भारत में भी इस तरह के इमोश्नल-ब्लैकमेलिंग के मामले आ रहे सामने
दुनिया भर में एक नया स्कैम ट्रेंड में है, जिसका शिकार भारत में भी कोई भी हो सकता है। इस स्कैम का नाम वॉयस क्लोनिंग है। जी हां, वॉयस क्लोन स्कैम का शिकार सबसे ज्यादा आपके करीबियों को ही बनाया जा रहा है। जबसे चैट-जीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई टूल्स लोकप्रिय हुए हैं, हैकर्स को भी साइबर फ्रॉड के लिए यह नया हथियार मिल गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई के जरिए आवाज इस तरह बदल ली जाती है कि आपको जरा भी यह अहसास नहीं होगा कि यह आवाज आपके जानने वाले की नहीं है। नवभारत टाइम्स ने भी इस रिपोर्ट को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। इस मामले में पुलिस अफसरों का कहना है, हाल के दिनों में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके आवाज बदलकर किए जाने वाले कई स्कैम सामने आए हैं। साइबर अपराधी लोगों को उनके परिजनों या जानने वालों की आवाज में कॉल करके पैसे मांगते हैं। फिर उनके अकाउंट को खाली कर देते हैं। साइबर ठग फेसबुक, वट्सऐप, इंस्टाग्राम या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आपको कॉल करेगा। फिर आपकी वॉइस का सैंपल लेगा। जिसके बाद किसी भी एआई ऐप पर आपकी वॉइस को अपलोड कर क्लोन तैयार करेगा। फिर फोन नंबर या अन्य कोई सिस्टम हैक करने के बाद हूबहू उसी आवाज में आपके परिवार, रिश्तेदार या दोस्त को कॉल कर उन्हें स्कैम के जाल में फंसा लेता है। प्ले स्टोर पर कई तरह के वॉइस क्लोनिंग ऐप हैं, जहां से साइबर अपराधी डाउनलोड करते हैं।
ध्यान रखें कि अगर आपके पास किसी अपने बेहद ही करीबी का कॉल आता है और वह भी नए नंबर से तो आपको बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। कॉल आने के समय का भी ध्यान रखें। एआई से किसी की आवाज की कॉपी तो की जा सकती है, लेकिन उसके बात करने का तरीका और अंदाज को कॉपी नहीं किया जा सकता। इस तरह के कॉल को ध्यान से सुनें और तय करें कि रोबोटिक कॉल है या फिर किसी ने किया है। ध्यान रखें, ये आपके किसी जानने वाले की ही आवाज में कहते हैं कि आपका कोई करीबी मुसीबत में है या अस्पताल में है। ऐसे में पैसे की तुरंत जरूरत है। आप अगर सतर्क रहेंगे तो आप खुद को इस तरह के स्कैम से बचा सकते हैं। आप किसी का भी कॉल आने पर भूलकर भी अपना आधार कार्ड, बैंक डिटेल, पासवर्ड, बैंक अकाउंट नंबर शेयर नहीं करें। जैसे ही स्कैमर्स आपसे आवाज बदलकर बात करेंगे, आपको ध्यान से आवाज को सुनना है। यहां आपको कई तरह के वार्निंग साइन मिलेंगे, जिनमें आवाज बदलकर बात करने वाले हैकर्स काफी जल्दी में होंगे और आपसे कहेंगे कि उनके बदले पेमेंट कर दें या फिर आपसे कहेंगे कि वो जल्दबाजी में कार्ड लाना भूल गए हैं। आप उनके बदले पेमेंट कर दें। हैकर्स बार-बार एक ही बात को रिपीट करेंगे जो आपके लिए एक वार्निंग साइन होगा कि आवाज को एआई के जरिए बदला गया है।
जनहित में ‘यूटर्न टाइम’ ने इस मामले में कई केस को स्टडी करने के बाद यही नतीजा निकाला कि हम अपने खून के रिश्तों या नजदीकियों से भावनात्मक संबंधों के चलते सोचने-समझने की बजाए तत्काल जल्दबाजी वाला कदम उठा लेते हैं। हमारी इसी भावनात्मक कमजोरी का फायदा साइबर-ठग उठाते हैं। मसलन, मां को बेटे के एक्सिडेंट की खबर देकर या पिता को बेटे के किसी संगीन अपराध में फंसने की सूचना देकर साइबर ठग उनको आसानी से इमोश्नल-ब्लैकमेल कर ठग लेते हैं। ऐसे कुछ मामले पंजाब और आसपास के राज्यों में सामने आ चुके हैं। लिहाजा यह हमारा नैतिक-दायित्व बनता है कि आपको इस तरह की हाई-टेक ठगी से बचने के सतर्क रहने के लिए सुझाव दें। लिहाजा आप सतर्क रहें और सुरक्षित रहें, हमारी जनहित में यही चिंता है।
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