अदालत ने मान सरकार से किया जवाब-तलब
चंडीगढ़ 22 नवंबर। पंजाब में भू-जल का गिरते स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। हालात इतने संगीन हैं कि पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट ने इस मुद्दे पर सूबे की मान सरकार से जवाब-तलब किया है।
जानकारी के मुताबिक भूजल संरक्षण के लिए जनवरी, 2023 में जारी दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका दायर हुई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार, पंजाब जल संसाधन विकास एजेंसी और केंद्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण से जवाब-तलब किया है। दरअसल पंचकूला निवासी ध्रुव चावला ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब में भूजल के गिरते स्तर को रोकने में पंजाब सरकार नाकाम रही है। पंजाब पहले से ही भूजल संकट का सामना कर रहा है। लगातार भूजल के दोहन से स्थिति और खराब हो रही है।
याचिका में हवाला दिया गया कि केंद्रीय भूजल अथॉरिटी द्वारा 2020 के ब्लॉक वाइज भूजल मूल्यांकन के दौरान पाया गया कि पंजाब के अधिकांश जिलों ने अपने भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर लिया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के हवाले से बताया गया कि पंजाब का भूजल 2039 तक 300 मीटर से नीचे गिर सकता है। पंजाब में संबंधित अथॉरिटी द्वारा जल संरक्षण के लिए तैयार प्रणाली दूर-दूर तक प्रभावी नहीं है। सब्सिडी कम होने के चलते उद्योग ट्रीटेड पानी को सिंचाई क्षेत्र को उपलब्ध नहीं करा रहे।
इस याचिका में ध्यान दिलाया गया कि पंजाब जल संसाधन विकास एजेंसी ने शुरुआत में 2020 में दिशा-निर्देश जारी किए थे। सार्वजनिक आपत्तियों पर विचार करने के बाद, उन्होंने 2023 की शुरुआत में अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए, जिन्हें इस याचिका में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से राज्य सरकार के अधिकारियों को पंजाब भूजल निष्कर्षण और संरक्षण निर्देश, 2023 को वापस लेने या उनमें संशोधन करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। याची ने कहा कि ऐसा करके ही पंजाब में भूजल की कमी से निपटने में अधिक प्रभावी हुआ जा सकता है। जिसे लेकर हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और तुरंत इस पर कदम उठाना जरूरी है।
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