फेसबुक पर इस्कॉन को प्रतिबंधित करने की मांग वाली एक पोस्ट डाली थी। जिसके बाद स्थानीय हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति चिंताजनक है। कभी बांग्लादेश की आबादी का 20% हिस्सा हिंदू थे, लेकिन अब यह घटकर 9% से भी कम रह गए हैं। हिंदू समुदाय के नेताओं का कहना है कि अल्पसंख्यक हमेशा उपद्रवियों का आसान निशाना होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2013 से सितंबर 2021 के बीच हिंदू समुदाय पर कम से कम 3,679 हमले हुए, जिनमें तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा शामिल है।
हाल ही में, बांग्लादेश को इस्लामी राज्य घोषित करने की मांग उठी है। देश के अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता उस राष्ट्र की वास्तविकताओं को नहीं दर्शाते हैं, जहां 90% आबादी मुस्लिम है। विश्लेषकों ने बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति की तुलना अफगानिस्तान और पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य से की है। छात्र आंदोलनों के बाद हुए तख्तापलट और शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद, बांग्लादेश की स्थिति की तुलना अफगानिस्तान से की गई है। इस्कॉनन के संत की गिरफ्तारी और उसके बाद हुई प्रतिक्रियाओं ने बांग्लादेश के भविष्य के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देश किस दिशा में जाएगा, यह देखना बाकी है।

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