हरियाना/यूटर्न/21 नवंबर: मनरेगा योजना के घोटालों में नूंह जिला कई बार सुर्खियों में रहा हैं। अलग-अलग तरह के घोटालों में जहां भ्रष्ट अधिकारियों को प्रदेश सरकार ने जेल में डालने का काम किया था, वहीं सरपंचों पर भी कड़ी कार्रवाई की गई थी। लेकिन इस बार मनरेगा के भ्रष्टाचारियों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। गबन करने की पटकथा बदल-बदलकर जिला पंचायत विभाग और सरपंच सरकारी खजाने को जमकर चुना लगा रहे है। इस बार ग्राम पंचायतों के सरपंच मनरेगा जेई, एबीपीओ, बीडीपीओ और सचिव से मिलकर मनरेगा ऐप पर गूगल से फर्जी फोटो अपलोड कर मजदूरों की फर्जी हाजरी लगा रहे है। ये तब है, जब सरकार द्वारा मनरेगा कार्यों पर निगरानी के लिए जिओ टैगिंग लागू की हुई है। मनरेगा वेबसाइट के अनुसार, फिरोजपुर झिरका खंड के गांव चितौडा,हमजापुर, मुहदबास, भाकरोजी सहित दर्जनों गांवों में इन दिनों मनरेगा के कार्य चल रहे है। मस्टररोल में मजदूरों के फर्जी जॉब कार्ड लगाकर हाजरी लगाई जा रही है। हद तो तब हो गई जब गूगल से मजदूरों के फोटो उठाकर मनरेगा ऐप पर अपलोड कर मजदूरों की हाजरी लगाई है। हैरत की बात यह है कि जो अधिकारी इस चोरी की आज तक नहीं पकड़ पाए। एनबीटी ने कुछ ठेकेदारों से मिलकर मानेगा का पोर्टल खोलकर पूरा रिकॉर्ड खंगाल दिया।
मनरेगा में काम करने वाले ठेकेदार ने बताई ये बात
मनरेगा में काम करने वाले एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह सबसे पहले नूंह जिला परिषद कार्यालय में कार्यरत एपीओ मनरेगा में कार्य करने की अनुमति देता है। उसके बाद सरपंच मजूदरों के जॉब कार्ड बनवाकर बैंक खाता खुलाकर बीडीपीओ, एबीपीओ, जेई और ग्राम सचिव से मिलकर मस्टररोल तैयार की जाती है। जिसके बाद मजदूरों को धरातल पर लगाकर कार्य किया जाता है। मनरेगा एप पर फोटो अपलोड करने का जिंमा मेट का रहता है, जबकि इसका सत्यापन कनिष्ठ सहायक, ग्राम सचिव और एबीपीओ करते हैं। इनकी रिपोर्ट के बाद ही मजदूरों की मजदूरी का भुगतान होता है और यह राशि भी बैंक खाते में आती हैं। यह मामला एक गांव का नहीं बल्कि जिले के प्रत्येक गांव का है।
कैसे लगाते है हाजरी
सरकार ने मनरेगा योजना को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए अप्रैल 2022 में एनएमएमएस (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) व्यवस्था लागू की। नियमानुसार श्रमिकों की हाजिरी इस पर ऑनलाइन होनी चाहिए, साथ ही श्रमिकों के काम करते के फोटो अपलोड होने चाहिए। लेकिन मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों ने इस व्यवस्था के साथ भी ‘भ्रष्टाचार’ शुरू कर दिया है। मनरेगा योजना के तहत कार्य करने वाले ठेकेदार अपने फोन में पहले से ही गूगल से मजदूरों का फोटो रखते है। मनरेगा मजदूरों की उपस्थित दर्ज करने के लिए ठेकेदार फोन में लिए हुए फोटो को दूसरे फोन से फोटो लेकर मनरेगा ऐप पर अपलोड कर देते हैं। हालांकि इनकी जांच करने का जिम्मा जेई, एबीपीओ सहित अन्य अधिकारियों पर होता है, लेकिन अपने कमीशन के चक्कर में इसका सत्यापन कर दिया जाता है।
जिले के सभी गांवों में फर्जी मजदूरों के फोटो से लगाई जा रही हाजरी
गांव तीरवाड़ा के रहने वाले समाजसेवी यूसुफ ने मुखयमंत्री को दी शिकायत में बताया कि मनरेगा में भ्रष्टाचार नूंह जिला परिषद कार्यालय से चलता है। कार्यालय में नियुक्त मनरेगा एपीओ वरुण पिछले काफी वर्षों से अपनी जड़ जमाए हुए है। जिसकी वजह से मानेगा योजना में भ्रष्टाचार फैल रहा है। वरुण का सभी ठेकेदारों को अधिकारियों से कमीशन तय है। अगर वरुण यहां से चला जाए तो मनरेगा योजना मे हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है।
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हरियाणा के नूंह में भ्रष्टाचार की सारी हदें पार, गूगल से फोटो उठाकर लग रही मनरेगा मजदूरों की हाजिरी
Kulwant Singh
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