डल्लेवाल को पंजाब पुलिस ने डिटेन कर लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में दाखिल करा भारी फोर्स लगाई
लुधियाना 26 नवंबर। खनौरी बॉर्डर पर मरणव्रत शुरू करने से पहले ही किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वहां से उन्हें पंजाब पुलिस ने डिटेन कर लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में दाखिल करा दिया। अस्पताल के चारों तरफ पुलिस फोर्स तैनात कर दी, ताकि कोई भी उनसे संपर्क ना कर सके।
पंधेर ने मान सरकार से किया सवाल :
यहां गौरतलब है कि इसके पहले किसान नेता सरवन पंधेर ने खुलासा किया था कि सोमवार आधी रात के बाद डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर से पुलिस उठा ले गई। उनको कहां ले गए, इसकी जानकारी नहीं है। कई पुलिसवाले हिंदी भाषा बोल रहे थे। साथ ही कहा कि डल्लेवाल को मुख्यमंत्री भगवंत मान की ज्युरिडिक्शन से उठाया है। इसलिए पंजाब सरकार को किसानों के प्रति अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। सरकार के इस रवैये के घातक परिणाम होंगे।
डीआईजी ने दिया स्पष्टीकरण :
इसके बाद पटियाला रेंज के डीआईजी मनदीप सिंह सिद्धू ने सरकार का पक्ष रखते कहा कि डल्लेवाल ने मरणव्रत की घोषणा की थी। उनकी उम्र और सेहत की वजह से प्रशासन चिंतित था। मरणव्रत के ऐलान के बाद वहां भीड़ बढ़ती, ऐसे में उन तक सेहत सुविधाएं नहीं पहुंच पाती। इसी वजह से उनको मेडिकल जांच के लिए लुधियाना में डीएमसी लेकर गए।
मरणाव्रत जरुर शुरु होगा : अभिमन्यु
हिरासत के वक्त डल्लेवाल के साथ रहे हरियाणा के किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने आरोप लगाया कि पुलिस सिर्फ उन्हें कुर्ते में उठा ले गई। उन्हें पजामा और गर्म कपड़े तक नहीं पहनने दिए, वह तब रेस्ट कर रहे थे। तभी दोनों तरफ से पुलिस पहुंची और उन्हें डिटेन करके ले गई। साथ ही चेतावनी दी कि मरणव्रत जरूर शुरू होगा। पहले भी डिसाइड था कि अगर जगजीत डल्लेवाल को कुछ होगा तो अगला किसान नेता मरणव्रत पर बैठेगा। अब अगर एक किसान नेता भूख हड़ताल पर नहीं बैठेगा तो अन्य किसान नेता उनकी जगह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। जल्द ही किसान संगठन बैठक कर निर्णय लेंगे कि अब कौन मरणव्रत पर बैठेगा।
डल्लेवाल ने वसीयत भी लिख दी थी :
यहां काबिलेजिक्र है कि डल्लेवाल ने 4 नवंबर को ऐलान किया था कि पार्लियामेंट सेशन शुरू होते ही वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसके बाद 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे। एक दिन पहले सोमवार को फरीदकोट में उन्होंने कहा है कि वह सिर पर कफन बांधकर आमरण अनशन पर बैठने जा रहे हैं। केंद्र सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होंगी या फिर वह अपनी जान कुर्बान कर देंगे। उनकी मौत से भी आंदोलन नहीं रुकेगा। मौत के बाद दूसरे नेता आमरण अनशन शुरू करेंगे। इसलिए उन्होंने अपनी जमीन पुत्र, पुत्रवधू और पौत्र के नाम की दी थी।
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